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1 सितंबर, 1900 को, सुल्तान अब्दुलहमीद द्वितीय के आदेश पर,खिलाफत ए उस्मानिया अधिकारियों ने मदीना मुनव्वरा को दमिशक (सीरीया) और तुर्की के इस्तांबुल से जोड़ने वाली 1,320 किलोमीटर रेलवे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया।

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1 सितंबर, 1900 को, सुल्तान अब्दुलहमीद द्वितीय के आदेश पर,खिलाफत ए उस्मानिया अधिकारियों ने मदीना मुनव्वरा को दमिशक (सीरीया) और तुर्की के इस्तांबुल से जोड़ने वाली 1,320 किलोमीटर रेलवे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। ये प्रोजेक्ट सितंबर 1908 में कंप्लीट हो गया था और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 में नष्ट होने तक रेलवे चालू रहा। आज शायद ही कोई ये बात जानता होगा कि इस महान रेलवे प्रोजेक्ट तैयार करने करने में दुनिया के सभी हिस्सों के आम मुसलमानों द्वारा चंदा जमा किया गया था यहां तक की मुसलमान औरतों ने अपने गहने और ज़ेवर तक इस अज़ीम काम के लिए दान कर दिये थे किसानो ने अपनी जमीन से गुजरने वाली रेलवे लाइनों से प्रभावित किसानों ने ओटोमन राज्य से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था, तुर्क सैनिकों और अरब सैनिको ने रेलवे लाइन के निर्माण के लिए बिना पैसे लिए मज़दूरी की अरब परिवारों ने यह सुनिश्चित किया कि उनके बेटे अपने पिता का अनुसरण करते हुए महान रेलवे करियर में वॉलेंटियर्स की तरह शामिल हों। ये एक मंहगा प्रोजेक्ट था जिसकी उस वक्त की लागत 4 मिलियन तुर्की लीरा थी यानी लगभग 570 किलों सोना

क्या आप जानते हैं कि आपके दफन अंतिम संस्कार के बाद आम तौर पर क्या होता है?

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क्या आप जानते हैं कि आपके दफन अंतिम संस्कार के बाद आम तौर पर क्या होता है?    कुछ ही घंटों में रोने की आवाज पूरी तरह से बंद हो जाएगी।   रिश्तेदारों के लिए होटलों से खाना मंगवाने में जुटेगा परिवार.. पोते दौड़ते और खेलते रहेंगे। कुछ पुरुष सोने से पहलेआपके बारे में कुछ संवेदनात्मक टिप्पणी करेंगे! कोई रिश्तेदार आपकी बेटी से फोन पर बात करेगा कि आपात स्थिति के कारण वह व्यक्तिगत रूप से नहीं आ पा रहा है। अगले दिन रात के खाने में, कुछ रिश्तेदार कम हो जाते हैं, और कुछ लोग सब्जी में पर्याप्त नमक नहीं होने की शिकायत करते हैं। भीड़ धीरे धीरे छंटने लगेगी.. आने वाले दिनों में कुछ कॉल आपके फोन पर बिना यह जाने आ सकती हैं कि आप मर चुके हैं। आपका कार्यालय या दुकान आपकी जगह लेने के लिए किसी को ढूंढने में जल्दबाजी करेगा। दो सप्ताह में आपका बेटा और बेटी अपनी आपातकालीन छुट्टी खत्म होने के बाद काम पर लौट आएंगे। महीने के अंत तक आपका जीवनसाथी भी कोई कॉमेडी शो देख कर हंसने लगेगा। सबका जीवन सामान्य हो जाएगा जिस तरह एक बड़े पेड़ के सूखे पत्ते में और जिसके लिए आप जीते और मरते हैं, उसमें कोई अंतर नहीं है, यह सब इतनी

इस ख़ूबसूरत नौजवान का नाम 'हाशिम रज़ा' है। हाशिम पाकिस्तान के पंजाब स्टेट के ज़िला सरगोधा के रहने वाले हैं।

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इस ख़ूबसूरत नौजवान का नाम 'हाशिम रज़ा' है। हाशिम पाकिस्तान के पंजाब स्टेट के ज़िला सरगोधा के रहने वाले हैं। हाशिम की एक तस्वीर आजकल सोशल मीडिया पर गर्दिश कर रही है। मैं देखा तो मुझे लगा इसपर लिखना चाहिए। ख़ैर... पिछले डेढ़ सालों से हाशिम कैंसर जैसी बदतरीन बीमारी में मुब्तला हैं। तकलीफ़ की बात यह है कि चौथे स्टेज पे हैं। हाशिम निहायत ही पढ़े लिखे और क़ाबिल नौजवान हैं। यह कई सारी तंज़ीम से जुड़े हुए थे और उन तंज़ीमों से जुड़कर ग़रीब लोगों की मदद करते थे। इन्हें लोगों की मदद करना बहुत पसंद है। इनकी सैकड़ों ऐसी पुरानी तसावीर हैं जिन तसावीर में यह ग़रीब, बे-सहारा लोगों की मदद करते हुए नज़र आते हैं। कहीं सैलाब आता हो तब, वबा आयी थी तब या ऐसे किसी भी गांव/शहर बस्ती में मदद करने पहुंच जाते हैं जहां ग़रीब, बे-सहारा लोगों को ज़रूरत होती है। यहां तक कि हाशिम ईद, रमज़ान, ईद-उल-अज़हा के मौक़े पर भी ग़रीब बस्ती में बसे लोगों की मुस्कुराहट की वजह बनते थे। तक़रीबन तीन साल पहले हाशिम रज़ा के कहे हुए अल्फ़ाज़ लिख रहा हूँ। उसको पढ़कर आप उनकी सोच, उनकी फ़िक्र का अंदाज़ा लगा सकते हैं। "इंसानियत की ख़िदमत इस्लाम की बुनियादी

CBI के एक जज जस्टिस लोया, सिर्फ़ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। वो भी देश के गृहमंत्री अमित शाह के मामले की।

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CBI के एक जज जस्टिस लोया, सिर्फ़ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। वो भी देश के गृहमंत्री अमित शाह के मामले की। उनसे पहले एक जज का तबादला किया जा चुका था। क्योंकि अमित शाह सुनवाई के लिए अदालत में नहीं आते थे और जज चाहता था कि सुनवाई के लिए आएं। जज ने अमित शाह के वकील को फटकार लगाई कि फ़लानी तारीख़ को पेश होना है। उससे पहले ही जज का तबादला हो गया। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे रखा था कि इस मामले की केवल एक जज सुनवाई करेगा, बावजूद इसके जज का तबादला कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट देखता रह गया। अब नए जज जस्टिस लोया को लाया गया। कुछ दिन बाद जज लोया ने भी अमित शाह के वकील को फटकार लगाई और कहा कि अमित शाह सुनवाई के लिए आएं। अगली सुनवाई से पहले ही जज लोया की रहस्यमयी ढंग से मौत हो गई। फिर एक नया जज आया। अगले ही महीने अमित शाह बाइज़्ज़त बरी। जज लोया की रहस्यमयी मौत के इतने स्पष्ट सबूत हैं कि आराम से असली हत्यारे तक पहुँचा जा सकता है। लेकिन कुछ नहीं हुआ। इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार या कहूँ कि देश के बेहतरीन Investigative journalist में से एक Niranjan Takle ने इस मामले में सबूत जुटाए। उन्हें किताब में लिख

ज़ुबैर को रिहा करने का आदेश अगर एक तरफ न्यायपालिका की कार्यवाही को दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर इसी न्यायपालिका को पोल भी खोलता है...

