#ShahRukhKhan #happybirthday #KingKhan

नब्बे का दशक शुरू हुआ था। अनिल कपूर अब्दुल रहमान ख़ान नाम के नए लड़के को ड्राइवर का रोल देना चाहते थे। एक फ़िल्म में रोल उसे सिर्फ़ इसलिए मिला क्योंकि आमिर ख़ान ने फ़िल्म छोड़ दी थी और फ़िल्म की हिरोइन जूही चावला को भरोसा दिया गया कि नया लड़का दिखता आमिर जैसा ही है। सोचिए कि उसके इंडस्ट्री में आने से पहले आमिर और सलमान जैसे बड़े नामों का सिक्का चल रहा था। कहां तो आमिर और सलमान का बचपन.. और कहां अब्दुल रहमान ख़ान जिसके पिता को दिल्ली में चाय का खोखा और छोले-भठूरे की दुकान चलानी पड़ रही थी। पिता का देहांत हुआ तो उसे मुम्बई जाना पड़ा, वो भी उस लड़की को छोड़कर जिसे वो बेपनाह मुहब्बत करता था। मां का सपना था कि बेटा फ़िल्मों में नाम कमाए। शुरू में अनचाहे मन से उसने काम शुरू भी किया लेकिन बाद में यही काम उसका जुनून बन गया। आज उसे हम शाहरुख ख़ान के नाम से जानते हैं। शाहरुख बाक़ी एक्टर्स के मुक़ाबले ज़मीन से ज़्यादह जुड़े लगते हैं। वजह यही हो सकती है कि उन्होंने कामयाबी की राह में वही संघर्ष किया है जो हर उस इंसान को करना पड़ता है जिसे विरासत में कुछ नहीं मिलता। ये आदमी बसों और ट्रेनों में घूमा है। किराये के घरों में रहा है। अपनी बचपन की मुहब्बत से लड़-झगड़कर शादी करता है। कई बार बहुत गुस्सा आया तो ज़ाहिर कर दिया लेकिन अहसास होने के बाद मआफ़ी भी मांग ली। ना जाने कितनी ही बार अपने डर को सबके सामने साझा किया और ना जाने कितनी बार अपनी मनचाही फ़िल्में करके मुंह की खाना मंज़ूर किया। उसने अपने मनपसंद घर के लिए मसाला फ़िल्में भी कर लीं। वो फ़िल्म इंडस्ट्री में तब आया जब पिरामिड पर कई लोग बैठे थे। उसने धीरे से अपनी जगह बना ली। मैंने देखा कि उसे दक्षिणपंथियों ने ग़द्दार बताया तो बहुत से लोगों ने मुसलमान मानने से इनकार भी किया। हिंदी, उर्दू, अंग्रेज़ी फ़र्राटे से बोलता है। ह्मयूमर में कोई और ख़ान उसके पास भी नहीं फटक सकता। ख़ुद का मज़ाक़ बनाने में अव्वल। शिष्टाचार और समय के पाबंद हैं। शाहरुख बहुत कुछ अपने जैसे लगते हैं.. बहुत कुछ उन जैसा होने का मन चाहता है।

यौम-ए-विलादत मुबारक किंग ख़ान।

#ShahRukhKhan #happybirthday #KingKhan


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

जयपाल सिंह मुंडा झारखंड के खूंटी जिले में जन्मे थे. ( 3 जनवरी 1903 – 20 मार्च 1970). वे एक जाने माने राजनीतिज्ञ, पत्रकार, लेखक, संपादक, शिक्षाविद् और 1925 में ‘ऑक्सफर्ड ब्लू’ का खिताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी

راہ عزیمت کا مسافر(مجاہد دوراں سید مظفر حسین کچھوچھوی)

ज़ुबैर को रिहा करने का आदेश अगर एक तरफ न्यायपालिका की कार्यवाही को दर्शाता है तो वहीं दूसरी ओर इसी न्यायपालिका को पोल भी खोलता है...