#पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे #झाग_की_परत जमा करती थी,
#पहले तसला, भगौना, पतीला (खुला बर्तन) में दाल-भात बनता था, अदहन जब अनाज के साथ उबलता था तो बार-बार एक मोटे #झाग_की_परत जमा करती थी,
जिसे दादी रह-रह के निकाल के फेक दिया करती थी। पूछने पर कहती कि "ई सु तबियत खराब होव छ'....
बाद में बड़े होने पर पता चला वो झाग शरीर मे #यूरिक_एसिड बढ़ाता है और दादी इसीलिए वो झाग #फेंक दिया करती थी।
दादी पढ़ी लिखी तो नही थी पर ये चीज़े उन्होंने #परदादी से सीखा था।
अब #कुकर में दाल-भात बनता है, पता नही झाग कहा जाता होगा, ज्यादा दाल खाने से #पेट भी खराब हो जाता हैं,
डॉक्टर कहते हैं #एसिडिटी है,
पुराने ज्ञान को याद करिये #विज्ञान छुपा है उसमे भी.... 🤗
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