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ज़ुबैर को रिहा करने का आदेश अगर एक तरफ न्यायपालिका की कार्यवाही को दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर इसी न्यायपालिका को पोल भी खोलता है... ज़ुबैर का मामला कुछ ऐसा है ही नही की उसे जेल में रखा जाए, या विवेचना के लिए SIT का गठन किया जाए..... एक पत्रकार को ही नही बल्कि आम जन को भी यह अधिकार है की सरकारी नीतियों के विरुद्ध अगर असंतुष्ट है तो आवाज उठा सकता है.... सुप्रीम कोर्ट में जुबैर केस की सुनवाई के समय, जस्टिस चंद्रचूड़ ने UP की AAG के अनुरोध पर कि, ज़ुबैर को आगे ट्वीट न करने दिया जाए, कहा कि,"यह एक वकील से ऐसा कहने जैसा है कि, उसे बहस नहीं करनी चाहिए... हम एक पत्रकार से कैसे कह सकते हैं कि वह एक शब्द भी नहीं लिखेगा या नहीं बोलेगा?".... न्यायपालिका अगर इतनी देर में न्याय देगी तो उसे अन्याय ही माना जायेगा..... बहुत ज्यादा खुश होने की जरूरत भी नहीं.....बस ये सोचिए कि ऐसे ऐसे प्रकरण में अगर किसी को फंसा कर इतना दिन जेल में बितावाया जा सकता है तो वाकई आलोचना पर क्या होगा .....?   👇

सल्यूट श्रीमती सोनिया गांधी जी ! #sonia_gandhi

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सल्यूट श्रीमती सोनिया गांधी जी !           ED दफ़्तर ने कांग्रेस सदर श्रीमती सोनिया गांधी को अपने दफ़्तर “पूछ- ताछ “ के लिए “ तलब “ किया था । विषय था “ हेराल्ड “ और “यंग इंडिया “ के बीच आर्थिक लेनदेन पर कुछ सवाल ।       आज अपने तय समय पर कांग्रेस सदर श्रीमती सोनिया गांधी पहुँची । दो घंटे तक ED दफ़्तर में रहीं । ED अफ़सरान ने कहा - अब आप जा सकती हैं , हमारे पास और सवाल नही है ।       “ कांग्रेस मीडिया इंचार्ज जयराम रमेश के प्रेस वक्तव्य के अनुसार श्रीमती सोनिया गांधी ने कहा - आप सवाल पूछिए , हम रात नौ बजे तक यहाँ बैठ सकती हूँ , नौ बजे हमे दवा लेना होता है । हम कल भी आ सकते हैं ॥ ED आफ़िसर ने साफ़ - साफ़ शब्दों में कहा - नही मैडम ! अब हमारे पास कोई सवाल नही है , कल भी आने की ज़रूरत नही है । “          आज पूरा देश सड़क पर रहा । हर सूबे ले मुख्यालय पर कांग्रेस सवाल के साथ खड़ी मिली -     क्यों अपमानित किया जा रहा है , एक महिला को , जो बीमार भी हैं ?    नये सिरे से एक सवाल उठ आया है । कौन है यह सोनिया गांधी ? बार बार इस परिवार क्यों अपमानित किया का रहा है ?      श्रीमती सोनिया गां

और इन्ही जैसे आदिवासियों के लिए इंसाफ़ मांगने के इल्ज़ाम में Himanshu Kumar को जेल भेजा जा रहा है।

और इन्ही जैसे आदिवासियों के लिए इंसाफ़ मांगने के इल्ज़ाम में Himanshu Kumar को जेल भेजा जा रहा है।  अगर हम आप, जो अपने लोकतन्त्रवादी होने पर गर्व करते हैं, उन्हें जेल जाने से नहीं रोक सके तो क्या इन जैसे आदिवासियों को माओवादी गुरिल्ला होने से रोक लेंगे?  यह जरूरी सवाल है, क्योंकि यह सब कुछ हमारे नाम पर हमारे मौन समर्थन से हो रहा है। अगर 75 लंबे वर्षों में हम आदिवासियों को इंसाफ़ की उम्मीद भी नहीं दे सके तो इसे आज़ादी का अमृत महोत्सव कहें या मृत महोत्सव? पढ़िए, एक औऱ सत्य-कथा। हिमांशु कुमार के आंगन से। ****** "सोमड़ू मर गया"      दंतेवाडा से एक फ़ोन आया कि सोमड़ू म़र गया ၊ मैंने पूछा कैसे मर गया ? मुझे बताया गया की तेंदू पत्ता तोड़ते समय कल उसे सांप ने काट लिया और कुछ ही देर में वो म़र गया, न्याय का इंतज़ार करते करते सोमड़ू म़र गया, कौन था ये सोमड़ू ?  सन दो हजार आठ की ये घटना है, भैरमगढ़ से बीजापुर जाने के रास्ते में माटवाडा नाम का एक सलवा जुडूम कैंप है, 18 मार्च 2008 को स्थनीय अखबार में खबर छपी कि माटवाडा सलवा जुडूम कैंप में रहने वाले तीन आदिवासियों की नक्सलियों ने कैंप में घ

मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है

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मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि दुनिया में ‌जितना बदलाव हमारी पीढ़ी ने देखा है वह ना तो हमसे पहले किसी पीढ़ी ने देखा है और ना ही हमारे बाद किसी पीढ़ी के देखने की संभावना लगती है हम वह आखिरी पीढ़ी हैं जिसने बैलगाड़ी से लेकर सुपर सोनिक जेट देखें हैं.बैरंग ख़त से लेकर लाइव चैटिंग तक देखा है और असंभव लगने वाली बहुत सी बातों को संभव होता देखा है. ● हम वो आखिरी पीढ़ी हैं जिन्होंने कई-कई बार मिटटी के घरों में बैठ कर परियों और राजाओं की कहानियां सुनीं, जमीन पर बैठ कर खाना खाया है, प्लेट में चाय पी है। ● हम वो आखिरी लोग हैं… जिन्होंने बचपन में मोहल्ले के मैदानों में अपने दोस्तों के साथ पम्परागत खेल, गिल्ली-डंडा, लँगड़ी टांग, आइस पाइस, छुपा-छिपी, खो-खो, कबड्डी, कंचे, सितोलिया जैसे खेल खेले हैं। ● हम वो आखिरी पीढ़ी के लोग हैं जिन्होंने चिमनी , लालटेन, कम या बल्ब की पीली रोशनी में होम वर्क किया है और चादर के अंदर छिपा कर नावेल पढ़े हैं। ● हम उसी पीढ़ी के लोग हैं… जिन्होंने अपनों के लिए अपने जज़्बात, खतों में आदान प्रदान किये हैं और उन ख़तो के पहुंचने और जवाब के वापस आने में महीनों तक इंतजार किया है।

प्रतिभा प्रलाप नहीं करती प्रयास करती है.....!!

