नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज्यादा निकाहक्यू किए ??"काफी अरसे की बात

नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ज्यादा निकाह
क्यू किए ??
"काफी अरसे की बात है कि जब मे लियाकत मेडिकल
कॉलेज में सर्विस कर रहा था, तो वहा लडको ने सीरत
नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कान्फ्रेंस का
प्रोग्राम बनाया और तमाम उस्तादो को बुलाया गया ! फिर मेने डाक्टर इनायत साहब जो कि हड्डी जोड के
माहिर थे के साथ इस मजलिस मे शिरकत की,
इस मजलिस मे एक इसलामियत के लेक्चरर ने हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पर्सनल जिंदगी पर
खुल कर बयान किया, और आपकी एक एक शादी की
तफसील बताई के ये शादी क्यू की और इससे उम्मत को क्या फायदा हुआ?
ये बयान इतना उम्दा था कि हाजिर होने वाले लोगो ने
इसको बहुत सराहा !
कान्फ्रेंस के खत्म होने के बाद हम दोनो कार से हैदराबाद
आ रहे थे, तो डाक्टर इनायत साहब ने अजीब बात की,
उसने कहा कि आज रात मे दोबारा मुसलमान हुआ हुं, मेने तफसील पुछा तो उसने बताया कि आठ साल पहले
जब वो पढाई के लिए लन्दन गया, सफर काफी लम्बा था,
हवाई जहाज मे एक एयर होस्टेस मेरे साथ आकर बैठ गई,
एक दुसरे के हालत बताने के बाद उस औरत ने मुझसे पुछा के
तुम्हारा मजहब क्या है?
मेने कहा इस्लाम ! हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम पुछा,
मेने हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
बताया !
फिर उस औरत ने सवाल किया के क्या तुम्हे पता है कि
तुम्हारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ग्यारह
निकाह किए थे? मेने कहा मुझे नही पता तो उसने कहा ये बात हक और सच
है।
उसके बाद उस औरत ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम के बारे दो तीन और बाते की,
जिसके सुनने के बाद मेरे दिल मे (अल्लाह माफ करे)
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे मे नफरत पैदा हुई,
जब मे लन्दन के हवाई अड्डे पर उतरा तो मे मुसलमान
नही था, आठ साल लन्दन मे रहने के दौरान मे किसी
मुसलमान से नही मिलता था, यहा तक की ईद की नमाज
भी मेने छोड दी, इतवार के दिन मे गिरजाघर जाता और
वहा के मुसलमान मुझे ईसाई कहते थे, जब मे आठ साल बाद वापस आया तो हड्डी जोड का
माहिर बनकर लियाकत मेडिकल कॉलेज मे काम शुरू
किया, यहा भी मेरी वही आदत रही !
आज रात इस लेक्चरर का बयान सुनकर मेरा दिल साफ
हो गया और मेने फिर से कलमा पढा है।
गौर कीजिए एक औरत के चंद अलफाज ने मुसलमान को कितना गुमराह किया और अगर डाक्टर इनायत साहब
ये बयान ना सुनते तो पता नही इसका क्या बनता, इसकी
वजह हम मुसलमानो की कम इल्मी है, हम हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिंदगी के मुतालिक
ना पढते है और ना जानने की कोशिश करते है।
कई मिटिंगो मे जब कोई ऐसी बात करता है तो मुसलमान कोई जवाब नही देते, टाल देते है, जिससे
ऐतराज करने वालो के हौसले बुलंद हो जाते है, इसलिए
बहुत अहम है कि हम इस बारे मे मुताअला करे और मौके
पर सही बात लोगो को बताए।
एक मर्तबा मे बस मे सफर कर रहा था के एक आदमी
लोगो को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शादियो के बारे मे गुमराह कर रहा था,
मेने उसके करीब जाने की कोशिश की और बात शुरू की
तो वो चुप हो गया और बाकी लोग भी इधर उधर हो गए,
लोगो ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की इज्जत व
नामूस की खातिर जाने कुरबान की है क्या हमारे पास
इतना वक्त नही के हम इस मौजू की हर बात को याद करले और मौके पर लोगो को बताए।
इस बात का एहसास मुझे एक दोस्त डाक्टर ने दिलाया
जो लन्दन मे होते है, और यहा कुछ लोग के साथ आए है,
लन्दन मे डाक्टर साहब के काफी दोस्त दुसरे मजहब से
ताल्लुक रखते है, वो उनको अब इस मौजू पर सही
जानकारी देते रहते है। उन्होने एक एक वजह बताई, जो मे पेश खिदमत कर रहा
हुं, इतवार के दिन डाक्टर साहब अपने दोस्तो के जरिए
गिरजाघर चले जाते है, वहा अपने बारे मे और नबी
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे मे बताते है, ईसाई
लोग खासकर औरते आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
की शादियो पर ऐतराज करते है, चुनांचे डाक्टर साहब के जवाब ये है
1) मेरे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पच्चीस
साल की उम्र मे एक उम्र दराज खातून हजरत खदीजा
रजि अल्लाहु अन्हा से शादी की, हजरत खदीजा रजि
अल्लाहु अन्हा की उम्र चालीस साल थी, और जब तक
हजरत खदीजा रजि अल्लाहु अन्हा जिन्दा रहे आपने दुसरे शादी नही की, पचास साल की उम्र तक आपने एक
बीवी के साथ जिंदगी गुजारी,
(अगर किसी शख्स पर नफ्सानी ख्वाहिश का गलबा
हो, तो वो जवानी के पच्चीस साल एक बेवा औरत के साथ
गुजारने पर तैयार ना होता)
हजरत खदीजा रजि अल्लाहु अन्हा की वफात के बाद अलग अलग वजह की बिना पर आप सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने निकाह किए, फिर इसी मजमे से डाक्टर
साहब ने सवाल किया कि यहा बहुत से नौजवान बैठे है,
आप मे से कौन जवान है जो चालीस साल की बेवा से शादी
करेगा,?
