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*बैतूल मुकद्दस के अंदर ऐसा क्या था ?*

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*बैतूल मुकद्दस के अंदर ऐसा क्या था ?* *जिसकी वजह से यहूदी ,ईसाई और मुसलमान इस जगह को मुक़द्दस मानते है*   *किब्ला क्या है* ?  *सबसे पहले ये जानिए* *हज़रत आदम अलैहिस्सलाम से लेकर हजरत मूसा अलैहिस्सलाम तक नमाज (इबादत) पढ़ते वक़्त चेहरे का रुख यानि क़िब्ला क़ाबा शरीफ़ की तरफ़ रहा* *उसके बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से लेकर प्यारे नबी सल्लेल्लाहो अल्लेही व सल्लम (17माह) तक क़िब्ला बैतूलमुकद्दस रहा* *यानि बैतूल मुक़द्दस भी क़िब्ला था* *ये इबादतगाह (पुराना क़िब्ला) दरअसल एक मुक़द्दस चट्टान है* *हजरत दाऊद अलैहिस्सलाम चाहते थे यहाँ एक आलीशान इबादतगाह बने*   *उनके ख्वाब को साकार करने के लिए उनके बेटे सैयदना सुलैमान अलैहिस्सलाम ने उस चट्टान के ऊपर एक इबादतगाह (हैकल) बनवाई* *जिसे हैकल-ऐ-सुलेमानी कहते है* *यही बैतूल मुकद्दस है जिसका अर्थ है- पवित्र घर*  *बैतूल मुक़द्दस (यरूशलम) और बैतुल्लाह (मक्का) दोनों अल्लाह के घर हैं* *दोनों के मायने क्रमशःपवित्र घर और अल्लाह का घर हैं* *सोचिए कितनी अज़ीम निशानी है*  *बैतूल मुक़द्दस* *जब हजरत सुलैमान अलैहिस्सलाम बैतूल मुक़द्दस तामीर करवा रहे थे*  *उसी दरमियाँ उन की वफ

1996 में अल जजीरा बना था, महज एक अरबी चैनल के रूप में बना। तब

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1996 में अल जजीरा बना था,  महज एक अरबी चैनल के रूप में बना। तब मिडिल ईस्ट के देशों में तब कोई स्वतंत्र चैनल नही था। स्टेट चैनल होते थे, जिनका काम देश के नेता का गुणगान करना, अच्छे दिनों का बखान करना, और खबरों को दिखाने की बजाय दबाना होता था।  ●● तो अल जजीरा मिडिल ईस्ट के रेगिस्तान में एक नई हवा बना। सन्तुलित, निष्पक्ष कंटेंट, जमीनी रिपोर्टिंग, वो सुनाता कम, दिखाता ज्यादा.. जो जहां जैसा है, देखिये। बोलने का मौका सभी पक्षों को मिलता। अरबी चैनल होने के बावजूद अंग्रेजी को भरपूर तरजीह दी।  दुनिया के बड़े और नामचीन पत्रकारों को जोड़ा। जर्नलिज्म के एथिक्स तय किये। दुनिया मे बीबीसी की जो वकत है, जो आदर्श हैं, जो शांत विचारण है, वह अल जजीरा के लिए तय किया गया मॉडल था।  ●● उस दौर में जब अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, 9-11, अरब स्प्रिंग जैसी घटनाएं हो रही थी, अल जजीरा ने कमाल किया।  हैरतअंगेज जमीनी रिपोर्ट, लाइव वार जोन, जान हथेली पर लेकर चलते पत्रकार। 10 से ऊपर पत्रकार मारे जा चुके, कुछ कैप्चर हुए, बहुतेरे घायल। लेकिन न अल जजीरा डरा, न उसके निडर पत्रकार।  ●● उसने तस्वीर का दूसरा रुख भी सामने रखा। अर

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज्यादा निकाहक्यू किए ??"काफी अरसे की बात

