1 सितंबर, 1900 को, सुल्तान अब्दुलहमीद द्वितीय के आदेश पर,खिलाफत ए उस्मानिया अधिकारियों ने मदीना मुनव्वरा को दमिशक (सीरीया) और तुर्की के इस्तांबुल से जोड़ने वाली 1,320 किलोमीटर रेलवे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया।
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1 सितंबर, 1900 को, सुल्तान अब्दुलहमीद द्वितीय के आदेश पर,खिलाफत ए उस्मानिया अधिकारियों ने मदीना मुनव्वरा को दमिशक (सीरीया) और तुर्की के इस्तांबुल से जोड़ने वाली 1,320 किलोमीटर रेलवे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। ये प्रोजेक्ट सितंबर 1908 में कंप्लीट हो गया था और प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1916 में नष्ट होने तक रेलवे चालू रहा। आज शायद ही कोई ये बात जानता होगा कि इस महान रेलवे प्रोजेक्ट तैयार करने करने में दुनिया के सभी हिस्सों के आम मुसलमानों द्वारा चंदा जमा किया गया था यहां तक की मुसलमान औरतों ने अपने गहने और ज़ेवर तक इस अज़ीम काम के लिए दान कर दिये थे किसानो ने अपनी जमीन से गुजरने वाली रेलवे लाइनों से प्रभावित किसानों ने ओटोमन राज्य से मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था, तुर्क सैनिकों और अरब सैनिको ने रेलवे लाइन के निर्माण के लिए बिना पैसे लिए मज़दूरी की अरब परिवारों ने यह सुनिश्चित किया कि उनके बेटे अपने पिता का अनुसरण करते हुए महान रेलवे करियर में वॉलेंटियर्स की तरह शामिल हों। ये एक मंहगा प्रोजेक्ट था जिसकी उस वक्त की लागत 4 मिलियन तुर्की लीरा थी यानी लगभग 570 किलों सोना...