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अब कहने के लिए दो बातें हैं। पहली ये की लोग मौकापरस्त होते हैं , ऐसे लोगों से दूर रहिये और दूसरी ये की ईमानदारी से काम करते

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मुझे लगभग तीस हजार लोग पढ़ते हैं इसलिए ये वाकया शेयर कर रही हूँ कि शायद कहीं कोई व्यक्ति इसे पढ़ने के बाद स्वयं के भीतर परिवर्तन खोज सके या अपना आदर कर सके। बात सामान्य सी है पर , कभी-कभी कोई बात लाइफ टर्निंग बन जाती है। बात पाँच-छः महीने पहले की है । मेरे शहर में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है । मैंने उस यूनिवर्सिटी में जॉब करने के लिए अपना रेज़्यूमे भेजा और दो - तीन बार वाइस चांसलर औऱ डीन से मिली भी। उन्होंने मुझे उस जॉब के लिए अशोर भी किया पर कुछ कच्चा-पक्का सा।  एक अनौपचारिक मुलाकात में , मेरा सोशल स्टेटस और फैमिली स्टेटस जानने के बाद , रजिस्ट्रार मुझसे बोली कि आपको जॉब करने की क्या ज़रूरत है आप तो वेल सेटल हैं। मैंने कहा कि मेम मैं बस काम करते रहना चाहती हूँ। एक्टिव बने रहना मेरी लाइफ लाइन है। फिर बात आई-गई हो गयी। उनकी तरफ से कोई पॉज़िटिव रिस्पांस ना आने के कारण मैंने सेम ऑफर पर दूसरी यूनिवर्सिटी को जॉइन कर लिया। मैं दिल से जुड़कर काम करने वाले लोगों में से हूँ। अपना बेस्ट देना मेरी कोशिश होती है बरहाल मैं इस नयी यूनिवर्सिटी के साथ काम करके खुश हूँ। मेरे ऐक्टिवली और समर्पित होकर काम करने क

कागज है जिसके होने से जिंदगी आसान होती है, इसे हलाल तरीके से ग्रहण करने पर सवाब भी मिलता है। इस्लाम में 5 सुतून है उनमें से 2 केवल उनके लिए है जिसके पास यह कागज़ है। 10 जन्नती

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यह वो कागज है जिसके होने से जिंदगी आसान होती है, इसे हलाल तरीके से ग्रहण करने पर सवाब भी मिलता है। इस्लाम में 5 सुतून है उनमें से 2 केवल उनके लिए है जिसके पास यह कागज़ है। 10 जन्नती सहाबी में 5( मेरी जानकारी के मुताबिक) ऐसे कागजों के धनी थे। यह वो कागज है जो हमे साफ पानी, अच्छी डाइट, फिटमॉन्क खजूर, मुसली, शहद दिलवाता है। यही वह कागज़ है जो आपको Abbas Pathan और Abrar Multani जैसे लेखकों की किताबों से आपको परिचित करवा सकता है। यही कागज निकाह जैसी इबादत में दिया जाता है। इस कागज़ में इतना दम है कि यह औलाद के बाल साफ़, खतना और अकीका में काम आता है। यह कागज़ अपने मर चुके मालिको की औलादों का बेहतरीन दोस्त बन सकता है ( डिपेंड कि वह इसे कैसे ट्रीट करते है)। यही वह कागज़ है जिसके बल पर अक्षय कुमार, प्रीति जिंटा, खली सर और लाखो लोग औलादप्रेमी बने है इस्लाम में इस कागज़ को अपनाना एक इबादत है हमे यह इबादत करना चाहिए। इस्लाम ने बकायदा पूरा कोर्स लॉन्च कर रखा है इस कागज़ पर। अल्लाह के खास बंदे इस कागज़ से नफरत नहीं करते वह तो इसे व्यय करके जन्नत में घर कैसे मिलेगा ,इसी सोच के साथ जीते है और इसके लिए