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नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज्यादा निकाह क्यू किए ?? "काफी अरसे की बात है कि जब मे लियाकत मेडिकल कॉलेज में सर्विस कर रहा था, तो वहा लडको ने सीरत नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कान्फ्रेंस का प्रोग्राम बनाया और तमाम उस्तादो को बुलाया गया ! फिर मेने डाक्टर इनायत साहब जो कि हड्डी जोड के माहिर थे के साथ इस मजलिस मे शिरकत की, इस मजलिस मे एक इसलामियत के लेक्चरर ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पर्सनल जिंदगी पर खुल कर बयान किया, और आपकी एक एक शादी की तफसील बताई के ये शादी क्यू की और इससे उम्मत को क्या फायदा हुआ? ये बयान इतना उम्दा था कि हाजिर होने वाले लोगो ने इसको बहुत सराहा ! कान्फ्रेंस के खत्म होने के बाद हम दोनो कार से हैदराबाद आ रहे थे, तो डाक्टर इनायत साहब ने अजीब बात की, उसने कहा कि आज रात मे दोबारा मुसलमान हुआ हुं, मेने तफसील पुछा तो उसने बताया कि आठ साल पहले जब वो पढाई के लिए लन्दन गया, सफर काफी लम्बा था, हवाई जहाज मे एक एयर होस्टेस मेरे साथ आकर बैठ गई, एक दुसरे के हालत बताने के बाद उस औरत ने मुझसे पुछा के तुम्हारा मजहब क्या है? मेने कहा इस्लाम ! हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल

इस विश्वकप के पिछले कुछ मैचों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर

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इस विश्वकप के पिछले कुछ मैचों ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर मै किसे बहुत बङा बल्लेबाज मानूं या किसे बहुत बङा गेंदबाज मानूं? कौन सी टीम को बङी और खतरनाक टीम मानूं और कौन सी टीम को मै साधारण टीम मानूं? बल्लेबाजों के विषय में गहन अध्ययन करने के बाद यह पता चला है कि एशियाई बल्लेबाज स्विंग को मदतगार पिचों पर फेफङे के बल खङे होकर बल्लेबाजी करते दिखते हैं वहीं सेना देशों के बल्लेबाज स्पिनर को मदतगार पिचों पर बल्ले की बजाय आंखों से खेलते नजर आते हैं। मतलब साफ है कि आजकल बल्लेबाजों की स्किल लगभग लगभग शून्य है। अगर मैदान फ्लैट होगा तभी 350 रन बना पाएंगे अन्यथा आज हमने इंग्लैंड को डेढ सौ पर आलआउट होते हुए भी देखा है। सही बात तो यह है कि बल्लेबाज वही है जो किसी भी पिच पर रन बनाने की क्षमता रखे। हमने विराट कोहली को इस श्रेणी मे रखा है जो किसी भी पिच पर रन बना सकते हैं। एक महान बल्लेबाज कभी भी रन बनाने के लिए पिच की सहायता पर निर्भर नही होता है। ऐसा लगता है जैसे इंग्लैंड के सभी बल्लेबाज केवल पिच कैसे रन बनाने के लिए मदत करेगी शायद इसी बात पर निर्भर हैं और शायद यही वजह है कि उस इंग्लैंड क

शेरशाह सूरी की गिनती उन बादशाहों में होती है जिनके साथ इतिहास ने कभी न्याय नहीं किया. शायद इसका कारण ये रहा हो कि उन्होंने सिर्फ़ पाँच वर्षों