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प्रतिभा प्रलाप नहीं करती प्रयास करती है.....!! 22 वर्षीय #युवा एक माह में 28 दिन विदेश यात्रा करता हैं, #फ्रांस ने उसे अपने यहां #नौकरी करने के लिए #आमंत्रित किया, जिसमें उसे 16,00,000(सोलह लाख) रुपए प्रतिमाह #वेतन, 5 बीएचके मकान और ढाई करोड़ की #कार देने का प्रस्ताव दिया गया। परंतु उसने यह बड़ी ही विनम्रता से #अस्वीकार कर दिया ,क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (#DRDO) को उसका संविलियन करने के आदेश दे दिए गए थे । आइए, वह #बालक_कौन_है इसके बारे में हम जानें- #मैसूर  कर्नाटक के निकट दूरस्थ ग्रामीण अंचल में कदईकड़ी में जन्मा बालक‌ ।  पिता कृषक, पिता की आय महज 5000 रुपये मासिक। बचपन से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्रति रुचि। प्राथमिक कक्षा से ही निकट के #साइबरकेफे में जाता और दुनिया भर की एविएशन स्पेस #वेबसाइट में डूबा रहता।  टूटी फूटी भाषा में वैज्ञानिकों को ई मेल भेजता। वह #इंजीनियरिंग करना चाहता था पर आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण बीएससी भौतिक करना पड़ा। छात्रावास शुल्क अदा न करने के कारण उसे वहां से निकाला गया।  वह मैसूर स्टेंड पर ही सोता। उसने अपनी मेह

हिन्दू-मुस्लिम, नमाज़-चालीसा यह करने के पीछे का षड्यंत्र समझो

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हिन्दू-मुस्लिम, नमाज़-चालीसा यह करने के पीछे का षड्यंत्र समझो। कोई भी मीडिया या व्यक्ति खुलकर नहीं बताता कि आख़िर विवाद की वजह क्या है? और क्यों यह सब हुआ है? लखनऊ का लुलु मॉल जिसमें सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिसका उद्घाटन किया हो, आखिर उसमें विवाद क्या घटित हुआ और किसने किया? पहले यह समझें कि यह मॉल केरल के व्यवसायी यूसुफ अली का मॉल है, जो भारत का 2000 करोड़ में बना, सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल है। यूसुफ अली के लगभग 22 देशों में 235 से अधिक रिटेल स्टोर उपलब्ध है। यूसुफ अली के भारत में ही बैंकिंग सेक्टर से लेकर इन्फ्रास्ट्रक्चर तक और एविएशन लेकर अन्य कई क्षेत्रों में शेयर, हिस्सेदारी इत्यादि है।  अब आप इत्मीनान से सोचिये कि दिक्कतें किसे होती है? जिन्हें दिक्कत हुई उन्होनें नकली जालीदार टोपी खरीदकर मॉल में घुसे और 18 सेकंड का वीडियो शूट कर डाला, फोटो लिए और तुरन्त निकल गये। ख़बर फैलाई गई कि मॉल में नमाज़ पढ़ी गयी। वैसे तो मैने देखा ही है कि हर मॉल में एक पंडित जी बैठे होते हैं तो फिर नमाज़ से समस्या क्या? असल में बात यह साबित करवानी थी कि नमाज हो सकती है तो धर्मनिरपेक्ष देश में हनुमान चाल

जिस तरह मूसा(अ०स०) की परवरिश ज़ालिम फिरऔन के मह़ल में हुई थी , लगभग उसी तरह उसकी भी परवरिश वह़शी मंगोलों के बीच में हुई थी ,

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जिस तरह मूसा(अ०स०) की परवरिश ज़ालिम फिरऔन के मह़ल में हुई थी , लगभग उसी तरह उसकी भी परवरिश वह़शी मंगोलों के बीच में हुई थी , तीरंदाज़ी तलवार बाज़ी की महारत भी उसने मंगोलों से ही सीखी थी , वह एक "ग़ुलाम" लेकिन क़पचाक़ तुर्क था.. कहते हैं मंगोलों ने दमिश्क के बाज़ार में उसे 500 दीनार के एवज़ में एक समुंदरी ताजिर के हाथ बेचा था , उस व्यापारी ने उसे अपने व्यापारिक जहाज़ पर एक माहिर तीरअंदाज़ के तौर पर तैनात किया था.. लेकिन क़ुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था , एक दिन क़िस्मत ने उसे उस मिस्र का सिपहसालार बना दिया जहां भारत की तरह ही एक ग़ुलाम वंश राज कर रहा था ,  मंगोलों के ज़ुल्म के आगे पूरी इस्लामी दुनिया बिखर चुकी थी , सलजूक सल्तनत अपनी आखिरी सांसें गिन रही थी तो ख़िलाफत-अब्बासिया के आखिरी ताजदार मुस्ता'असिम बिल्लाह को हलाकू खान ने क़ालीनों में लपेटकर घोड़ों तले रौंद डाला था.. अल्लाह की क़ुदरत देखिए कि बारहवीं सदी ई० के मध्य में मुसलमानों के पास सिर्फ दो मह़फूज़ पनागाह थी एक हिंदुस्तान और दूसरी मिस्र और दोनों ही जगह ग़ुलाम वंश का राज था यानि ऐसे लोग जिनके ह़स्ब-नस्ब का कुछ पता नहीं... बचपन से ग़ुलाम थ

MANUU's Asst. Professor Dr. Khaleel Ahmad selected for Fellowship in Italy

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July 19, 2022 MANUU's Asst. Professor Dr. Khaleel Ahmad selected for Fellowship in Italy Hyderabad:  Dr. Khaleel Ahmad, Assistant Professor, Department of Computer Science & Information Technology (CS&IT), Maulana Azad National Urdu University (MANUU) has been selected by the Science and Engineering Research Board (SERB) for prestigious International Research Experience (SIRE) Fellowship. He is proceeding for a joint research in University of Pisa, Italy for a period of six months. Dr. Khaleel Ahmad is one among 20 selected candidates throughout the country.  Prof. Abdul Wahid, Dean, School of Technology, MANUU congratulated and wished him for more success in future endeavors. Dr. Syed Imtiyaz Hassan, HoD welcomed his selection and described it as a progressive step for the Department and University. (Abid Abdul Wasay) Public Relations Officer

#हरपाल_कौर नाम है पंजाब की पहली #वेल्डिंग_गर्ल ...!!!एक बेहद जुझारू लड़की...!!!