कांग्रेस के 2004 से लेकर 2014 तक के हुकूमत में दो बार ऐसा मौका आया की जब कांग्रेसी नेताओ ने हिंदू संगठनों पर बयान

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कांग्रेस के 2004 से लेकर 2014 तक के हुकूमत में दो बार ऐसा मौका आया की जब कांग्रेसी नेताओ ने हिंदू संगठनों पर बयान दिया और उसपर खूब विवाद हुआ। पहली मर्तबा राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत तिमोटी रोमर से कहा था कुछ मुसलमान लश्कर को सपोर्ट करते है पर भगवा आतंकवाद उससे भी बड़ा खतरा है दूसरी बार शुशील कुमार शिंदे ने 2013 में कहा की बीजेपी आरएसएस हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।ये वही वक्त है जब मुजफ्फरनगर दंगे से पहले खुफिया एजेंसी होम मिनिस्ट्री को रिपोर्ट दे रही थी की वेस्ट यूपी में दंगा कराने की साजिश हो रही है पर ना ही कांग्रेस और न ही यूपी में अखिलेश ने में उसपर कोई एक्शन लिया। आखिर में मुजफ्फरनगर दंगा हो गया। मध्य प्रदेश का सीएम रहते हुए दिग्विजय सिंह के पास इन तमाम संगठनों की रिपोर्टें थी पर उन्होंने सिर्फ सिमी को बैन किया और हिंदू संगठनों पर कोई एक्शन नही लिया। 2006 से 2007 के दौरान समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, नांदेड़ ब्लास्ट,मालेगांव ब्लास्ट और अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट होते रहे। धमाके के कुछ देर बाद ही इसकी जिम्मेदारी सिमी और इंडियन मुजाहिदीन पर डाल द

भारत में बहुत सी गलत फहमियाँ मौजूद हैंआज इनमें से दो पर बात करेंगे। #Urdu #मीट

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भारत में बहुत सी गलत फहमियाँ मौजूद हैं आज इनमें से दो पर बात करेंगे पहली है कि गोश्त मुसलमानों का खाना है और दूसरी ग़लतफहमी यह है कि उर्दू मुसलमानों की भाषा है तो जो पहली गलत फहमी है कि गोश्त मुसलमानों का खाना है उस पर बात करते हैं हमारा परिवार ब्राह्मणों का परिवार था हमारे पड़दादा महर्षी दयानंद के उत्तर प्रदेश में पहले शिष्य थे जब हम लोग बच्चे थे तो हम अक्सर अपने रिश्तेदारों से सुनते थे कि मुसलमान गोश्त खाते हैं इसलिए वो बड़े जालिम होते हैं और हम हिन्दू लोग शाकाहारी होते हैं इसलिए बड़े दयालू होते हैं हम बच्चे लोग इन बातों को सही मानते थे जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ तो एक रोज मैंने यह बात अपने पिताजी के सामने बोली मेरे पिताजी गांधीजी के साथ उनके आश्रम में रह चुके थे और उन दिनों आचार्य विनोबा के भूदान आन्दोलन में गाँव गाँव जाकर गरीबों के लिए जमीन का दान मांगते थे पिताजी मेरी बात सुन कर चिंतित हो गये आज मैं समझ सकता हूँ कि उन्हें चिंता इस बात की हुई होगी कि उनका बेटा साम्प्रदायिक बन रहा है   पिताजी ने मुझे अपने पास बिठाया और बोले तुम्हारी बड़ी बुआ हैं ना उनके बेटों ने दंगों में अपने घर की छत पर चढ़ कर

एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अपने more... #college #teacher #Life

