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इस्लामिक कलेंडेर के माह रजब की 13 तारीख़ है और यह दिन इस्लामिक हिस्ट्री के ही नहीं बल्कि दुनिया की तारीख़ के महान नायक, हज़रत अली (अ)

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इस्लामिक कलेंडेर के माह रजब की 13 तारीख़ है और यह दिन इस्लामिक हिस्ट्री के ही नहीं बल्कि दुनिया की तारीख़ के महान नायक, हज़रत अली (अ) का जन्म दिवस है। और 25/26 जनवरी 661 ई को हज़रत अली (स) की हत्या हुई थी, जिसके साथ ही ख़िलाफ़त ए राशिदा का दौर ख़त्म हुआ था। हज़रत अली (अ) (599-661) तारीख़ ए इंसानी का क़ुतुबी तारा, शमा ए हिदायत और मुर्शिद हैं। इस्लाम की समावेशी और जनपक्षधर नीतियों को ज़मीनी तौर पर लागू करने की सही मायनों में सिर्फ़ आपने ही कोशिश की थी। एक महान योद्धा, महान चिंतक, भाषाविद्व, न्यायप्रिय ख़लीफ़ा, स्कॉलर, कुशल प्रशासक होने के बावजूद आपने एक आम इंसान की तरह अपनी ज़िन्दगी गुज़ारी।आपने ख़िलाफ़त का ओहदा उस वक़्त सम्भाला जब हालात बहुत ख़राब थे, अमीरी-ग़रीबी की खाई बहुत चौड़ी हो चुकी थी। भाई-भतीजे वाद का बोल बाला था, राजकोष से कोई भी प्रभावशाली व्यक्ति पैसा ले लेता था। हज़रत अली पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने इस प्रक्रिया पर प्रभावशाली तरीक़े से रोक लगाई। इस सम्बंध में आपने एक गवर्नर को जो लिखा वह पढ़ने के लायक़ है, “उस ज़ात की क़सम जिसने दाने को चीरा और जानदारों को पैदा किया है, अगर

आज एक महान पुरुष, वीर-योद्धा, उत्तम शासक हज़रत अली का जन्मदिन है। उनकी न्याय-प्रियता का एक वाक़या सुनते हैं। एक बार हज़रत अली

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आज एक महान पुरुष, वीर-योद्धा, उत्तम शासक हज़रत अली का जन्मदिन है। उनकी न्याय-प्रियता का एक वाक़या सुनते हैं।  एक बार हज़रत अली एक सफ़र पर जा रहे थे। रास्ते में एक जगह थोड़ा आराम करने के लिए, कुछ ज़रूरतें पूरी करने के लिए उतरे। उनके साथ उस सफ़र में सिर्फ दो लोग थे, एक उनके आली-मुकाम साहबज़ादे हसन और उनका एक ख़ादिम। अपने जिस्म को किसी अप्रत्याशित हमले से बचाने के लिए उस समय लोगों को सफ़र में निकलते समय भी लोहे का लिबास, ज़िरह, पहनना पड़ता था। हज़रत अली जब आराम करने के लिए लेटे तो उस ज़िरह को उतार कर रख दिया। और इधर ये दोनों नौजवान इधर-उधर टहलने लगे। इन दोनों की नज़र पड़ी, ज़रा देर से नज़र पड़ी, कि एक शख़्स आया और उसने हज़रत अली के उस कीमती लिबास को उठाया और उसे लेकर वो तेज़ी के साथ भागा, किसी तेज़ रफ्तार घोड़े पर। इन दोनों ने उसे चाहा कि पकड़ें लेकिन नहीं पकड़ सके, लेकिन उसे पहचान लिया। जाना पहचाना इंसान था-यहूदियों का एक विद्वान था वो, और उसने ऐसी हरकत की तो ये दोनों हैरान रह गए। हज़रत अली जागे तो इन दोनों ने बताया कि आपकी ज़िरह हमारी आँखों के सामने फलां आदमी चुरा कर ले गया।   एक अपराध हुआ, और ये अपराध किसके समा

सानिया मिर्जा और शोएब मलिक ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में पहली बार मिले थे। शोएब