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#हरपाल_कौर नाम है  पंजाब की पहली #वेल्डिंग_गर्ल ...!!! एक बेहद जुझारू लड़की...!!! पंजाब के लुधियाना और जालंधर के बिल्कुल बीच में फगवाड़ा से मात्र 13 किलोमीटर दूर गुरा नामक गाँव मे रहती है। मात्र बीस वर्ष की उम्र में पिता ने #शादी कर दी। ससुराल वालों से मतभेद हुए, पिता के पास आकर रहने लगी। नौ साल का एक #लड़का है उसे भी साथ ले आई। तीन कुंवारी बहने पहले से घर मे थी। पिता ने ससुराल में रहने की बजाय उसे खुद की लाइफ अपने हिसाब से जीने को #स्वंतत्र किया और उसके फैसले के साथ रहे।  अब 9 वर्ष के लड़के के साथ मायके में रहना भी लड़की के लिए आसान नही होता। #तलाक का केस चल रहा। परिवार के व्यंग्य बाण रोज सुनने को मिलते। रोज पिता से खर्च मांगना भी आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता....!!! कहीं जॉब शुरू करके जीवन को पटरी पर लाने की कोशिश की लेकिन नही कर पाई। पिता की एक #दुकान है वेल्डिंग करके कृषि उपकरण बनाने की। दुकान के ऊपर उनका घर है लड़की ने पिता को कहा यहीं दुकान पर काम कर लेती हूँ , जो खर्च एक मजदूर को देते हो वही मुझे दे दो,साथ मे अपनी जगह रहूंगी तो #सेफ्टी भी रहेगी। लड़की ने 300 #रुपये रोजाना के हिसाब से वहीं

#अमेरिका के बाजारों में लोहे की #जंजीरों में जकड़े , गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले #निग्रो/#काले लोग/ रंगभेद के शिकार आज ये लोग, जिन्हें भेड़ #बकरियों की तरह ख़रीदा व #बेचा जाता था, दास प्रथा का प्रचलन था,

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#अमेरिका के बाजारों में लोहे की #जंजीरों में जकड़े , गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले #निग्रो/#काले लोग/ रंगभेद के शिकार आज ये लोग, जिन्हें भेड़ #बकरियों की तरह ख़रीदा व #बेचा जाता था, दास प्रथा का प्रचलन था, आज वही काले लोग #शिक्षा के दम पर अमेरिका में #सड़क से लेकर वाइट हाउस तक पहुंच गए हैं,  हर फील्ड में अपनी #हिस्सेदारी तय कर ली है, और गोरों ने इन्हें अपना लिया है❗️ #अब्राहम_लिंकन के प्रयासों से अमेरिका में दास प्रथा का अंत हुआ और नीग्रो जाति मुक्त हुई❗️ #मुक्त होने के बाद नीग्रो लोगों ने रोजगार खोजना शुरू किया❗️ एक वृद्ध और अशक्त नीग्रो काम की तलाश में घूम रहा था❗️ घूमते-घूमते वह #थक गया, किंतु काम नहीं मिला,,, वह एक स्थान पर बैठ गया, वहीं उसकी भेंट मालिक जाति के एक #परिचित व्यक्ति से हुई❗️ बूढ़े नीग्रो की दयनीय दशा देख वह व्यक्ति बोला- तुम्हारी यह क्या हालत हो गई। क्या किसी परेशानी में हो❓ नीग्रो ने कहा- काम नहीं मिल रहा है।  वह व्यक्ति बोला- पिछले दिनों तो तुम्हारी स्थिति ठीक थी❗️ नीग्रो बोला- उन दिनों मुझे बड़ा आराम था क्योंकि मेरा मालिक #दयालु था❗️

लोकतंत्र खतरे में है" कमाल करते हैं, आप लोकतांत्रिक थे ही कब !

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"लोकतंत्र खतरे में है" कमाल करते हैं, आप लोकतांत्रिक थे ही कब ! जाति जैसी मानवद्रोही, विभाजनकारी, अनैतिक व्यवस्था को आज तक तो सीने से चिपकाए हुए हैं और लोकतंत्र की चिंता हो रही है। आप परिवार, समाज, राजनीति कहाँ पर लोकतांत्रिक हैं! वोट तक तो जाति और धर्म के अनुसार देते हैं, नेता इस आधार पर चुनते हैं कि उसने कितने लोगों को मारा और आगे किन लोगों को मारने या सताने का इरादा रखता है, फिर ये लोकतंत्र था कहाँ जो खतरे में पड़ गया !  कांग्रेस पार्टी के पास ये मौका था कि वो खुद भी लोकतांत्रिक बनती और देश को लोकतांत्रिक चेतना से लैश करती, उसके पास इतना समय था कि तमाम कठिनाइयों के बावजूद देश में किसी हद तक लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास हो सकता था, लेकिन कांग्रेस को ब्राह्मणवादी घुसपैठियों ने तबाह कर दिया, रही सही कसर कुर्सी की सियासत ने पूरी कर दी, सॉफ्ट हिन्दुत्व की सियासत पर चलती हुई कांग्रेस, हार्ड हिन्दुत्व की सियासत से रौंद दी गई।  अब फिर से देश पूंजीवादी संरक्षण में सामंती मूल्यों को सीने से लगाए पतन की ओर अग्रसर है।  आज व्यक्तिगत रूप से हिमांशु कुमार, तीस्ता और रूपेश जैस

16 आदिवासियों की हत्या बाबत दायर किया गया मुकदमा झूठा है

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14 जुलाई 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि 16 आदिवासियों की हत्या बाबत दायर किया गया मुकदमा झूठा है और इसके लिए हिमांशु कुमार पर पांच लाख रूपये का जुर्माना लगाया जाय और मुझ पर धारा 211 के अंतर्गत मुकदमा चलाया जाय तथा सीबीआई मेरा सम्बन्ध माओवादियों से होने की जांच भी कर सकती है | इस बारे में मेरा कहना यह है कि मामला झूठा होने का फैसला गलत है | क्योंकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोई जांच ही नहीं कराई है| 2009 में छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले के गोमपाड गाँव में सोलह आदिवासियों की पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा हत्या की गई थी | मारे गये लोगों में महिलाएं बच्चे और बुजुर्ग लोग थे | एक डेढ़ साल के बच्चे की उंगलियाँ काट दी गई थीं | सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मैंने यह मुकदमा माओवादियों की मदद करने के लिए किया है | लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आ रहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट पीड़ित लोगों को न्याय देगा तो उससे माओवादियों को क्या फायदा हो जाएगा ? और अगर न्याय ना दिया जाय तथा मुझ जैसे न्याय मांगने वाले व्यक्ति पर ही जुर्माना लगा दिया जाय तो उससे देश का क्या फायदा हो जाएगा ? मेरे द्वारा यह कोई

सुरक्षा और विकास" शिखर सम्मेलन ईरान को लेकर सऊदी क्राउन प्रिन्स का नरम रूख, बोले ईरान आस पास के देशो को सहयोग करे।

