#जब_ख़ालिद_बिन_वलीद

#जब_ख़ालिद_बिन_वलीद ने सिर्फ 60 मर्द ए मुजाहिद के साथ मिल कर दुशमन की 60000 फौज को धुल चटाई

ये इस्लामी तारीख का वो वाक्या है जिसमे कफन बदोश मुजाहिदों ने बहादुरी की वो मिसाल पेश की और ऐसा अज़ीम किरदार पेश किया कि ख़्वाब में भी ऐसा करना मुम्किन नहीं मालूम होता, जब जबला बिन ऐहम गस्सानी साठ हज़ार सवारों को ले कर मैदान में आया और उसे आते हुए मुजाहिदों ने देखा, तो फौरन हज़रत अबू उबैदा को इस अम्र की इत्तिला पहूंचाई.

हज़रत अबू उबैदा रजियल्लाहु अन्हु ने मुजाहिदों को पुकारा और मुसल्लह हो कर मैदान मे जाने का हुक्म दिया और तमाम मुजाहिद अपने हथियारों और घोडों की तरफ दौडे और मैदान में जाने का कस्द किया. लेकिन हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु ने पुकारा कि ए इस्लाम के जां निसारो ठहर जाओ और तव्वकुफ करो. आज मेैं इनको ऐसा चक्मा दूँगा कि इन किसी को भी अपना मूह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे. हज़रत अबू उबैदा रजियल्लाहु अन्हु ने हैरत हो कर कहा कि ए अबू सुलेमान… ऐसा तुमने क्या सोचा है ?
फरमाया :- मैं यह चाहता हूं कि इन की अहमियत का राज फाश कर दूं, लिहाजा उसके लश्कर के मुकाबले हमारे चंद मुजाहिद ही जाएं, और कसम है रसुल अल्लाह ﷺ की जबला हमारे लश्कर के लोगों को इस हाल में देखेगा कि वह सिर्फ अल्लाह ﷻ की रज़ा मन्दी के लिये ही लडते हैं. हज़रत अबू उबैदा रजियल्लाहु अन्हु ने फरमाया कि तुम्हारी राय मुनासिब है, तुम हमारे लश्कर से मुनासिब मुजाहिदों को चुन लो.
हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु ने फरमाया, मैं चाहता हूं अपने लश्कर से 30 आदमी चुनो और लडो. हमारा एक आदमी 2 हजार दूश्मनों से ( यानी एक मुजाहिद के सामने 2 हजार दूश्मन) सिर्फ 30 आदमी ले कर 60 हजार से लडने जाने की हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु की बात सुनकर सब तअज्जुब मे पड गए. हज़रत अबू सुफियान रजियल्लाहु अन्हु ने पूछा वाक्य आप 30 आदमीयों को लेकर 60 हजार से लडने का इरादा रख़ते हैं ?
फरमाया हां मेरा यही इरादा है, हजरत अबू सूफियान ने फरमाया अगर तुम यह कहते कि हमारा एक आदमी इन के दो आदमियों से लडेगा तो बात ठीक थी मगर एक आदमी 2 हजार से लडे तो इस का मतलब हुवा कि वह अपने हाथों हलाकत में पडता है. हज़रत खालिद रजियल्लाहु अन्हु ने जवाब दिया कि मैं इस्लामी लश्कर में से ऐसे बहादुरों को चुनुगा जिन्होंने अपनी जानों को राहे खुदा में वक्फ कर दिय है, वह सिर्फ अल्लाह और अल्लाह के रसूल की रज़ा मन्दी के लिये ही जेहाद करते हैं, अगर वह जलती हूई आग पर चलेंगे तो आग भी सर्द हो जाएगी.
हज़रत अबू सुफियान ने कहा कि ऐ खालिद मैं तुम्हारी बातों से मुत्तफिक हूं, लेकिन मेरी तुम से दरख्वासत है कि तुम बजाए तीस के साठ आदमियों के साथ जाओ यानी एक हजार नस्रानी के मुकाबले एक मोमिन. और मुझे उम्मिद है कि तुम जरुर कामयाब होगे. अपने मुअज्जज सरदार का हुक्म मानते हुए हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु 30 की बजाए 60 मुजाहिदों को लेकर 60 हजार नस्सरानी के मुकाबले रवाना हुए.
हज़रत खालिद बिन वलीद रजियल्लाहु अन्हु ने अपने साथियों को ताकीद फरमाई कि तुम सिर्फ तल्वार साथ लेना नैजा और तीर कमान साथ मत लेना वरना ख्वाहमुखां इसका वजन उठाना पडेगा और इस को संभालने का तक्कलुफ करना पडेगा. हजरत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु ने फरमाया “एे शम्ए रिसालत के परवानो’ जंग में सब्र और इस्तिकलाल से काम लेना और दुश्मन के मुकाबले साबित कदम रहना. अल्लाह तआला हमारी जरुर मदद फरमायेगा.
तमान मुजाहिदों ने कहा ऐ अबू सुलेमान तुम हमें पीठ फेर कर भागते हुए न देखोगे, हज़रत खालिद बिन वलिद रजियल्लाहु अन्हु और 60 मुजाहिद इस्लामी कैम्प से रवाना हुए. मुजाहिदीन ने तक्बीर की सदा बुलन्द की और इन की मुताबेअत में पूरे लश्कर नार ए तक्बीर का जो शोर बुलन्द किया उस से कोह व सह्रा गूंज उठे. और खैर और आफियत की दूआए दे कर इस्लाम के शैरों को अलविदा कहा.
हज़रत खालिद रजियल्लाहु अन्हु और इन के साथी जब रवाना हुए तो इनके चहरे नूरे ईमान से चमक रहे थे, किसी के चेहरे पे खौफ और दहशत का नाम और निशान नही था. तहफ्फुजे नामूसे रिसालत की खातिर वह अपनी जान खपाने खुशी खुशी जा रहे थे.
और इस तरह चन्द मुसलमानों ने अपने हौसलों के बल पर 60,000 दुश्मनों पर फतह पाई.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के खूंटी जिले में जन्मे थे. ( 3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970). वे एक जाने माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

راہ عزیمت کا مسافر(مجاہد دوراں سید مظفر حسین کچھوچھوی)

ज़ुबैर को रिहा करने का आदेश अगर एक तरफ न्यायपालिका की कार्यवाही को दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर इसी न्यायपालिका को पोल भी खोलता है...