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सानिया मिर्जा और शोएब मलिक ऑस्ट्रेलिया के होबार्ट में पहली बार मिले थे। शोएब को तभी से सानिया पसंद थीं और दोनों के बीच बातचीत शुरू हो गई। यह दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई और दोनों ने शादी का फैसला कर लिया। सानिया और शोएब की शादी की खबर आते ही हैदराबाद की महिला आयेशा सिद्दकी सामने आई। उन्होंने आरोप लगाया कि शोएब मलिक उनके पति हैं। शोएब मलिक ने इससे इनकार किया लेकिन बाद में आई खबरों के मुताबिक शोएब मलिक ने आयेशा को तलाक दे दिया था। उस वक्त भी लोगों ने कहा था जो आदमी अपनी पहली शादी छुपा रहा है, वह बाद में आपके साथ भी ऐसा ही बर्ताव कर सकता है। हर सलाह को अनसुना कर सानिया मिर्जा और शोएब मलिक ने 12 अप्रैल 2010 को हैदराबद के ताज कृष्णा होटेल में शादी की। इसके बाद पाकिस्तान के सियालकोट में वालिमा हुआ।  सानिया मिर्जा और शोएब मलिक को शादी के सालों बाद तक भी ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा। जब भी कभी भारत-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच होता तो सानिया को ट्रोल किया जाता था। सानिया ने 2019 में इस मैच से पहले सोशल मीडया पर ऐलान किया था कि वह मैच से पहले ट्विटर पर एक्टिव नहीं रहेंगी ताकि लोगों की नकारात्मकता

راہ عزیمت کا مسافر(مجاہد دوراں سید مظفر حسین کچھوچھوی)

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راہ عزیمت کا مسافر (مجاہد دوراں سید مظفر حسین کچھوچھوی) بلال احمد نظامی مندسوری، رتلام مدھیہ پردیش _______________________________________ شمالی ہند کےصوبہٕ اتر پردیش کےمردم خیز قبصہ کچھوچھہ مقدسہ میں اعلی حضرت علی حسین اشرفی میاں علیہ الرحمہ (1266_1355ھ) کےبرادر اکبر اور مرشد گرامی اشرف الصوفیاء سید شاہ اشرف حسین اشرفی جیلانی علیہ الرحمہ (1260_1348ھ) کےآنگن میں (1338ھ_ 1920ء)میں فضل خداوندی سےایک بچےکی کلکاری گونجتی ہے،جس سےاہل خاندان میں خوشیوں کی لہر دوڑ جاتی ہے۔ اس نومولود کا نام مظفر حسین تجویز ہوتاہےاور آگےچل کر یہ نومولود ملت اسلامیہ کاقائد،رہبر اور رہنما بن کر افق آسمان پر جگمگاتاہےاور دنیا والےاس کی اولوالعزمی،پامردی، جواں مردی، بےخوفی، بےباک لیڈر شپ اور کامیاب قیادت دیکھ کر مجاہد دوراں کےلقب سےیاد کرتےہیں۔  مجاہد دوراں حضرت علامہ سید مظفر حسین کچھوچھوی علیہ الرحمہ کی مجاہدانہ زندگی کےاَنْمِٹ نقوش کامطالعہ کرنےکےلیےمعارف مجاہد دوراں (جوابھی غیر مطبوع ہے،خدا کرے جلد طبع ہوجائے) کامطالعہ کیجیےگا،ابھی صرف آپ کی عزیمت بھری زندگی کےکچھ نقوش اسکرین پر پیش کررہاہوں۔   مجاہد دوراں حضر