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"सुरक्षा और विकास" शिखर सम्मेलन  ईरान को लेकर सऊदी क्राउन प्रिन्स का नरम रूख, बोले ईरान आस पास के देशो को सहयोग करे।  एक तरफ जहा अमेरिका ईरान पे इजराइल के अनुरोध पे सख्ती बढाने की बात कर रहा है, वही सऊदी ने नरम रूख अपनाया है। "सुरक्षा और विकास" शिखर सम्मेलन 16 जुलाई को पश्चिमी सऊदी अरब के शहर जेद्दा में संपन्न हुआ। जिसमें छह खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के नेताओं और अमेरिका, मिस्र, जॉर्डन और इराक के नेताओं ने भाग लिया। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की पहली मध्य पूर्व यात्रा भी समाप्त हो गयी। शिखर सम्मेलन के मेजबान, सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान बिन अब्देल अजीज अल सौदी ने उद्घाटन भाषण में कहा कि दुनिया वर्तमान में महामारी और भू-राजनीति के कारण महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विश्व अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी घोषणा की कि सऊदी अरब के पास घरेलू कच्चे तेल उत्पादन क्षमता को प्रति दिन 13 मिलियन बै

आम का पेड़ और हमारे माता पिता❗️

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आम का पेड़ और हमारे माता पिता❗️ #एक बच्चे को आम का पेड़ बहुत पसंद था। जब भी फुर्सत मिलती वो आम के पेड के पास पहुच जाता। पेड के उपर चढ़ता,आम खाता,खेलता और थक जाने पर उसी की छाया मे सो जाता। उस बच्चे और आम के पेड के बीच एक अनोखा रिश्ता बन गया। #बच्चा जैसे-जैसे बडा होता गया वैसे-वैसे उसने पेड के पास आना कम कर दिया। कुछ समय बाद तो बिल्कुल ही बंद हो गया। आम का पेड उस बालक को याद करके अकेला रोता। #एक दिन अचानक पेड ने उस बच्चे को अपनी तरफ आते देखा और पास आने पर कहा, तू कहां चला गया था? मै रोज तुम्हे याद किया करता था। चलो आज फिर से दोनो खेलते है।" बच्चे ने आम के पेड से कहा, अब मेरी खेलने की उम्र नही है। मुझे पढना है,लेकिन मेरे पास फीस भरने के पैसे नही है।" पेड ने कहा, "तू मेरे आम लेकर बाजार मे बेच दे, इससे जो पैसे मिले अपनी फीस भर देना।" उस बच्चे ने आम के पेड से सारे आम तोड़ लिए और उन सब आमो को लेकर वहा से चला गया। उसके बाद फिर कभी दिखाई नही दिया। आम का पेड उसकी राह देखता रहता। #एक दिन वो फिर आया और कहने लगा, "अब मुझे नौकरी मिल गई है, मेरी #शादी हो चुकी है, मुझे मेरा अपना

ये रहा #शिमला का सबसे #फालतु_इंसान। सरबजीत सिंह ( बॉबी )

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ये रहा #शिमला का सबसे #फालतु_इंसान।  सरबजीत सिंह ( बॉबी ) न तो इनको घर पे कोई काम है और न दूकान पर।  कभी एंबुलेंस लेकर मरीजों को आई जी एम सी छोड़ने जा रहा होता है तो कभी मृत लावारिस लाशो को #शमशान ले जाता है। शाम को लोग /पर्यटक जब माल रोड पर घूमते हुए मौसम का आनंद ले रहे होते है ये फालतू सरदार कैंसर हस्पताल में मरीजों को #खिचड़ी का लंगर लगा के खिला रहा होता है।  सवेरे सवेरे उठकर लोग सैर पे निकलते है और ये सरदार मरीजों को #बिस्कुट खिला रहा होता है।  #रविवार को भी इनको #चैन नही होता माल रोड पर #ब्लड_कैंप लगा कर लोगो का खून निकाल रहा होता है।  ऐसा है ये फालतू इंसान।  ऐसे फालतू हर शहर में भी पैदा हो...  #इंसानियत को खत्म होने से बचाते है ऐसे फालतू लोग।  गरीबो के #आंसू नही टपकने देते ऐसे फालतू लोग, वैसे भी आजकल कोई फालतू नही जो दुसरो के लिए थोड़ा वक़्त निकाल सके और दुसरो के बारे में सोच सके उनकी तकलीफों को अपना सके।  वाह, फालतू बॉबी !! #सरबजीत_सिंह को सलाम !! वाया/ jyoti Wadhwa

#उत्तरप्रदेश के #लखनऊ में #लुलु_मॉल खुल चुका है। यह लखनऊ का सबसे बड़ा मॉल है, जो देश के सबसे बड़े शॉपिंग मॉल्स में से एक है।

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#उत्तरप्रदेश के #लखनऊ में #लुलु_मॉल खुल चुका है। यह लखनऊ का सबसे बड़ा मॉल है, जो देश के सबसे बड़े शॉपिंग मॉल्स में से एक है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि एक #भारतीय #यूसुफ_अली की ही ये कंपनी है।  वह 1973 में #अबू_धाबी चले गए थे और अब यूएई (UAE) की ही #नागरिकता हासिल कर चुके हैं। यूसुफ अली, जो #केरल के त्रिशूर जिले के नाट्टिका के रहने वाले हैं। उनका #जन्म 15 नवंबर 1955 को हुआ था। यूसुफ अली की 3 बेटियां हैं और उनका पूरा परिवार अबू धाबी में रहता है। फोर्ब्स मिडिल ईस्ट ने अरब वर्ल्ड 2018 में यूसुफ अली को #टॉप-100 भारतीय बिजनसमैन में पहली रैंक दी थी। बड़े #दिलवाले हैं यूसुफ अली। यूसुफ अली सिर्फ एक बड़े #बिजनसमैन ही नहीं हैं, बल्कि एक बड़े दिल वाले शख्स भी हैं।  गुजरात के #भूकंप से लेकर #सुनामी और #बाढ़ तक में उन्होंने ढेर सारे पैसे #डोनेट किए हैं।  उन्होंने अगस्त 2018 में केरल बाढ़ के पीड़ितों को फिर से बसाने के लिए करीब 9.5 #करोड़ रुपयों की मदद मुहैया कराई थी। वह देश के बाकी हिस्सों में भी जगह-जगह मदद के लिए पैसे #दान देते है। 11 एकड़ में 2 #हजार_करोड़ रुपये से बना है ये लखनऊ का लूलू मॉ

चलो कुछ दिन #मजूरी पे जाया जाए❗️#किसानी करना इतना आसान नहीं....

