#बस्तर, #छत्तीसगढ़ के आदिवासी मित्र द्वारा पोस्ट हेतु भेजी गई पोस्ट❗️#बस्तरिया_पुटू..!
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#बस्तरिया_पुटू..!
#मशरूम बस्तर की संस्कृति का अहम हिस्सा है। कहीं भी सहजता से पनपने वाले मशरूम बस्तरिया खान पान में मुख्य रूप से सम्मिलित है। बस्तर में लगभग हर तरह के मशरूम पुटू के प्रचलित नाम से ही खाये जाते है। बाजार में किसी भी प्रजाति का कोई भी पुटू तुरंत बिक जाता है। लोगों में इसकी सब्जी खाने का इतना शौक है कि हाथों हाथो, मुंहमांगे दाम में मशरूम खरीद लिये जाते है।
पुटू चुनकर बाजार में बेचने वाले ग्रामीणों के लिए यह फायदे का धंधा है। ग्रामीणों को परंपरागत ज्ञान से मालूम रहता है कि जंगल में पाए जाने वाले कौन से मशरूम खाने योग्य हैं। बस्तर में मशरूम की बहुत सी प्रजातियां खायी जाती है। मशरूम एक साधारण फंफूद संरचना है।
मशरूम मूलतः दो भागों में बंटा हुआ है। पहला भाग छतरी और दुसरा भाग डंडी के रूप में रहता है। दोनो ही भाग खाने योग्य होते है। मशरूम के बहुत से प्रकार है जैसे सफेद छाते वाले, गदावाले, बटन वाले, पैरा पुटू, छाती पुटू, डेंगुर पुटू हरदुलिया मंजूरढूंढा तथा तेन्दूछाती आदि ऐसे बहुत से पुटू है जिनकी सब्जी बेहद ही लजीज और स्वादिष्ट बनती है।
पुटू सुपाच्य कार्बोहाड्रेट एवं प्रोटीन युक्त होते है। इसे बच्चे बूढ़े से लेकर स्वस्थ या बीमार व्यक्ति कभी भी बिना किसी झिझक के खा सकते हैं। इसमें प्राकृतिक रेशे की मात्रा अधिक होने के कारण गैस एवं कब्जियत की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए विशेष लाभप्रद हैं।
इससे हार्ट अटैक का खतरा कम होता है। मशरूम खाने से बहुत से फायदे है। कुछ मशरूम बेहद ही जहरीले होते है। जहरीले मशरूम को खाने से उल्टी दस्त की शिकायत और बेहोशी की स्थिति बनती है ऐसी स्थिति में मौत भी हो सकती है।
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