2008 मे जब इंडिया U19 की टीम वर्ल्ड कप फाइनल जीती थी उस टीम का हिस्सा

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2008 मे जब इंडिया U19 की टीम वर्ल्ड कप फाइनल जीती थी उस टीम का हिस्सा आजमगढ़ के Iqbal Abdullah भी थे मुझे आज भी याद है मलेशिया से बेंगलुरु एयरपोर्ट पर जब टीम इंडिया उतरी थी तो उसका भव्य स्वागत हुआ था और जैसे 2007 मे महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने T20 वर्ल्ड कप जीता था और खुले बस मे ट्रॉफी के साथ रोड शो हुआ था उसी तरह U19 वर्ल्ड कप में भी खुले बस मे रोड शो हुआ था उसके बाद चूंकि बीसीसीआई की हेड ऑफिस मुंबई में थी और ट्रॉफी मुंबई मे रखनी थी तो मुंबई के इकलौते खिलाड़ी इकबाल अब्दुल्लाह जीती हुई ट्रॉफी मुंबई लेकर आए थे इकबाल अब्दुल्लाह मुंबई मे कुर्ला स्थित बौद्ध कालोनी में रहते थे तो कुर्ला एरिया में भी उस ट्रॉफी के साथ रोड शो हुआ था और फिर मैं अपने एक दोस्त के साथ इकबाल अब्दुल्लाह से मिलने उनके घर कुर्ला गया था और हम लोगों ने स्टुडियो मे जाकर एक तस्वीर भी निकाली थी याद रहे 2008 की U19 वर्ल्ड कप विनिंग टीम में इकबाल अब्दुल्लाह के साथ साथ कप्तान विराट कोहली रविन्द्र जडेजा सिध्दार्थ कौल मनीष पांडे और सौरभ तिवारी भी थे , लेकिन इकबाल अब्दुल्लाह को छोड़ इस सभी खिलाड़ियों को टीम इं

सरफराज खान और ईशान किशन... यानी भारतीय क्रिकेट के 2 सबसे बदनसीब खिलाड़ी। सरफराज खान को लगातार घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन

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सरफराज खान और ईशान किशन... यानी भारतीय क्रिकेट के 2 सबसे बदनसीब खिलाड़ी। सरफराज खान को लगातार घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद भारतीय टीम सिलेक्शन से दुत्कार मिल रही है, जबकि ईशान किशन को राहुल द्रविड़ ने घरेलू क्रिकेट खेलने का आदेश दिया है। फिलहाल सरफराज खान और ईशान किशन के बीच यही समानता है कि इन दोनों ही खिलाड़ियों को इंग्लैंड के खिलाफ भारत की टेस्ट टीम में शामिल नहीं किया गया है। सबसे पहले बात ईशान किशन की। ईशान को वनडे वर्ल्ड कप के दौरान लगातार 9 मैच बेंच पर बिठाया गया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 मैच की T-20 सीरीज के अंतिम 3 मुकाबले में ईशान की जगह जूनियर जितेश शर्मा को टीम में शामिल किया गया। ईशान किशन को साउथ अफ्रीका के विरुद्ध 3 मैच की T-20 सीरीज के दौरान ईशान किशन बेंच पर बैठे रहे।  साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के पहले केएल राहुल को विकेटकीपर बना दिया गया। इससे नाराज होकर ईशान किशन ने राहुल द्रविड़ से कहा, अगर मुझे भारतीय टीम के साथ भी घूमना ही है तो बेहतर है कि मैं दोस्तों के साथ घूमूं। राहुल द्रविड़ ने कहा तुम जा सकते हो। दैनिक जागरण अखबार में खबर छपी है कि भारत

रोहित वेमुला का वह अंतिम पत्र, जिसे इसलिए बार–बार पढ़ा जाना चाहिए कि हमने किन कारणों से एक होनहार को खोया और कैसे उन कारणों से कैसे

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रोहित वेमुला का वह अंतिम पत्र, जिसे इसलिए बार–बार पढ़ा जाना चाहिए कि हमने किन कारणों से एक होनहार को खोया और कैसे उन कारणों से कैसे निबटा जाए। यह अकेले रोहित वेमुला का मसला नहीं है। "गुड मॉर्निंग! जब आप यह पत्र पढ़ रहे होंगे तो मैं आपके बीच नहीं रहुंगा। मेरे उपर गुस्सा ना हों आप। मैं जानता हूं कि आपमें से कई लोगों ने मेरा सच में बहुत खयाल रखा है, प्यार किया है और मेरी हमेशा मदद की। मेरी किसी से भी कोई शिकायत नहीं है। मुझे हमेशा से खुद से समस्या थी। मैं अपने शरीर और आत्मा के बीच बढ़ती दूरी को महसूस करता हूं और मैं एक शैतान बन गया हूं। मैं हमेशा से ही एक लेखक बनना चाहता था। विज्ञान का लेखक, कार्ल्स सेगन की तरह। लेकिन अंत मैं सिर्फ ये पत्र ही लिख पाया। मैं विज्ञान, तारों, प्रकृति से बहुत प्यार करता था लेकिन इसके बाद मैंने लोगों से प्यार करना शुरु किया, बिना ये जाने कि लोगों ने प्रकृति से बहुत पहले ही तलाक ले लिया है। हमारी भावनायें दोयम दर्जे की हैं। हमारा प्रेम बनावटी है, हमारी मान्यताएं झूठी हैं, हमारी मौलिकता वैध है बस कृत्रिम कला के जरिए यह बेहद कठिन हो गया है कि हम प्रेम करें और