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एक पुराना ग्रुप कॉलेज छोड़ने के बहुत दिनों बाद मिला। वे सभी अपने-अपने कैरियर में बहुत अच्छा कर रहे थे और खूब पैसे कमा रहे थे। जब आपस में मिलते -जुलते काफी वक़्त बीत गया तो उन्होंने अपने सबसे फेवरेट प्रोफेसर के घर जाकर मिलने का निश्चय किया। प्रोफेसर साहब ने उन सभी का स्वागत किया और बारी-बारी से उनके काम के बारे में पूछने लगे। धीरे-धीरे बात लाइफ में बढ़ती स्ट्रेस और काम के प्रेशर पर आ गयी। इस मुद्दे पर सभी एक मत थे कि भले वे अब आर्थिक रूप से बहुत मजबूत हों पर उनकी लाइफ में अब वो मजा नहीं रह गया जो पहले हुआ करता था।  प्रोफेसर साहब बड़े ध्यान से उनकी बातें सुन रहे थे, वे अचानक ही उठे और थोड़ी देर बाद किचन से लौटे और बोले,” डीयर स्टूडेंट्स, मैं आपके लिए गरमा-गरम कॉफ़ी लेकर आया हूँ, लेकिन प्लीज आप सब किचन में जाकर अपने-अपने लिए कप्स लेते आइये।”  लड़के तेजी से अंदर गए, वहाँ कई तरह के कप रखे हुए थे, सभी अपने लिए अच्छा से अच्छा कप उठाने में लग गये। किसी ने क्रिस्टल का शानदार कप उठाया तो किसी ने पोर्सिलेन का कप सेलेक्ट किया, तो किसी ने शीशे का कप उठाया। जब सभी के हाथों में कॉफी आ गयी तो प्रोफ़ेसर साहब ब

जब जुनून और संघर्ष अपनी कहानी बयां करता है तो सफलता की एक ऐसी कहानी बयान करता है वह आने वाले समय में

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जब जुनून और संघर्ष अपनी कहानी बयां करता है तो सफलता की एक ऐसी कहानी बयान करता है वह आने वाले समय में लोगों के लिए मिसाल बन जाती है! कहते हैं मुश्किलें अक्सर दिलों के इरादे आजमाती हैं! और जो इन मुश्किलों को चट्टान से हौसले के जरिए मात देता है इतिहास उनकी गवाही देता है! और आने वाला कल उनके सजदे में झुक जाता है! ऐसी ही जिंदादिली का उदाहरण #राशिद #खान जिनकी गेंदबाजी के आगे दुनिया का महान से महान बल्लेबाज उनकी गेंदों पर घूमता हुआ नजर आता है! इस युवा खिलाड़ी को भी मुश्किलों ने कई बार हराने की कोशिश की लेकिन #राशिद ने हार नहीं मानी! #राशिद जानते थे अगर आज हालात से समझौता कर लिया! तो जिंदगी समझौते में ही बीत जाएगी! लेकिन अगर इससे नजर मिलाकर मुकाबला किया तो आने वाला कल सिर्फ मेरा होगा! अफगानिस्तान के हालात से भला कौन नहीं वाकिफ होगा! #राशिद #खान का जन्म 1998 पूर्वी अफगानिस्तान नगरहर में हुआ था! 10 भाई बहनों का बहुत बड़ा परिवार! अफगानिस्तान युद्ध की वजह से #राशिद #खान को पाकिस्तान में शरणार्थियों की जिंदगी बितानी पड़ी! कई वर्षों तक! बाद में जब हालात सामान्य हुए तो वापस फिर अफगानिस्तान आकर अपनी स

फ़रमान ए #जहांगीरी

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फ़रमान ए जहांगीरी, ये शिलालेख मुग़्ल बादशाह जहांगीर के ज़माने का है जो फ़ारसी ज़बान में पत्थर पर खुदा हुआ है जिस पर किसानो की कर माफ़ी का ज़िक्र है,ये सिरोंज से 12 km दूर भौरियां गांव में नस्ब है, आसार ए मालवा के मुताबिक़ ऐसे दो शिला लेख और है एक रुसल्ली घाट गांव में और दूसरा सिरोंज शहर के टकसाल में था जब टकसाल खत्म हुई तो उसे लाकर कोट में कही नस्ब कर दिया गया थ।मैने काफी तलाश किया लेकिन मिला नहींं।

