कांग्रेस के 2004 से लेकर 2014 तक के हुकूमत में दो बार ऐसा मौका आया की जब कांग्रेसी नेताओ ने हिंदू संगठनों पर बयान

कांग्रेस के 2004 से लेकर 2014 तक के हुकूमत में दो बार ऐसा मौका आया की जब कांग्रेसी नेताओ ने हिंदू संगठनों पर बयान दिया और उसपर खूब विवाद हुआ।
पहली मर्तबा राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत तिमोटी रोमर से कहा था कुछ मुसलमान लश्कर को सपोर्ट करते है पर भगवा आतंकवाद उससे भी बड़ा खतरा है दूसरी बार शुशील कुमार शिंदे ने 2013 में कहा की बीजेपी आरएसएस हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रही है।ये वही वक्त है जब मुजफ्फरनगर दंगे से पहले खुफिया एजेंसी होम मिनिस्ट्री को रिपोर्ट दे रही थी की वेस्ट यूपी में दंगा कराने की साजिश हो रही है पर ना ही कांग्रेस और न ही यूपी में अखिलेश ने में उसपर कोई एक्शन लिया। आखिर में मुजफ्फरनगर दंगा हो गया।
मध्य प्रदेश का सीएम रहते हुए दिग्विजय सिंह के पास इन तमाम संगठनों की रिपोर्टें थी पर उन्होंने सिर्फ सिमी को बैन किया और हिंदू संगठनों पर कोई एक्शन नही लिया।
2006 से 2007 के दौरान समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, नांदेड़ ब्लास्ट,मालेगांव ब्लास्ट और अजमेर शरीफ दरगाह ब्लास्ट होते रहे। धमाके के कुछ देर बाद ही इसकी जिम्मेदारी सिमी और इंडियन मुजाहिदीन पर डाल दी जाती और मुस्लिम लड़कों के गिरफ्तारी का दौर शुरू हो जाता बाद में हेमंत करकरे ने खुलासा किया की इन धमाकों के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ था फिर भी इन संगठनों पर कोई एक्शन नही लिया गया और आज जब कांग्रेस की हुकूमत नही है तो कर्नाटक में कांग्रेसी नेता पीएफआई को बैन करवाने के लिए सीएम से मिले है। अभी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक पत्रकार ने राहुल गांधी से पीएफआई पर उनकी राय जाननी चाही तो उन्होंने कहा की वो किसी भी कम्यूनल संगठन को सपोर्ट नही करते, यानी जांच अभी पूरी भी नही हुई और ये कम्यूनल ग्रुप होने का सर्टिफिकेट भी बांटने लगे। आज दिग्विजय सिंह कह रहे है पीएफआई ,आरएसएस, वीएचपी एक जैसी संगठन है पर इनसे पूछिए की आजतक इन्होंने आरएसएस और वीएचपी पर क्या एक्शन लिया है बल्कि अभी भी जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहा क्या एक्शन लिया जा रहा है तो बस जवाब मिलेगा उसके खिलाफ बोल रहे है।
और जब हम कहते है कांग्रेस बीजेपी एक सिक्के के दो पहलू है तो यहां बहुत लोगो को बुरा लगता है की कांग्रेस जैसी सेकुलर पार्टी पर हम गलत इल्जाम लगाते है।

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