रोहित शर्मा लग रहा है शिवम् दुबे को हार्दिक पांड्या का गुस्सा अब शिवम् दुबे को तैयार कर बदला लेंगे।

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रोहित शर्मा लग रहा है शिवम् दुबे को हार्दिक पांड्या का गुस्सा अब शिवम् दुबे को तैयार कर बदला लेंगे।  सवाल यह है कि हार्दिक की वापसी के बाद शिवम दुबे को टीम में रखा जाएगा या फिर से शिवम दुबे जेम्स फाकनर की तरह गायब कर दिए जाएंगे? कल से ही लोग शिवम दुबे को लेकर तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। कुछ लोग शिवम की कामयाबी के पीछे महेन्द्र सिंह धोनी का नाम भी ले रहे हैं। जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है तो शिवम दुबे ठीक ठाक बल्लेबाजी कर लेते हैं लेकिन जब बात गेंदबाजी की आती है तब वहां हार्दिक पांड्या शिवम दुबे से आगे हो जाते हैं। हार्दिक की गेंदबाजी में एक तेज गेंदबाज जितना पैनापन है जबकि शिवम दुबे की गेंदबाजी में वह तेजी और पैनापन नही दिखता है। लम्बे कद के शिवम दुबे अगर अपनी गेंदबाजी पर थोङी सी मेहनत कर लें तो वह टीम के लिए एक बेहतरीन तेज गेंदबाजी आलराउंडर का विकल्प बन जाएंगे। जरूरत है तो मैनेजमेंट को शिवम दुबे पर भरोसा दिखाने का और कप्तान और कोच के सहयोग और समर्थन के बिना कोई भी खिलाङी आजतक बङा खिलाङी नही बन सका है। उम्मीद है कि जिस तरह गिल को सपोर्ट मिल रहा है वैसे ही शिवम दुबे को भी मिलेगा और उनको

कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले-कूदे, बड़े हुए, बनवास भेजे गये, लौटकर

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कहते हैं अयोध्या में राम जन्मे, वहीं खेले-कूदे, बड़े हुए, बनवास भेजे गये, लौटकर आये तो वहाँ राज भी किया। उनकी ज़िंदगी के हर पल को याद करने के लिए एक मंदिर बनाया गया। जहाँ खेले, वहाँ गुलेला मंदिर है। जहाँ पढ़ाई की, वहाँ वशिष्ठ मंदिर हैं। जहाँ बैठकर राज किया, वहाँ मंदिर है। जहाँ खाना खाया, वहाँ सीता रसोई है। जहाँ भरत रहे, वहाँ मंदिर है। हनुमान मंदिर है, कोप भवन है। सुमित्रा मंदिर है, दशरथ भवन है। ऐसे बीसियों मंदिर हैं, और इन सबकी उम्र 400-500 साल है। यानी ये मंदिर तब बने, जब हिंदुस्तान पर मुगल या मुसलमानों का राज रहा। अजीब है न! कैसे बनने दिये होंगे मुसलमानों ने ये मंदिर! उन्हें तो मंदिर तोड़ने के लिए याद किया जाता है। उनके रहते एक पूरा शहर मंदिरों में तब्दील होता रहा और उन्होंने कुछ नहीं किया! कैसे अताताई थे वे जो मंदिरों के लिए जमीन दे रहे थे! शायद वे लोग झूठे होंगे जो बताते हैं कि जहाँ गुलेला मंदिर बनना था, उसके लिए जमीन मुसलमान शासकों ने ही दी। दिगंबर अखाड़े में रखा वह दस्तावेज़ भी गलत ही होगा जिसमें लिखा है कि मुसलमान राजाओं ने मंदिरों के निर्माण के लिए 500 बीघा जमीन दी। निर्मोही अखाड