#बोल_कि_लब_आजाद_हैं_तेरे

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#बोल_कि_लब_आजाद_हैं_तेरे मैंने बचपन से देखा है कि मेरे अब्बा कहीं भी जाते थे कहीं पर भी होते थे, खेतों में बाजारों में सफर में नमाज का टाईम होता था और अब्बा अपनी साफी बिछा कर नमाज पढ़ लेते थे। आज नमाज पढ़ना जुर्म हो गया है तुरंत नमाज पढ़ने के जुर्म में गिरफ्तारी हो जाती है गैर तो खैर नमाज की मुखालिफत कर ही रहे हैं मगर अपनी कौम के बुद्धिजीवी भी ज्ञान देने लगते हैं कि वहां नमाज पढ़ने की क्या जरूरत थी, वहां उन्होंने नमाज क्यों पढ़ी? आज नमाज पढ़ने से उन्हें दिक्कत हो रही है तो बुद्धजीवी कहते हैं नमाज मत पढ़ो। कल सार्वजनिक स्थानों पर टोपी लगाने से दिक्कत होगी फिर कहना कि टोपी लगाना जरूरी है क्या? फिर सार्वजनिक जगहों में उन्हें मुस्लिम हुलिया में दिखने से उनकी भावनाएं आहत होंगी तो कहना कि मुस्लिम दिखना जरूरी है क्या? असल में आप जितना पीछे हटेंगे उतना आपको हटाया जाएगा। ये कहानी तब तक चलती रहेगी जब तक आप अपनी जगह पर डटेंगे नहीं। नमाज के मुद्दे पर सभी मुस्लिम तंजीमें खामोश हैं मतलब उन्हें भी ऐसा लगता है कि सार्वजनिक जगहों में नमाज पढ़ना ग़लत है। अगर मुस्लिम तंजीमों को ऐसा लगता है कि

#लाल_और_सफेद_बैल

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#लाल_और_सफेद_बैल बीजेपी के दिल में पसमांदाओं के प्रति मोहब्बत देखकर मैं कन्फ्यूज था कि आखिर जिस पार्टी की विचारधारा ही मुस्लिम विरोध पर टिकी हो वह पसमांदाओं से इतनी मोहब्बत क्यों दिखा रही है आखिर पसमांदा भी तो मुस्लिम ही हैं।  इस सवाल के जवाब को तलाशने के लिए मैंने शब्बन चच्चा को फ़ोन किया और सलाम दुआ के बाद यही सवाल उनसे पूछा कि चच्चा ये बताएं कि बीजेपी पसमांदाओं से इतनी मोहब्बत क्यों दिखा रही है? चच्चा बोले बच्चा वो लाल बैल और सफेद बैल वाली कहानी याद है या भूल गए हो? मैं बोला चच्चा याद है। चच्चा बोले ये बताओ कि शेर ने लाल बैल से दोस्ती क्यों किया था? उसने लाल बैल को जंगल की घास अकेले खाने का लालच क्यों दिया था? मैं - चच्चा क्योंकि दोनों बैल बहुत ताकतवर थे। दोनों के साथ रहते शेर उनका शिकार नहीं कर सकता था। इसलिए शेर ने सोचा कि अगर इन दोनों को अलग अलग कर दिया जाए तो शिकार करना आसान हो जाएगा। इसलिए शेर ने लाल बैल से कहा कि अगर मैं सफेद बैल को मार डालूंगा तो तुमको ये घास अकेले खाने को मिलेगी और चूंकि तुम मेरे दोस्त होंगे तो जंगल में भी तुम्हारी सब इज्जत करेंगे और फिर लाल बैल

