आपके बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताएं कि हम फिलिस्तीन से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि ये फिलीस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है।

आपके बच्चे आपसे पूछे या ना पूछे, आप उन्हें ज़रूर ये बताएं कि हम फिलिस्तीन से इसलिए मोहब्बत करते हैं कि ये फिलीस्तीन नबियों का मसकन और सरजमीं रही है। 

• हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने फिलीस्तीन की तरफ हिजरत फ़रमाई।

• अल्लाह ने हज़रत लूत अलैहिस्सलाम को उस अज़ाब से निजात दी जो उनकी क़ौम पर इस जगह नाज़िल हुआ था।

• हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ने इस सरजमीं पर सकूनत रखी और यहां अपना एक मेहराब भी तामीर फ़रमाया।

• हज़रत सुलेमान (अलै०हिस०) इस मुल्क में बैठ कर सारी दुनिया पर हूकूमत करते थे।

• कुरान में चींटी का वह मशहूर किस्सा जिसमें एक चींटी ने बाकी साथियों से कहा था “ऐ चींटियों अपने बिलों में घुस जाओ” ये किस्सा यहिं फिलीस्तीन ‘असक़लान’ शहर की वादी में पेश आया था।

• हज़रत ज़करिया (अलै०हिस०) का मेहराब भी इसी शहर में है।

• हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ने इस मुल्क के बारे में अपने साथियों से कहा था, इस मुकद्दस शहर में दाखिल हो जाओ। उन्होंने इस शहर को मुकद्दस इसलिए कहा था कि ये शिर्क से पाक और नबियों की सरजमीं है।

• इस शहर में क‌ई मोअज़्ज़े हुए है जिनमें एक कुंवारी बीबी हज़रत मरयम के बुतन से ईसा अलैहिस्सलाम की पैदाइश हुई।

• हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को जब उनकी क़ौम ने क़त्ल करना चाहा तो अल्लाह ने उन्हें इसी शहर से आसमां पर उठा लिया था।

• क़यामत की अलामत में से एक हज़रत ईसा की वापसी इस शहर के मुकाम सफेद मीनार के पास होगा।

• इस शहर के मुकाम “बाब ए लुद” पर ईसा अलैहिस्सलाम ‘दज्जाल’ को क़त्ल करेंगे।

• फिलीस्तीन ही अरज़े महशर है।

• इसी शहर से ही याजूज माजूज का क़िताल और फसाद शुरू होगा।

• फिलिस्तीन को नमाज़ के फ़र्ज़ होने के बाद “क़िब्ला ए अव्वल” होने का एजाज़ भी हासिल है। हिजरत के बाद जिबरील अलैहि० अल्लाह के हुक्म से नमाज के दौरान ही मुहम्मद स०अ० को मस्जिद ए अक्सा से बैतुल्लाह (काबा) की तरफ़ रुख़ करा ग‌ए थे, जिस मस्जिद में ये वाकिया पेश आया था वह मस्जिद आज भी मस्जिद ए क़िब्लातैन कहलाती है।

• हुजूर अकरम (स०अ०) मे'अराज की रात आसमान पर ले जाने से पहले मक्का मुकर्रमा से बैतुल मुकद्दस फिलीस्तीन लाए गए।

• अल्लाह के रसूल स०अ० की इक़्तेदा में सारे नबियों ने यहां नमाज़ अदा फरमाई।

• इस्लाम का सुनहरी दौर फारूकी में दुनिया भर के फतह को छोड़ कर महज़ फिलीस्तीन की फ़तह के लिए खूद उमर (रजि०अ०) जाना और यहां पर जाकर नमाज़ अदा करना, इस शहर की अज़मत को बताता है।

• दूसरी बार यानि 27 रजब 583 हिजरी जुमा के दिन को सलाउद्दीन अय्युबी के हाथों इस शहर का दोबारा फ़तह होना।

• बैतूल मुकद्दस का नाम ‘कुदुस’ कुरान से पहले तक हुआ करता था। कुरान नाजिल हुआ तो इसका नाम “मस्जिद ए अक्सा” रखा गया, इस शहर के हुसूल और रूमियो के जबर वह सितम से बचाने के लिए 5,000 से ज्यादा सहाबा किराम रजि०अ० ने जामे शहादत नोश किया, और शहादत का बाब आज तक बंद नही हुआ, सिलसिला अभी तक चल रहा है, ये शहर इस तरह शहीदों का शहर है।

• “मस्जिद ए अक्सा” और शाम की अहमियत हरमैन की तरह है, जब कुरान पाक की ये आयत 
• उम्मत ए मोहम्मदी हकीकत में इस मुकद्दस सरजमीं की वारिस है।

• फिलीस्तीन की अज़मत का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यहां पर पढ़ी जाने वाली हर नमाज़ का अज्र 500 गुना बढ़ा कर दिया जाता है।
                     
 “निगाहें मुन्तज़िर है बैतूल मुकद्दस की फ़तह के लिए या रब, फिर किसी सलाउद्दीन अय्युबी को भेज दे।”
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