#इस्लाम_वर्सेज_मुसलमानइस्लाम में जिना हराम है मगर

#इस्लाम_वर्सेज_मुसलमान

इस्लाम में जिना हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद इस ताक में रहती है कि कब मौका मिले और हम जिना करें।

इस्लाम में शराब हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं एक बड़ी तादाद मुसलमानों की शराब के कारोबार से जुड़ी है। एक बड़ी तादाद मुसलमानों की शराब पीती है।

इस्लाम में जुआ हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद जुआ खेलती है, क्लब चलाती है।

इस्लाम में ब्याज हराम है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। मुसलमानों की एक बड़ी तादाद ब्याज लेती और देती है।

इस्लाम में जाति प्रथा नहीं है मगर मुसलमानों में है।

इस्लाम में नमाज फर्ज है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं। सिर्फ पांच से दस प्रतिशत मुसलमान ही नमाज पढ़ते हैं।

इस्लाम अच्छे अखलाक को कहता है मगर मुसलमानों के नजदीक अखलाक के कोई मायने नहीं हैं।

इस्लाम में हसद कीना बुग्ज मना है मगर मुसलमानों के नजदीक नहीं।

इस्लाम में चुगली मुखबिरी मुखबिरी मना है मगर मुसलमानों में आम है।

जब मुसलमान इस्लाम को फालो ही नहीं करते तो फिर अल्लाह मुसलमानों की मदद क्यों करें?

अल्लाह मुसलमानों की दुआएं क्यों सुनें?

हकीकत यही है कि भारतीय मुसलमान दस प्रतिशत भी इस्लाम को फालो नहीं करते। बस उनके मुसलमान होने की यही पहचान है कि उनका नाम उर्दू में हैं और वे गोश्त, बिरयानी, नल्ला नहारी बड़े चाव से खाते हैं।

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