#इस्लाम_वर्सेज_मुसलमानइस्लाम में जिना हराम है मगर

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#इस्लाम_वर्सेज_मुसलमान इस्लाम में जिना हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद इस ताक में रहती है कि कब मौका मिले और हम जिना करें। इस्लाम में शराब हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं एक बड़ी तादाद मुसलमानों की शराब के कारोबार से जुड़ी है। एक बड़ी तादाद मुसलमानों की शराब पीती है। इस्लाम में जुआ हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद जुआ खेलती है, क्लब चलाती है। इस्लाम में ब्याज हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद ब्याज लेती और देती है। इस्लाम में जाति प्रथा नहीं है मगर मुसलमानों में है। इस्लाम में नमाज फर्ज है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। सिर्फ पांच से दस प्रतिशत मुसलमान ही नमाज पढ़ते हैं। इस्लाम अच्छे अखलाक को कहता है मगर मुसलमानों के नजदीक अखलाक के कोई मायने नहीं हैं। इस्लाम में हसद कीना बुग्ज मना है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। इस्लाम में चुगली मुखबिरी मुखबिरी मना है मगर मुसलमानों में आम है। जब मुसलमान इस्लाम को फालो ही नहीं करते तो फिर अल्लाह मुसलमानों की मदद क्यों करें? अल्लाह मुसलमानों की दुआए

#बहुत_बड़ा_कन्फ्यूजन_हैबरेलवी के पास जाओ वह दस हदीसों और सैंकड़ों दलीलों के जरिए साबित

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#बहुत_बड़ा_कन्फ्यूजन_है बरेलवी के पास जाओ वह दस हदीसों और सैंकड़ों दलीलों के जरिए साबित कर देंगे कि शिया देवबंदी वहाबी अहले हदीस अहले कुरान काफिर हैं। अहले हदीस के पास वो दसियों हदीस सैकड़ों दलीलों के साथ बरेलवियों को बिद्दति मुशरिक साबित कर देंगे। देवबंदियों वहाबियों शियाओं अहले कुरान सबके पास खुद के सच दूसरों के काफिर बिद्दति काफिर मुशरिक होने की हजारों दलीलें मौजूद हैं। इन सब दलीलों के बीच हम जैसे सिर्फ चार सूरह, एक कलमा और एक दरूद वाले मुस्लिम कन्फ्यूज हो जाते हैं। हम जैसे लोगों के दिमाग में ये आता है कि अगर मैं बरेलवी हूं तो वहाबी अहले हदीस मुझे जहन्नुम में भेज देंगे। अगर मैं शिया हूं तो सुन्नी मुझे जहन्नुम में भेज देंगे। अगर सुन्नी हूं तो शिया जहन्नुम में भेज देंगे। यानी मैं किसी भी फिरके को मानू मुझे जहन्नुम में भेजने के लिए दूसरे इकहत्तर फिरके बिल्कुल तैयार बैठे हैं। यानी मैं अगर मुस्लिम हूं तो मेरा जहन्नुम में जाना बिल्कुल पक्का है मुझे जहन्नुम में जाने से दुनिया की कोई ताकत मेरे द्वारा की गई कोई इबादत मेरा द्वारा दिया गया कोई सदका कोई जकात नहीं रोक सकती। आखिर हम क

#मीलाद

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#मीलाद याद है मेरे बचपन में गांव में महीने में एक दो बार किसी न किसी के घर में मीलाद हुआ करती थी। जिस दिन मीलाद होना होता था उस दिन शाम को छोटे छोटे बच्चे पूरे गांव में चिल्ला चिल्ला कर मीलाद का बुलव्वा देते थे कि फलां के घर में मीलाद का बुलव्वा है। ईशा बाद गांव के मर्द औरत बच्चे उस घर के दरवाजे इकट्ठे हो जाते थे मर्दों के लिए अलग और औरतों के लिए अलग टाट बिछा दिए जाते थे... एक चौकी में लालटेन जलाकर रख दी जाती थी पढ़ने वाले लोग चौकी के आस पास बैठ जाते थे और सब लोग मीलाद पढ़ते थे। एक दो घंटे पढ़ने के बाद खड़े होकर सलाम पढ़ा जाता था फिर बताशे बांटे जाते थे। बताशे बांटने के लिए बताशों का तसला ऐसे आदमी को दिया जाता था जो रसूली बांट बांटे, खुदाई बांट नहीं... यानी की किसी को कम ज्यादा न दे सबको बराबर दे। कुछ दिनों बाद गांव में कुछ ज्यादा पढ़े लिखे लोग पैदा हुए और उन्होंने मीलाद के बाद खड़े होकर सलाम पढ़ने पर ऐतराज जताना शुरू किया.. जिससे सलाम बैठे बैठे ही पढ़ी जाने लगी.... कुछ दिनों बाद और ज्यादा पढ़े लिखे लोग पैदा हुए और उन्होंने सलाम पढ़े जाने पर ही ऐतराज शुरू कर दिया। उनकी नजर