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शेरशाह सूरी की गिनती उन बादशाहों में होती है जिनके साथ इतिहास ने कभी न्याय नहीं किया. शायद इसका कारण ये रहा हो कि उन्होंने सिर्फ़ पाँच वर्षों तक भारत पर राज किया और उनकी मौत के दस वर्षों के भीतर उनके वंश का शासन भी समाप्त हो गया. शेरशाह की जीवनी लिखने वाले कालिकारंजन क़ानूनगो लिखते हैं, "शेरशाह का शासन भले ही सिर्फ़ पाँच वर्षों का रहा हो लेकिन शासन करने की बारीकी और क्षमता, मेहनत, न्यायप्रियता, निजी चरित्र के खरेपन, हिंदुओं ओर मुसलमानों को साथ लेकर चलने की भावना, अनुशासनप्रियता और रणनीति बनाने में वो अकबर से कम नहीं थे." शेरशाह सूरी का असली नाम फ़रीद था. उन्होंने मुग़ल सेना में काम किया था और बाबर के साथ 1528 में उनके चंदेरी के अभियान में भी गए थे. बाबर की सेना में रहते हुए ही उन्होंने हिंदुस्तान की गद्दी पर बैठने के ख़्वाब देखने शुरू कर दिए थे. अपनी किताब 'तारीख़-ऐ- शेरशाही' में अब्बास सरवानी एक किस्सा बताते हैं, "एक बार शेरशाह बाबर के साथ खाना खा रहे थे. उन्हें खाते हुए देख बाबर ने अपने ख़ासमख़ास ख़लीफ़ा से कहा, इसके तेवर देखो. मैं इसके माथे पर सुल्तान बनने की

चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक

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◆◆ ऊंचा क़द ◆◆    चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक कोई ख़बर नहीं आई थी कि वह पापा को लेने कब आएंगे. यह कोई पहली बार नहीं था कि बड़े भइया ने ऐसा किया हो. हर बार उनका ऐसा ही रवैया रहता है. जब भी पापा को रखने की उनकी बारी आती है, वह समस्याओं से गुज़रने लगते हैं. कभी भाभी की तबीयत ख़राब हो जाती है, कभी ऑफिस का काम बढ़ जाता है और उनकी छुट्टी कैंसिल हो जाती है. विवश होकर मुझे ही पापा को छोड़ने मुंबई जाना पड़ता है. हमेशा की तरह इस बार भी पापा की जाने की इच्छा नहीं थी, किंतु मैंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और उनका व अपना मुंबई का रिज़र्वेशन करवा लिया. दिल्ली-मुंबई राजधानी एक्सप्रेस अपने टाइम पर थी. सेकंड एसी की निचली बर्थ पर पापा को बैठाकर सामने की बर्थ पर मैं भी बैठ गया. साथवाली सीट पर एक सज्जन पहले से विराजमान थे. बाकी बर्थ खाली थीं. कुछ ही देर में ट्रेन चल पड़ी. अपनी जेब से मोबाइल निकाल मैं देख रहा था, तभी कानों से पापा का स्वर टकराया, “मुन्ना, कुछ दिन तो तू भी रहेगा न मुंबई में. मेरा दिल लगा रहेगा और प्रतीक को भी अच्छा लगेगा.” पापा के स्वर की आर्द्रता पर

भूगोल शास्त्री इदरीसी का पुरा नाम अबू अब्दुल्ला मुहम्मद अल-इदरीसी है. वो मुस्लिम

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अबू अब्दुल्ला मुहम्मद अल-इदरीसी (1100 ई. - 1166 ई.)  भूगोल शास्त्री इदरीसी का पुरा नाम अबू अब्दुल्ला मुहम्मद अल-इदरीसी है. वो मुस्लिम भूगोलवीद्‌ , मानचित्र कार और वैज्ञानिक भी थे. इदरीसी का जन्म स्पेन के क़स्बे सिब्ता में हुआ. उन्होंने क़िरतबा में प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद आपको विभिन्न देशों की यात्रा का शौक हुआ. लिस्बन, मोराक्क़ो, कुस्तुनतुनिया(Constantinople) और एशियाई कूचक से इंग्लैंड और फ्रांस तक गए.  पचास वर्ष की आयु में इदरीसी नोरमन शासक रोजर द्वितीय के दरबार में अच्छे पद पर आसीन हो गये. वह शासक विद्या का शौकीन था. उसने इदरीसी से संसार का नमुना बनाने को कहा. इदरीसी ने वह नमुना 450 पाउण्ड चांदी से तय्यार किया. उन्होंने अपने नमुने में अंतरीक्ष को चक्र के रुप में दिखाया है. रोजर ने विभिन्न देशों की भूगोलिक स्थिति को पाता लगाने के लिए अपने आदमी वहां भेजें. उन्होंने जो ब्योरा दिया उसके आधार पर एक पुस्तक " नुज़हस्तुल मुशताक़" लिखी. उन्होंने संसार को जलवायु के हिसाब से सात कटिबंधों में विभाजित किया. उनकी किताब किंग रोजर के नाम अर्पित है इसीलिए उसका नाम रोजरी भी

