#अमेरिका के बाजारों में लोहे की #जंजीरों में जकड़े , गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले #निग्रो/#काले लोग/ रंगभेद के शिकार आज ये लोग, जिन्हें भेड़ #बकरियों की तरह ख़रीदा व #बेचा जाता था, दास प्रथा का प्रचलन था,

#अमेरिका के बाजारों में लोहे की #जंजीरों में जकड़े , गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले #निग्रो/#काले लोग/ रंगभेद के शिकार आज ये लोग, जिन्हें भेड़ #बकरियों की तरह ख़रीदा व #बेचा जाता था, दास प्रथा का प्रचलन था,

आज वही काले लोग #शिक्षा के दम पर अमेरिका में #सड़क से लेकर वाइट हाउस तक पहुंच गए हैं, 
हर फील्ड में अपनी #हिस्सेदारी तय कर ली है, और गोरों ने इन्हें अपना लिया है❗️

#अब्राहम_लिंकन के प्रयासों से अमेरिका में दास प्रथा का अंत हुआ और नीग्रो जाति मुक्त हुई❗️
#मुक्त होने के बाद नीग्रो लोगों ने रोजगार खोजना शुरू किया❗️
एक वृद्ध और अशक्त नीग्रो काम की तलाश में घूम रहा था❗️

घूमते-घूमते वह #थक गया, किंतु काम नहीं मिला,,, वह एक स्थान पर बैठ गया, वहीं उसकी भेंट मालिक जाति के एक #परिचित व्यक्ति से हुई❗️
बूढ़े नीग्रो की दयनीय दशा देख वह व्यक्ति बोला- तुम्हारी यह क्या हालत हो गई। क्या किसी परेशानी में हो❓
नीग्रो ने कहा- काम नहीं मिल रहा है। 
वह व्यक्ति बोला- पिछले दिनों तो तुम्हारी स्थिति ठीक थी❗️
नीग्रो बोला- उन दिनों मुझे बड़ा आराम था क्योंकि मेरा मालिक #दयालु था❗️

वह मुझ पर कोई #अत्याचार नहीं करता था और कठिन काम नहीं देता था, सहानुभूति जताते हुए उस व्यक्ति ने कहा- फिर तो तुम उन #गुलामी के दिनों में ही #बेहतर थे, यह मुक्ति तुम्हें #महंगी पड़ गई, यह तुम्हारे किस काम की❓
यह सुनते ही उस बूढ़े नीग्रो में न जाने कहां से #ताकत आ गई❗️

वह तनकर खड़ा हो गया और #दृढ़_स्वर में बोला- जी नहीं, महोदय! दासता के जीवन से मुक्ति हजार गुना #बेहतर है, क्योंकि हमारे जीवन पर अब सिर्फ और सिर्फ हमारा अधिकार है, उसे संवारने के लिए हम पूर्णत: मुक्त हैं❗️
यह कहते हुए वह काम की तलाश में #दोगुनी ताकत से चल दिया, मुक्ति मनुष्य के सर्वागीण विकास की पहली शर्त है, वस्तुत: पराधीनता पतन का द्वार है, जबकि मुक्ति प्रगति का❗️

लेकिन, हमारा देश आज भी धर्म, जात पात से ना केवल #ग्रसित है, बल्कि और भी ज़्यादा गहराई में धंसता जा रहा है❗️
जो देश की उन्नति में सबसे बड़ी चुनौती, बाधा है❗️
भारत के #बहुजन समाज के लोग आज भी नहीं चेते है, भले ही हमारे देश में दासप्रथा अब नहीं है, लेकिन भेदभाव का तांडव अभी भी देखने को मिलता रहता है❗️

लेकिन कुछ 2, 3 % जातिवादी, नफ़रति और उनकी कट्टरता से आप, हम उनके पूरे समाज, जाति, धर्म को गलत नहीं #ठहरा सकते❗️
किंतु गलतियों को ग़लत जरूर ठहरा सकते है, जिसका हमे #सवैंधानिक अधिकार भी है❗️

#दुसरो को ग़लत कहने से #अच्छा है, ख़ुद को #आगे लेकर आओ❗️

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