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#साजिश यह है कि जरा सी #फसल_कम होने पर दाम 4-5 #गुना तक #बढ़ सकते हैं...  किसान से हमेशा की तरह पुराने #दामों पर #माल खरीद कर गांवों, कस्बो और शहरों के #गोदामों में भरा जाने लगा है...  #व्यापारी आढ़ती जानते हैं कि किसान #लापरवाह होने लगा है और न वह कम फसल होने पर फसल #जमा कर के रख सकता है, न उस के पास फसल #बढ़ाने का तरीका है...  वह यह भी जानता है कि उस का थोड़ा #पढ़ा-लिखा बेटा तो शहर पढ़ने गया है, ट्विटर, फेसबुक पर राजनीति कर रहा है, धर्म धर्म खेल रहा है,  खेत की #फसल से उसे क्या लेना देना❓ शहर में उसे ऑनलाइन महंगे ब्रांडेड कपड़े, जुते, परफ्यूम चाहिये, महंगा फ़ोन अनिवार्य है❗️ व्यापारी आढ़ती का बेटा पढ़ कर #बाप को #कंप्यूटर चलाना सिखाता है, किसान का बेटा बाप को #नफरत का पाठ पढ़ाने लगा है❗️ बस उसे #धुन है, जिसके लिए उसे #मोहरा बना दिया गया है,,,  उसने ऐसे #ग्रुप जॉइन कर रखे है जो उसे #मानसिक विकलांग बना रहे हैं, बची खुची कसर उसने वॉट्सएप्प ग्रुप जॉइन करके पूरी कर ली❗️😥😥 इधर #पिता व्यथित है कि इस बार भी फ़सल के दाम कम मिले, बेटे को #कोंचिंग फीस, Room, खर्चे के पैसे कहाँ से दूँ❗️ #मंडी में

#याद_है.... ये अपने #जमाने मैं बड़ी ही #फेमस चीज़ थी,,,ये #सिस्टम आज भी याद आता है,,,

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#याद_है....              ये अपने #जमाने मैं बड़ी ही #फेमस चीज़ थी,,, ये #सिस्टम आज भी याद आता है,,,                  वो #केसेट का ज़माना और वो #मट्के मैं स्पीकर रखकर वो #BASS का मज़ा लेना,,, और जब केसेट से आवाज़ सही ना आने पर हेड मैं और कैसेट के बुश मैं साफ करना और फिर से आवाज़ का #साफ आना आज भी याद है,,,                                                                             जब कैसेट के #रील के टूट जाने पर BONEFIX, टेप से #जोडा जाना आज भी याद है,,,               और कैसेट के खराब हो जाने पर उसके लिए,,स्क्रू ड्राईवर ना होने पर सायकल के स्पोक से स्क्रू ड्राइवर बनाना आज भी याद है,,,,                    और TV मैं कोई #नया_गाना आया और उसको #सुनकर कैसेट #लेने जाना आज भी याद है,,, और #पुराने गानो की कैसेट मैं #नये गाने टेप करवाना ,,,,और किसी को उल्लु बनाने के लिए    पुराने कैसेट के कवर मैं नई रील डाल देता था मैं,,, ताकी कोई कैसेट ना #चुरा ले !!! वो #आवाज #तेज कर पड़ोसन को #सुनाना...            हमारे #बचपन का वो #ज़माना आज भी याद है 

वह #आदिवासी_लड़का जिसने 1960 में भारत के छत्तीसगढ़ को सुर्खियों में लाया और प्रतिष्ठित "#ऑस्कर" स्वीडिश निर्देशक अर्ने सक्सडॉर्फ की गोद में अपनी छोटी फिल्म शीर्षक - "#जंगल_सागा" को लाया,

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वह #आदिवासी_लड़का जिसने 1960 में भारत के छत्तीसगढ़ को सुर्खियों में लाया और प्रतिष्ठित "#ऑस्कर" स्वीडिश निर्देशक अर्ने सक्सडॉर्फ की गोद में अपनी छोटी फिल्म शीर्षक - "#जंगल_सागा" को लाया, जिसमें एक "टाइगर बॉय' था जिसका किरदार नारायणपुर के #चेंदरू नाम के एक आदिवासी बच्चे ने निभाया था।  नारायणपुर जगदलपुर से लगभग 90 किमी दूर स्थित है। सन् 1960 का घने जंगलो से घिरा घनघोर अबूझमाड़ का बस्तर। पुरे बस्तर में फैला मुरिया जनजाति के लोगो का साम्राज्य इन घने जंगलो में चेंदरू नाम का 10 वर्षीय बच्चा खतरनाक #शेरों के साथ सहज तरीके से #खेल रहा था, अठखेलियाँ कर रहा था, पर उसे कहाँ मालूम था कि उसकी किस्मत किस करवट लेने वाली है। उधर घने जंगलो का दौरा करते स्वीडिश #डायरेक्टर अर्ने सुक्सडोर्फ़ की नजर इस बच्चे पर पड़ी,जंगल में शेरों के साथ सहज दोस्ती डायरेक्टर को इतनी भा गई कि उनसे रहा नहीं गया।  फिर तैयार हुआ एक ऑस्कर विनिंग फिल्म “जंगल सागा”। जिसमे लीड रोल पर था बस्तर का “#टाइगर_ब्वाय” चेंदरू। 1960 में चेंदरू ने #प्रसिद्धि का वो दौर भी देखा जो उसने सपने में भी नहीं सोचा होगा। 90 मि

#बस्तर, #छत्तीसगढ़ के आदिवासी मित्र द्वारा पोस्ट हेतु भेजी गई पोस्ट❗️#बस्तरिया_पुटू..!

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#बस्तर, #छत्तीसगढ़ के आदिवासी मित्र द्वारा पोस्ट हेतु भेजी गई पोस्ट❗️ #बस्तरिया_पुटू..! #मशरूम बस्तर की संस्कृति का अहम हिस्सा है। कहीं भी सहजता से पनपने वाले मशरूम बस्तरिया खान पान में मुख्य रूप से सम्मिलित है। बस्तर में लगभग हर तरह के मशरूम पुटू के प्रचलित नाम से ही खाये जाते है। बाजार में किसी भी प्रजाति का कोई भी पुटू तुरंत बिक जाता है। लोगों में इसकी सब्जी खाने का इतना शौक है कि हाथों हाथो, मुंहमांगे दाम में मशरूम खरीद लिये जाते है। पुटू चुनकर बाजार में बेचने वाले ग्रामीणों के लिए यह फायदे का धंधा है। ग्रामीणों को परंपरागत ज्ञान से मालूम रहता है कि जंगल में पाए जाने वाले कौन से मशरूम खाने योग्य हैं। बस्तर में मशरूम की बहुत सी प्रजातियां खायी जाती है। मशरूम एक साधारण फंफूद संरचना है। मशरूम मूलतः दो भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग छतरी और दुसरा भाग डंडी के रूप में रहता है। दोनो ही भाग खाने योग्य होते है। मशरूम के बहुत से प्रकार है जैसे सफेद छाते वाले, गदावाले, बटन वाले, पैरा पुटू, छाती पुटू, डेंगुर पुटू हरदुलिया मंजूरढूंढा तथा तेन्दूछाती आदि ऐसे बहुत से पुटू है जिनकी सब्जी बेहद ही लज

#पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे #झाग_की_परत जमा करती थी,

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#पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे #झाग_की_परत जमा करती थी,  जिसे दादी रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "ई सु तबियत खराब होव छ'.... बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे #यूरिक_एसिड बढ़ाता है और दादी इसीलिए वो झाग #फेंक दिया करती थी।   दादी पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने #परदादी से सीखा था। अब #कुकर में दाल-भात बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से #पेट भी खराब हो जाता हैं, डॉक्टर कहते हैं #एसिडिटी है, पुराने ज्ञान को याद करिये #विज्ञान छुपा है उसमे भी.... 🤗