सब खामोश रहे, डाक्टर साहब ने बताया कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने ये किया, फिर डाक्टर
साहब ने सबको बताया के जो ग्यारह शादिया आप
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने की है सिवाय एक के,
बाकी सब बेवा थी,
ये सुनकर सब हैरान हुए।
फिर मजमे को बताया के जंग ए उहद मे सत्तर सहाबा शहीद हुए, आधे से ज्यादा घराने बे आसरा हो गए, बेवाओ
और यतीमो का कोई सहारा ना था, इस मसले को हल
करने के लिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
अपने सहाबा को बेवाओ से शादी करने को कहा,
लोगो को समझाने के लिए आप सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने हजरत सौदा रजि अल्लाहु अन्हा, हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाहु अन्हा, और हजरत जैनब
बिन्त खुजैमा रजि अल्लाहु अन्हा से अलग अलग मौके
पर निकाह किए, आपको देखा देख सहाबा ने भी बेवा
औरतो से शादी की जिसकी वजह से बे आसरा घराने
आबाद हुए।
2) डाक्टर साहब ने बताया के अरब के अंदर ये दस्तूर था कि जो शख्स इनका दामाद बन जाता, उसके खिलाफ
जंग करना अपनी इज्जत के खिलाफ समझते, अबु
सुफियान रजि अल्लाहु अन्हु इसलाम लाने से पहले हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का बडा दुश्मन था, मगर
जब इनकी बेटी उम्मे हबीबा रजि अल्लाहु अन्हा से हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का निकाह हुआ तो ये दुश्मनी कम हो गई, हुआ ये कि उम्मे हबीबा रजि
अल्लाहु अन्हा शुरू मे मुसलमान होकर अपने शोहर के साथ
हब्शा हिजरत कर गई, वहा इनका शोहर ईसाई बन गया,
उम्मे हबीबा रजि अल्लाहु अन्हा ने उससे अलग हो गई
और बहुत मुश्किल से घर पहुंची, हुजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम ने उनकी दिलजोई फरमाई और बादशाह हब्शा के जरिए उनसे निकाह किया।
इसी तरह बाकी निकाह की तफसील है
अपना कलाम जारी रखते हुए डाक्टर साहब ने बताया के
उलूम इसलामिया का सरचश्मा कुरान पाक और हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सीरत है, हुजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जिन्दगी का हर एक पहलू महफूज करने के लिए सहाबा ने बढ चढ कर हिस्सा
लिया,
औरतो मे इस काम के लिए एक जमात की जरूरत थी, एक
सहाबिया से काम करना मुश्किल था, इस काम की
तकमील के लिए नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
ग्यारह निकाह किए, आपने बहुत अच्छे से बीवीयो को समझाया था कि हर उस बात को नोट करे जो रात के
अंधेरे मे देखे, हजरत आएशा रजि अल्लाहु अन्हा बहुत
जहीन, तेज दिमाग थी, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने मिया बीवी के आपसी मसाइल के मुतालिक
आप को खास तौर पर तालीम दी, हुजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम के दुनिया से परदा फरमाने के बाद हजरत आएशा रजि अल्लाहु अन्हा 45 साल तक जिन्दा
रही, और 2210 हदीस आपसे रिवायत है, सहाबा फरमाते
है कि जब किसी मसले मे शक होता है तो हजरत आएशा
रजि अल्लाहु अन्हा को इसका इल्म होता, इसी तरह
हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाहु अन्हा की रिवायत
की तादाद 368 है। इन हालत से जाहिर हुआ कि आपकी बीवीयो के घर
औरतो की दीनी दर्सगाह थी, क्योकि ये तालीम
कयामत तक के लिए थी, और सारी दुनिया के लिए
थी, इसलिए किस कदर मेहनत से काम किया होगा,
इसका अंदाजा नही लगाया जा सकता।
आखिर मे डाक्टर साहब ने बताया कि ये बयान मे गिरजाघर मे लोगो को सुनाता हुं, और वो सुनते है, बाकी
हिदायत देना तो अल्लाह के हाथ मे है, अगर पढे लिखे
मुसलमान इन वजहो को याद कर ले और कोई बदबख्त
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जात पर हमला
करे तो सब इसका दिफा करे,
अल्लाह तआला हम सबको तौफीक दे और अमल करने वाला बनाए
आमीन
-Anisha Munshi

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