गौरी शाहरुख़ को छोड़कर मुंबई चली आईं थीं, तब शाहरुख़ आज के शाहरुख़

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गौरी शाहरुख़ को छोड़कर मुंबई चली आईं थीं, तब शाहरुख़ आज के शाहरुख़ नहीं थे, एक कॉलेज में पढ़ने वाले एक नार्मल से लड़के थे जो एक लड़की से प्यार करने लगा था जिसे अपने कॉलेज की एक पार्टी में एक लड़के के साथ डांस करते हुए देखा था. तब का दिल ऐसा लगा कि फिर कहीं लगा ही नहीं. ये लड़का इतना पजेसिव था कि सामने खड़ा 'कबीर सिंह' भी संत आदमी लगे, इसको पसंद नहीं था कि गौरी खुले बाल रखें, ये नहीं चाहता था कि गौरी स्विमिंगसूट पहनें. प्यार बहुत था लेकिन इंसिक्युरिटी उससे भी ज्यादा थी, हो भी क्यों न, खुले बाल में गौरी कमाल जो दिखतीं थीं। वैसे भी स्त्री का खुलापन ही वह एकमात्र चीज है जिससे पुरुष को सबसे ज्यादा भय लगता है. शाहरुख़ नहीं चाहते थे कि कोई और लडका गौरी की तरफ देखे, शाहरुख़ कहते 'मेरे पास मत बैठो, चलेगा, पर किसी और लड़के के पास मत बैठा करो, मुझसे प्यार नहीं करती, चलेगा, लेकिन किसी और से प्यार करोगी तो मुश्किल होगी'. क्या कोई कह सकता है रोमासं का बादशाह कभी इतना इनसिक्योर और इतना पजेसिव रहा होगा? शाहरुख़ की पजेसिवनेस ने गौरी को असहज कर दिया. इतना असहज कर दिया कि शाहरुख़ को बिना बता

पैगंबर मोहम्मद पर लिखी कोई किताब मत पढ़िए... बस दो मिनट का वक़्त

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चलिए आप... पैगंबर मोहम्मद पर लिखी कोई किताब मत पढ़िए... बस दो मिनट का वक़्त दीजिए... और उनका आख़िरी ख़ुतबा (संदेश) पढ़ लीजिए... “मैं जो कुछ कहूँ, ध्यान से सुनो! इंसानों तुम्हारा रब एक है। अल्लाह की किताब और उसके रसूल सअ कि सुन्नत को मजबूती से पकड़े रखना। लोगों की जान-माल और इज्जत का ख्याल रखना, न तुम लोगों पर ज़ुल्म करो, न क़यामत में तुम्हारे साथ ज़ुल्म किया जाएगा। कोई अमानत रखे तो उसमें खयानत न करना। ब्याज के करीब न भटकना। किसी अरबी को किसी अजमी (गैर-अरबी) पर कोई बरतरी हासिल नहीं, न किसी अजमी को किसी अरबी पर, न गोरे को काले पर, न काले को गोरे पर। फज़ीलत अगर किसी को है तो सिर्फ तक़वा व परहेज़गारी से है। रंग, जाति, नसल, देश, इलाके किसी के लिए बरतरी की बुनियाद नहीं है। बरतरी की बुनियाद अगर कोई है तो ईमान और उसका तक़वा है। जो कुछ खुद खाओ, अपने नौकरों को भी वही खिलाओ और जो खुद पहनो, वही उनको पहनाओ। इस्लाम आने से पहले के सभी खून (हत्या) खत्म कर दिए गए, अब किसी को किसी से पुराने खून (हत्या) का बदला लेने का हक नहीं, और सबसे पहले मैं अपने खानदान का खून, रबिया इब्न हारिस का खून, खत्म करता ह