#अमेरिका के अमेरिका #बनने की एक छोटी सी #कहानी#america

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#अमेरिका के अमेरिका #बनने की एक छोटी सी #कहानी #america    #अब्राहम_लिंकन के पिता #जूते बनाते थे, जब वह #राष्ट्रपति चुने गये तो अमेरिका के अभिजात्य वर्ग को बड़ी ठेस पहुँची! सीनेट के समक्ष जब वह अपना पहला #भाषण देने खड़े हुए तो एक सीनेटर ने ऊँची आवाज़ में कहा- #मिस्टर_लिंकन याद रखो कि तुम्हारे पिता मेरे और मेरे परिवार के जूते बनाया करते थे! इसी के साथ सीनेट भद्दे अट्टहास से गूँज उठी!  #लेकिन_लिंकन_किसी और ही #मिट्टी के बने हुए थे!  👇👇👇👇👇👇 उन्होंने #कहा कि, मुझे मालूम है कि मेरे पिता जूते बनाते थे! सिर्फ आप के ही नहीं यहाँ बैठे कई माननीयों के जूते उन्होंने बनाये होंगे! वह पूरे #मनोयोग से जूते बनाते थे, उनके बनाये जूतों में उनकी #आत्मा बसती है! अपने काम के प्रति पूर्ण समर्पण के कारण उनके बनाये जूतों में कभी कोई #शिकायत नहीं आयी! क्या आपको उनके काम से कोई शिकायत है? उनका पुत्र होने के नाते #मैं स्वयं भी जूते बना लेता हूँ और यदि आपको कोई शिकायत है तो मैं उनके बनाये जूतों की #मरम्मत कर देता हूँ! मुझे अपने पिता और उनके काम पर #गर्व है! सीनेट में उनके ये #तर्कवादी भाषण से #सन्नाटा छा गया

सदी की सबसे खूबसूरत तस्वीर /(फेसबुक स्मृति से छह साल पहले का एक पोस्ट)

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सदी की सबसे खूबसूरत तस्वीर / (फेसबुक स्मृति से छह साल पहले का एक पोस्ट) बेशक देखने में यह सामान्य-सी तस्वीर लग सकती है, लेकिन तस्वीर में शामिल लोगों का परिचय पाकर आप उन्हें सलाम करना नहीं भूलेंगे। मेरे विचार से यह सदी की सबसे खूबसूरत तस्वीर है। इसमें हाथ जोड़े जो व्यक्ति मुस्कुरा रहा है,वह है अफगानिस्तान की सेना का जांबाज सिपाही अब्दुल रहीम। रहीम युद्ध में अपने दोनों हाथ खो चुका था। उसके शौर्य की कहानी जानकर मरने के पहले केरल के रहने वाले जोसेफ ने उसे अपने दोनों हाथ दान कर दिए थे। उसके सामने खड़ी जोसेफ की पत्नी और पुत्री रहीम की देह पर जोसेफ के दोनों हाथ देखकर भावविह्वल हैं। ये वही हाथ हैं जिन्होंने कभी प्यार से उनका आलिंगन किया था। अब्दुल रहीम के बाएं एकदम निश्छल हंसी हंसते हुए जो एक व्यक्ति हैं, वे हैं डॉ सुब्रह्मण्यम अय्यर जिन्होंने उन हाथों का सफल प्रत्यारोपण किया था। हिन्दू डॉक्टर, ईसाई अंगदाता और मुस्लिम लाभार्थी - यह है मनुष्यता जिसे देखकर महसूस होता है कि धर्म, देश, संस्कृति कुछ भी हो, हम सब एक ही ईश्वर की संतान है। एक दूसरे के प्यार और फ़िक्र के मुंतज़िर ! सियासत और मज़हबी कट्टरता

मुसलमान #musalman

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उलमा ने अगर दुनियावी तालीम को ज़्यादा तरजीह न दी या उस पर ज़्यादा तवज्जो न देने को कहा तो उसकी एक वजह यह भी है कि अक्सर मुस्लिम नौजवान जब दुनियावी तालीम हासिल करने लगता है तो दीन से दूर हो जाता है। उनका रहन सहन , उनका हुलिया सब गैर इस्लामी हो जाती है बाज़ तो दीन ए इस्लाम से बगावत करने लगते है और बाज़ खुद को मुस्लिम कहने हिचकिचाहट महसूस करते है। बहुत से ऐसे मुसलमान देखें है जो बेहतरीन तालीम हासिल करने के बाद ख़ुद को मुस्लिम समुदाय से हटकर पेश करते है गरीब मुसलमान , अनपढ़ मुसलमान को हिकारत की नज़र से देखते है। इसीलिए सर इक़बाल ने कहा था कि आप दुनियावी तालीम हासिल कीजिये ज़रूर हासिल कीजिये लेकिन अपनी पहचान के साथ अपने ईमान पर साबित कदम रहकर..! मौलाना तारिक़ साहब का एक बयान सुना था काफी दिन पहले वह कह रहे थे कि आप अपने बच्चों को डॉक्टर बनाइये , इंजीनियर , वैज्ञानिक बनाइये इसमें कोई हर्ज नही लेकिन उनको आप सबसे पहले यह ज़रूर बताइए कि आपके दुनिया मे आने का मकसद क्या है ? आपको किसने पैदा किया ? आपका हक़ीक़ी खालिक व मालिक कौन है ? 

#जिओ_पॉलिटिक्सआज बात करते हैं श्रीलंका औऱ जापान मे शिंजो आबे मर्डर केस की

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#जिओ_पॉलिटिक्स आज बात करते हैं श्रीलंका औऱ जापान मे शिंजो आबे मर्डर केस की जापान औऱ इंडिया मे कॉमन क्या हैं यदि वर्ल्ड के सियासी समीकरण को देखा जाए तो आप पायेंगे जापान ऑस्ट्रेलिया अमरीका औऱ इंडिया का एक स्ट्रेटेजिक गठबंधन #QUAD जिसका एकमात्र उद्देश्य साउथ ईस्ट एशिया औऱ इंडिया पेसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोकना हैं. शिंजो आबे बतौर पूर्व पीएम QUAD संगठन के नींव रखने वाले नेता थे, अतः चीन की आँखों में खटक रहें थे. शिंजो आबे के कत्ल के बाद पूरे चीन में खुशियां मनाई जा रही हैं, चीन की राष्ट्रवादी जनता अपने नेता जिनपिंग के शह पर शिंजो आबे के हत्यारे को हीरो वीर बहादुर कह कर प्रोजेक्ट कर रही हैं,, जाहिर हैं हत्यारा जापानी मूल का होते हुए भी चाइनीज एजेंट होगा एक तरह से चाइना ने शिंजो आबे के कत्ल से QUAD नेताओं को अपनी ताकत का अहसास करा दिया हैं दूसरी तरफ आते हैं श्रीलंका के विषय पर श्रीलंका औऱ इंडिया की समुद्री सीमा जहां अमरीका भी अपनी घुसपैठ करना चाहता हैं तो दूसरी तरफ चाइना पडोसी होने के नाते इस इलाके को अपना ही समझता हैं, श्रीलंका के बंदरगाहों पर चाइना की लम्बे समय से नजर रही हैं, श्