उपर वाला डाउनफाल कैसा भी दे दे, लेकिन कमबैक कुलदीप यादव जैसा करवा दे:-

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उपर वाला डाउनफाल कैसा भी दे दे, लेकिन कमबैक कुलदीप यादव जैसा करवा दे:- हम बात कर रहे हैं 2023 वर्ल्डकप में इंडियन बोलिंग यूनिट की धुरी बन चुके कुलदीप यादव की, कुलदीप यादव ने जो वापसी की है वो वाकई कमाल है। कुलदीप यादव चाइनामैन गेंदबाज हैं, इस श्रेणी के गेंदबाज विश्वस्तर पर बहुत कम मौजूद हैं। जब किसी टीम के एक स्पेशल खिलाड़ी के खिलाफ खेलने के लिए विपक्षी टीमें प्लान बनाने लग जाएं तो समझ लो कि वो खिलाड़ी अपनी टीम का खास खिलाड़ी है। पाकिस्तान के खिलाफ मैच से पहले पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स को, ऑस्ट्रेलियाई एक्सपर्ट्स को कुलदीप के बारे में बात करते व कुलदीप के अगेंस्ट खेलने के लिए अपनी टीम के खिलाड़ियों को सलाह देते देखा गया। एशिया कप से पहले जब पाकिस्तान टीम के सलेक्शन के बाद प्रेस कांफ्रेंस में एक पत्रकार ने पाकिस्तान के पूर्व लीजेंड क्रिकेटर व वर्तमान मुख्य चयनकर्ता इंजमाम उलहक से नवाज के चयन के बारे में सवाल किया तो इंजमाम उलहक ने जवाब दिया "मैं अब कुलदीप यादव का चयन तो कर नहीं सकता, क्योंकि वो दूसरी टीम के खिलाड़ी हैं, अब हमारे पास जो विकल्प मौजूद है उन्हीं में से बेहतर चुन सकते हैं।&

अगर इस विश्वकप में हार्दिक पांड्या पूरी तरह से फिट थे तब वे अपने कोटे के पूरे 10

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अगर इस विश्वकप में हार्दिक पांड्या पूरी तरह से फिट थे तब वे अपने कोटे के पूरे 10 ओवर क्यों नही डालते थे? क्या हार्दिक पांड्या पूरी तरह से फिट नही थे? क्या जब वे पीठ की समस्या से चोटिल हुए थे और उनको सालों पहले स्ट्रेचर पर लादकर मैदान से बाहर ले जाया गया और फिर उनका आपरेशन हुआ फिर जब वे टीम में आए तब वे पूरी तरह फिट थे? अगर हार्दिक पांड्या उस आपरेशन के बाद पूरी तरह फिट थे तो फिर ऐसी कौन सी मजबूरी थी कि वे टेस्ट के बेस्ट आलराउंडर होते हुए भी टेस्ट मैच खेलने से दूर भागने लगे? यहां तक कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल इंग्लैंड में होना था जहां एक तेज गेंदबाजी आलराउंडर की भारत को सख्त जरूरत थी लेकिन न तो चयनकर्ताओं ने हार्दिक को कंसीडर किया और न ही हार्दिक ने इच्छा जताई कि वह टेस्ट मैच खेलना चाहते हैं। हार्दिक ने उस समय बयान दिया था कि वे डायरेक्ट टेस्ट टीम में नही जाना चाहते बल्कि वे जब उस लायक खुद को साबित कर देंगे तब जाऐंगे। हार्दिक के इस बयान के बहुत बङे मायने हैं जहां तक मेरा मानना है वर्तमान में हार्दिक पांड्या से बङा आलराउंडर भारत मे नही है जो तेज गेंदबाजी भी कर सके तो क्या टीम मैने

बेटियाँ मर रही हैं..