#शाहरुख_खान होना क्या है…? शाहरुख खान को

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#शाहरुख_खान होना क्या है…?  शाहरुख खान को भारत का ग्लोबल स्टार कहना कहीं से भी ज्यादती नहीं होगी।शाहरुख भारत के सॉफ्ट पावर का ग्लोबल ब्रैंड एम्बेसडर है....पर आप यह बात समझने की सलाहियत नहीं पैदा करना चाहते जबकि समझना इतना कठिन नहीं हैं। एप्पल का फोन हर किसी के लिए गर्व की बात हो जाती है और हर जगह दिखाता फिरता है कि मेरे पास एप्पल का फोन है।एप्पल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है जिसका M-Cap 3 ट्रिलियन डॉलर है जो कि हमारे देश भारत की इकॉनमी से ज्यादा है। इस एप्पल के सीईओ टिम कुक जब भारत आये तो शाहरुख खान के यहाँ डिनर पर थे और टिम कुक से मिलने के लिए फिल्मी दुनिया शाहरुख के घर पर थी...........यह है शाहरुख खान। ट्विटर, जिस पर आज पूरी दुनिया की डिप्लोमेसी तय हो जाती है,एक ट्वीट से दुनिया मे बहुत कुछ होने लगता है।ट्वीटर कितना प्रभावी मंच है इसी से अंदाजा लगाइए कि ट्रम्प के राष्ट्रपति रहते ट्विटर ने ब्लॉक कर दिया तो ट्रम्प की आवाज़ दब गई और उनको कोर्ट जाना पड़ा।इसी ट्वीटर का फाउंडर और सीईओ जब भारत आता है तो शाहरुख के घर डिनर के लिए पहुंच जाते हैं................यह है शाहरुख खान। शाहरुख एक हर जर्मनी

#ShahRukhKhan #happybirthday #KingKhan

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नब्बे का दशक शुरू हुआ था। अनिल कपूर अब्दुल रहमान ख़ान नाम के नए लड़के को ड्राइवर का रोल देना चाहते थे। एक फ़िल्म में रोल उसे सिर्फ़ इसलिए मिला क्योंकि आमिर ख़ान ने फ़िल्म छोड़ दी थी और फ़िल्म की हिरोइन जूही चावला को भरोसा दिया गया कि नया लड़का दिखता आमिर जैसा ही है। सोचिए कि उसके इंडस्ट्री में आने से पहले आमिर और सलमान जैसे बड़े नामों का सिक्का चल रहा था। कहां तो आमिर और सलमान का बचपन.. और कहां अब्दुल रहमान ख़ान जिसके पिता को दिल्ली में चाय का खोखा और छोले-भठूरे की दुकान चलानी पड़ रही थी। पिता का देहांत हुआ तो उसे मुम्बई जाना पड़ा, वो भी उस लड़की को छोड़कर जिसे वो बेपनाह मुहब्बत करता था। मां का सपना था कि बेटा फ़िल्मों में नाम कमाए। शुरू में अनचाहे मन से उसने काम शुरू भी किया लेकिन बाद में यही काम उसका जुनून बन गया। आज उसे हम शाहरुख ख़ान के नाम से जानते हैं। शाहरुख बाक़ी एक्टर्स के मुक़ाबले ज़मीन से ज़्यादह जुड़े लगते हैं। वजह यही हो सकती है कि उन्होंने कामयाबी की राह में वही संघर्ष किया है जो हर उस इंसान को करना पड़ता है जिसे विरासत में कुछ नहीं मिलता। ये आदमी बसों और ट्रेनों में घूमा