ये सिर्फ एक आम ठगी का मामला नहीं हैंइनसाइड स्टोरी यह हैं कि एक बहुत बड़ी रणनीति के तहत किया गया हैं,

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ये सिर्फ एक आम ठगी का मामला नहीं हैं इनसाइड स्टोरी यह हैं कि  एक बहुत बड़ी रणनीति के तहत किया गया हैं, एक्चुअल में रशिया के बुकीज पुतिन के सबसे बड़े फाइनेंसर थे इन्ही के पैसे से पुतिन यूक्रेन के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने में सक्षम हुए. अतः एक मास्टरस्ट्रोक की तरह मानवता की मिसाल रखते हुए युद्ध रोकने का उपाय सोचा गया औऱ फाइनली तय हुआ कि रशिया के क्रिकेट बुकीज का पैसा ही लूट लिया जाए,, तो पुतिन की फंडिंग बंद हों जाएगी अंततः युद्ध बंद हो जायेगा Note -- कोई अच्छा डायरेक्टर हो तो लगान -2 बनाई जा सकती हैं फ़िल्म का बेसिक स्क्रिप्ट का हिंट दे ही दिया हैं मुफ्त में, कोई producer मिल जाए तो पूरी कहानी लिख दूंगा

#Rafale बेशक कट्टर कांग्रेसी राफेल डील औऱ रिलायंस डिफेंस भूल चुके हैं लेकिन हम नहीं भूले हैं.

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#Rafale बेशक कट्टर कांग्रेसी राफेल डील औऱ रिलायंस डिफेंस भूल चुके हैं लेकिन हम नहीं भूले हैं. आज जनता पार्टी अध्यक्ष नवनीत चतुर्वेदी ने राफेल डील घोटाले से सम्बंधित क्रिमिनल कंप्लेंट case में अपने बयान एविडेंस दर्ज करवाये, यह लंबी प्रक्रिया हैं क्यूंकि बड़ा जटिल केस हैं, कोर्ट में 30 पेज में पूरा विवरण बताया गया हैं कि इस मामले में फर्जीवाड़ा क्या हुआ हैं!! औऱ उसके साथ पचासो पेज. संबंधित सबूत पेश किए गए हैं आज के बयान. में जनता पार्टी अध्यक्ष नवनीत चतुर्वेदी ने कोर्ट को बताया कि उनका यह क्रिमिनल कंप्लेंट case रिलायंस डिफेंस समूह द्वारा जो इंडस्ट्रियल लाइसेंस लिए गए थे मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स के द्वारा जो राफेल डील हेतु आवश्यक पूर्व निर्धारित योग्यता थी, उस लाइसेंस की प्रक्रिया में धांधली फर्जीवाड़ा हुआ हैं रिलायंस समूह ने मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स, मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेंस, औऱ गृह मंत्रालय को अंधेरे. में रखते हुए अपुष्ट औऱ गलत तथ्य पेश कर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए लाइसेंस लिया गया हैं. इस केस में अगली तारीख अब 11 नवम्बर को दी गई हैं,, शीघ्र ही केंद्र सरकार के तीनों अहम मंत्रालय रक्

हमे कोई राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति नहीं चाहिए।सुप्रीम कोर्ट में जज व कार्यपालिका में पीएम,सीएम,कैबिनेट मंत्री चाहिए।बरगलाने के कार्यक्रम को अब विराम दे देना चाहिए।

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कांग्रेस ने हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति बनाकर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट गायब करके मुसलमानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया!भावुक मुसलमान हामिद अंसारी के माध्यम से इंसाफ ढूंढने में बर्बाद हो गए! बीजेपी ने किसान कौम से आने वाले जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित करके स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को कूड़ेदान में फेंक दिया है! रामनाथ कोविंद दलित समाज से है।पूरे जोर शोर से प्रचारित किया कि हम दलित समाज को प्रतिनिध्व दे रहे है लेकिन उस प्रतिनिध्व का दलित समाज को कितना फायदा मिला वो दलित समाज को बताया जाना चाहिए! रामनाथ जी राष्ट्रपति रहे व पूरे पांच साल में एक बार भी दलित समाज पर हो रहे अन्याय व अत्याचार पर नहीं बोले!जब भी दिखे हाथ जोड़कर लाचारी की मुद्रा में दिखे! जब आदिवासी द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशी घोषित किया तो पहली फोटो मंदिर में झाड़ू लगाने की देशभर में प्रसारित की गई।संकेत साफ है कि आपके समाज से हमने राष्ट्रपति बनाया है आप मंदिरों में झाड़ू-पौछा करते रहें! कांग्रेस ने हामिद अंसारी को उपराष्ट्रपति बनाया लेकिन जीवन के अंतिम मोड़ पर भाजपा उनको देश या गद्दार घोषित करने में लगी

सुष्मिता-ललित प्रकरण में लगा कि सुंदर स्त्रियाँ हर उम्र के मर्दों के लिए ट्रॉफी की तरह होती हैं। ललित मोदी ने अपने औऱ सुष्मिता के पर्सनल फोटोज ट्वीट किए हैं। #Sushmita_sen

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सैफ और रानी की एक फिल्म आई थी हम तुम। जस का तस तो याद नहीं, लेकिन मोटा-मोटी याद है कि उस फिल्म में सैफ रानी को कहता है कि, ‘हम लड़कों का यूँ है कि यदि किसी लड़की ने उसके साथ कॉफी पी ली तो हम दोस्तों को बताते हैं कि मैंने हाथ पकड़ा। यदि हाथ पकड़ा हो तो कहेंगे किस किया।’ जब कॉलेज में थी तो एक दोस्त ने बताया कि मेरा भाई कहता है कि 'नए शहर में लड़कियाँ एक कोल्डड्रिंक के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है।' मेरे लिए यह बात शॉकिंग थी, लेकिन किसी भी सूरत में मैं इस बात पर यकीन नहीं कर पाई थी।  अपने इर्दगिर्द देखा है कि लड़के अक्सर सुंदर लड़कियों के साथ होते हैं तो उसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिखाना चाहते हैं। चाहे दोस्ती ही क्यों न हो, उसे पब्लिसाइज करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते हैं। मुझे लगा था कि यह एक उम्र तक ही होता है। सुष्मिता-ललित प्रकरण में लगा कि सुंदर स्त्रियाँ हर उम्र के मर्दों के लिए ट्रॉफी की तरह होती हैं। ललित मोदी ने अपने औऱ सुष्मिता के पर्सनल फोटोज ट्वीट किए हैं। दूसरी तरफ सुष्मिता ने अभी तक इस विषय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।  सुष्मिता ने भी इंस्टा पर फोटो प