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बेटियाँ मर रही हैं.. टीवी पर ऐड आता है सिर्फ़ एक कैप्सूल 72 घंटे के अंदर अनचाही प्रेग्नेंसी से छुटकारा??? बिना दिमाग की लड़कियां फ़ॉर्म में.. हर हफ्ते नया बॉयफ्रेंड से'क्स फ़िर गोलियाँ जिसका न कंपोजीसन पता होता है न कांसेप्ट ... बस निगल जाती हैं.. इन फेक गोलियों में अरसेनिक भरा होता है यह 72 घंटों के अन्दर सिर्फ़ बनने वाले भ्रूण को खत्म नहीं करता बल्कि पूरा का पूरा fertility system ही क्राफ्ट कर देता है शुरू में तो गोलियाँ खाकर सती सावित्री बन जाती हैं, लेकिन शादी के बाद पता चलता है ये बाँझ बन गईं, अब माँ नहीं बन सकती.... तो सबको पता चल जाता है इनका भूतकाल कैसा रहा है पर कोई बोलता नहीं ज़िंदगी ख़ुद अभिशाप बन जाती है... पहली चीज़ प्रेग्नेंट नहीं होना तो से'क्स क्यों और दूसरी चीज़ आशा, ANM, आंगनवाड़ी, सरकारी स्वास्थ्य केंद्र क्या झक्क मारने के लिए है। सरकार हर साल मातृत्व सुरक्षा के नाम पर करोड़ों फूक देती है और आपकी जुल्मी लड़कियाँ ख़ुद डॉक्टर बन जाती हैं.. आज हालत ये है 13-14 साल की बच्चियां बैग मे i-pill लेकर घूम रही है ये मरेंगी नहीं तो क्या होगा.. कभी समय निकाल कर अपनी बेटी

हर खिलाङी का सपना होता है कि वह विश्वकप खेले और इसके लिए सभी खिलाङी अपने

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हर खिलाङी का सपना होता है कि वह विश्वकप खेले और इसके लिए सभी खिलाङी अपने तरफ से जी तोङ मेहनत करके तैयारियां करते हैं। कुछ खिलाङी बहुत मेहनत करने के बाद भी विश्वकप की टीम में जगह नही बना पाते हैं और कुछ बगैर मेहनत किए डायरेक्ट अपनी किस्मत की वजह से टीम में जगह पा जाते हैं। आज हम चर्चा करने जा रहे हैं उन खिलाङियों की जो भारतीय विश्वकप टीम में डिजर्व नही करते थे फिर भी टीम में हैं और जो वाकई मे डिजर्व करते थे वह बाहर हैं। रविचन्द्रन अश्विन विश्वकप की प्रोविजनल टीम में शामिल नही थे और अचानक से वे फोन से रोहित से बात करना प्रारम्भ करते हैं जैसा कि रोहित शर्मा ने स्वतः बताया था कि उनकी बात अश्विन से होती रहती है फिर जब संशोधित टीम आई तो उनका नाम विश्वकप की टीम में शामिल कर लिया गया। रविचन्द्रन अश्विन एक महान गेंदबाज हैं लेकिन वह टेस्ट में महान गेंदबाज हैं अगर बात की जाए वनडे की तो वह वनडे में एक औसत गेंदबाज ही साबित हुए हैं। इस विश्वकप में अभी तक स्पिन फ्रैंडली पिचों को देखकर और अश्विन की साधारण गेंदबाजी देखकर यजुवेन्द्र चहल की याद आती है। व्हाइट बाल क्रिकेट में यजुवेन्द्र चहल रविचन्द्रन अश्