#जब_ख़ालिद_बिन_वलीद

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#जब_ख़ालिद_बिन_वलीद ने सिर्फ 60 मर्द ए मुजाहिद के साथ मिल कर दुशमन की 60000 फौज को धुल चटाई ये इस्लामी तारीख का वो वाक्या है जिसमे कफन बदोश मुजाहिदों ने बहादुरी की वो मिसाल पेश की और ऐसा अज़ीम किरदार पेश किया कि ख़्वाब में भी ऐसा करना मुम्किन नहीं मालूम होता, जब जबला बिन ऐहम गस्सानी साठ हज़ार सवारों को ले कर मैदान में आया और उसे आते हुए मुजाहिदों ने देखा, तो फौरन हज़रत अबू उबैदा को इस अम्र की इत्तिला पहूंचाई. हज़रत अबू उबैदा रजियल्लाहु अन्हु ने मुजाहिदों को पुकारा और मुसल्लह हो कर मैदान मे जाने का हुक्म दिया और तमाम मुजाहिद अपने हथियारों और घोडों की तरफ दौडे और मैदान में जाने का कस्द किया. लेकिन हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु ने पुकारा कि ए इस्लाम के जां निसारो ठहर जाओ और तव्वकुफ करो. आज मेैं इनको ऐसा चक्मा दूँगा कि इन किसी को भी अपना मूह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे. हज़रत अबू उबैदा रजियल्लाहु अन्हु ने हैरत हो कर कहा कि ए अबू सुलेमान… ऐसा तुमने क्या सोचा है ? फरमाया :- मैं यह चाहता हूं कि इन की अहमियत का राज फाश कर दूं, लिहाजा उसके लश्कर के मुकाबले हमारे चंद मुजाहिद ही जाएं, और क

सरफराज खान...! वही जिसने डॉन ब्रैडमैन तक का रिकॉर्ड तोड़ दिया लेकिन बीसीसीआई ने उसके सब्र को ठोकर मार दिया।

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#सरफराज_खान खान...! वही जिसने डॉन ब्रैडमैन तक का रिकॉर्ड तोड़ दिया लेकिन बीसीसीआई ने उसके सब्र को ठोकर मार दिया। न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के खिलाफ होने वाली टी-20, वनडे और टेस्ट सीरीज के लिए ढेर सारी टीम चुनी लेकिन किसी में सरफराज को शामिल नहीं किया। सरफराज के नाम 43 फर्स्ट क्लास पारियों में 2,928 रन हो गए हैं। वहीं ब्रैडमैन ने 22 फर्स्ट क्लास मुकाबलों में 2,927 रन बनाए थे। कभी-कभी लगता है कि ज्यादा बेहतर खिलाड़ी होना आपके खिलाफ चला जाता है। तभी तो मुख्य चयनकर्ता चेतन शर्मा के द्वारा आपके अद्भुत खिलाड़ी होने का बयान आता है लेकिन टीम में जगह ना बन पाने का हवाला दिया जाता है। रिकॉर्डतोड़ खिलाड़ी सरफराज के लिए जगह नहीं बन सकी? सुनकर बुरा लगता है।  पूरी दुनिया के फर्स्ट क्लास क्रिकेट में जिन बल्लेबाजों ने दो हजार से ज्यादा रन बनाए, उनमें 95.14 के एवरेज के साथ डॉन ब्रैडमैन टॉप पर हैं। इस लिस्ट में 81.49 के साथ सरफराज खान दूसरे स्थान पर आ गए हैं। 2021-22 के सीजन में 982 रन जड़ने के साथ ही सरफराज भारतीय क्रिकेट इतिहास के पहले खिलाड़ी बन गए, जिन्होंने लगातार 2 रणजी सीजन में 900 से अ