अगर भारत यह विश्वकप हार गया तो सबसे पहले गाज कोच राहुल द्रविङ पर गिरेगी

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अगर भारत यह विश्वकप हार गया तो सबसे पहले गाज कोच राहुल द्रविङ पर गिरेगी फिर कप्तान रोहित शर्मा को कप्तानी से मुक्त कर दिया जा सकता है। 2019 विश्वकप में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा था लेकिन कप्तान पद से उसके बाद ही विराट कोहली को हटाने की मुहिम शुरू हुई और अंततः कोहली ने कप्तानी छोङ दी थी।  ऐसा भारत में ही क्यों होता है कि विश्वकप के तुरंत बाद कप्तान बदल जाते हैं लेकिन नतीजा शून्य ही रहता है। 2019 में भारत का जो टाप आर्डर का प्रदर्शन था वही चार साल बाद हूबहू देखने को मिला तो क्या इस बात से सहमत हो सकते हैं कि कप्तान,कोच बदलने से कोई विशेष परिवर्तन नही हुआ है। यह टीम भी विश्वकप नही जीत पाएगी ऐसा अभी तक तो लग रहा है। ऐसे में सवाल यह भी है कि जब भारत इस विश्वकप को नही जीत पाएगा फिर भावनाऐं आहत होंगी मीटिंग होगी तो फिर कप्तान और कोच बदले जा सकते हैं ऐसे में अगला कप्तान कौन होगा?  अगर वर्तमान परिदृश्य को देखा जाए तो केएल राहुल इस समय बेहतरीन लय में दिख रहे हैं हां वह अलग बात है कि जब 325 प्लस रन चेज करना होगा तब उनकी टुकटुक बल्लेबाजी कैसे मैच जिता पाएगी यह सवाल का जवाब अभी भी निरू

ढूंढ़ो गे अगर मुल्कों-मुल्कों - मिलने को नहीं नायाब हैं हम ।

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ढूंढ़ो गे अगर मुल्कों-मुल्कों - मिलने को नहीं नायाब हैं हम ।                        =======================                                  मगध की अज़ीम शख़्सियत हज़रत मौलाना जमाल अहमद क़ादरी रहमतुल्लाह अलैह मुल्क के एक बड़े आलिम ए दीन और इस्लामी शिक्षा के बड़े विद्वान थे।उन्हों ने भले ही दस साल क़बल इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन उनके प्रभावशाली और आकर्षक ब्यक्तित्व को भुलाया नहीं जा सकता।उनकी यादें ज़ेहन को हमेशा कचोटती रहती हैं।                 पिछले दस दिनों से बार -बार उनकी पुर जमाल शख़्सियत का साया मेरी आंखों के सामने से आकर ओझल हो जाता है।यह क्या मामला है जो मेरी समझ से परे है।इस रूहानी कैफ़ियत ने मुझे मोबाईल के की-बोर्ड पर हाथ फेरते हुए उन्हें अक़ीदत का ख़िराज पेश करने पर मजबूर कर दिया है।                     मैं सर से पैर तक गुनाहों के समुन्द्र में डूबा हुआ इंसान हूं और उन जैसे बड़े आलिम ए दीन की दुआ का मोहताज हूं।फिर भी अपने टूटे-फूटे लफ़्ज़ों से मैं ने दुआ की है कि ख़ुदाया उनकी रूह को सुकून अता करे और जन्नतुल फिरदौस में आला मुक़ाम दे।                    मौलाना जमाल साहब

फिलस्तीन-इजराइल संकट - हमास ने आखिर इजरायल के विरुद्ध व्यापक व गहरे युद्ध

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(1) फिलस्तीन-इजराइल संकट - हमास ने आखिर इजरायल के विरुद्ध व्यापक व गहरे युद्ध का समय अभी क्यों चुना? दुनिया के दो धुर्वो के मध्य तीव्र होते अंतर्विरोध के समय मे इस कार्यवाही के क्या निहितार्थ है व कौनसी शक्तियां नए अंतर्विरोध पैदा करने में जी जान से जुटी हुई है। इन सवालों की पड़ताल से पहले हम वर्तमान वैश्विक घटनाक्रम के सबसे मुख्य पहलुओं की पृष्ठभूमि को जरा संक्षिप्त में समझने की कोशिश करे। रूस के साथ युक्रेन को लेकर पश्चिम व नाटो के युद्ध को दो वर्ष होने जा रहे है। 24 फरवरी 22 को रूस ने युक्रेन के पूर्व भाग के रूसी मूल के निवासियों को नरसंहार से बचाने के लिए स्पेशल ऑपरेशन शुरू किया था। वैसे लोकतांत्रिक मीडिया इस युद्ध को रूस युक्रेन युद्ध बता रहा है मगर युक्रेन के साथ व उसके पीछे मुख्य लड़ाई नाटो देश लड़ रहे है जिसकी अगुवाई अमेरिका कर रहा है। रूस ने युक्रेन के विरुद्ध जब स्पेशल ऑपरेशन शुरू किया था तब अमेरिका व नाटो ने रूस प

इजराइल हमास की ये जो लड़ाई चल रही है। इसमें जिस तरीके से हमास ने इजराइल के पूरे सर्विलांस सिस्टम को फ़ैल किया इसे कई सालों तक पढ़ा जाता रहेगा।

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इजराइल हमास की ये जो लड़ाई चल रही है। इसमें जिस तरीके से हमास ने इजराइल के पूरे सर्विलांस सिस्टम को फ़ैल किया इसे कई सालों तक पढ़ा जाता रहेगा।  कैसे उन लोगों ने आज की सबसे बढ़िया टेक्नोलॉजी को फ़ैल कर दिया, कैसे उन्होंने आज की सबसे बढ़िया मशीनी सर्विलांस को फ़ैल कर दिया।  इजराइल ने गाज़ा को 100% सर्विलांस पर रखा हुआ है, हर 10 मिनट में गाज़ा का हर मीटर फोटोग्राफ होता है इजराइल द्वारा, फिर वो सब तसवीरें आज की बेस्ट AI को दी जाती है इमेज ऑब्जेक्ट रिकग्निशन के लिए, फिर उन सब पैटर्न्स पर आज के सबसे सोफिस्टिकेटेड मशीन लर्निंग मॉडल्स चलते हैं, और इतना ही नहीं, गाज़ा की हर ईमेल, हर सेल फ़ोन की कन्वर्सेशन, हर SMS मैसेज, कलेक्ट होता है, और उसको भी मशीन लर्निंग मॉडल्स में दिया जाता है, ये सब इस स्तर पर भारत या चीन जैसे देश भी इम्प्लीमेंट करने का सोच नहीं सकते हैं आज,  अब ये सब के अलावा इजराइल के गाज़ा के अंदर भी ह्यूमन spies हैं, जिनकी के इनपुट्स भी ध्यान में ली जाती है।  गाज़ा के एक एक इंसान की एक एक घर की प्रोफाइलिंग हो रखी है, उनके एक एक मूवमेंट की हो रखी है।  लेकिन फिर भी ये हमला हो गया ! .

आपके बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताएं कि हम फिलिस्तीन से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि ये फिलीस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।

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आपके बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताएं कि हम फिलिस्तीन से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि ये फिलीस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।  • हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फिलीस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई। • अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था। • हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया। • हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे। • कुरान में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था “ऐ चींटियों अपने बिलों में घुस जाओ” ये किस्सा यहिं फिलीस्तीन ‘असक़लान’ शहर की वादी में पेश आया था। • हज़रत ज़करिया (अलै०हिस०) का मेहराब भी इसी शहर में है। • हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ। उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है। • इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की