नए इतिहास के दौर में अधिकतर लोगों को लगता है की मुगल ही भारत में पहले विदेशी आक्रमणकारी थे, जबकि इसका सच्चाई से दूर तक कोई संबंध नहीं,

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नए इतिहास के दौर में अधिकतर लोगों को लगता है की मुगल ही भारत में पहले विदेशी आक्रमणकारी थे, जबकि इसका सच्चाई से दूर तक कोई संबंध नहीं, भारत में मिथकीय रूप में विदेशीयो के कदम 2000 ईसा पूर्व आर्यों के रूप में भारत में पड़ चुके थे ।  ऐतिहासिक तौर पर पहला विदेशी शासन 356 ईसा पूर्व यूनानियों का था, ये तबकी बात है जब अफगानिस्तान भारत का हिस्सा हुआ करता था, और यूनानियों ने सिर्फ वहीं पर शासन किया । यूनानियों के बाद - शक कुषाण हूण और फिर 711 में मुस्लिम आक्रमणकारी के तौर पर अरबी ईरानी आए । फिर तुर्क और फिर गौर तुर्क आक्रमणकारी भारत में आए, ये आए और देश के भिन्न भिन्न हिस्सो को जीतकर वहां अपना शासन चलाने लगे । लेकिन इन सभी विदेशी आक्रमणकारियो ने भारत को विदेश समझकर ही अपना शासन चलाया, यहां के निवासियों पर उनका जरा भी विश्वास नहीं था, वो भारतवासियों को सिर्फ पराजित गुलाम के तौर पर देखते थे। इसलिए शासन में यहां के मूल निवासियों को कोई जगह नहीं दी गई । लेकिन फिर एक क्रांतिकारी और उदारवादी सुल्तान दिल्ली की गद्दी पर बैठा, जिसका नाम था -"अलाउद्दीन ख़िलजी" उस सुल्तान ने पहली ब

मंगोल लड़ाके कितने बर्बर थे, ख्वारिज्म पर उनका हमला इसकी गवाही देता है। ख्वारिज्म साम्राज्य के एक

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1161... ये पूरी दुनिया के लिए सबसे शापित साल था क्यूंकि इसी साल जन्म हुआ एक क्रूर और बर्बर योद्धा का, 12वीं से लेकर 14 वी सदी तक उसके मंगोल लड़ाके जिस भी गांव या शहर से गुजरते, वहां खून की नदियां बहने लगतीं, लाशों के पहाड़ बन जाते। ये क्रूर लड़ाके दुनिया के लिए मौत और तबाही के हरकारे साबित हुए। वे जहां भी गए, हैवानियत का नंगा नाच किया। उन्होंने चीन से लेकर रूस तक अपना परचम लहराया। हज़ारों शहरों को लूटा और करीब 4-5 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारा। मंगोल लड़ाके कितने बर्बर थे, ख्वारिज्म पर उनका हमला इसकी गवाही देता है। ख्वारिज्म साम्राज्य के एक गवर्नर ने चंगेज के भेजे व्यापारियों और कुछ जासूसों की हत्या कर दी थी, चंगेज ने बदला लेने के लिए ख्वारिज्म पर हमला किया और उस गवर्नर की आंखों में सीसा पिघला कर डलवा दिया। चंगेज खान ने उस साम्राज्य के हर शहर को तहस-नहस कर डाला। वहां के एक-एक बाशिंदे का बेरहमी से कत्ल करवाया। बल्ख, निशापुर हेरात और समरकंद में उसने बर्बादी का ऐसा मंजर पैदा किया कि वहां के इंसान ही नहीं बल्कि कुत्ते, बिल्ली भेड़, बकरियों, सहित हर जिंदा जीव को मार डाला। चंगेज खान का कहन

नाम...मोहम्मद सिराज। काम..9 ओवर...3 मेडन...15 रन और 6 विकेट। सेंचुरियन टेस्ट में

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नाम...मोहम्मद सिराज। काम..9 ओवर...3 मेडन...15 रन और 6 विकेट। सेंचुरियन टेस्ट में साउथ अफ्रीका ने भारत को एक पारी और 32 रन से हराया था। केपटाउन टेस्ट में मोहम्मद सिराज ने इसका बदला सूद समेत वसूला। न्यूलैंड्स केपटाउन में साउथ अफ्रीका ने साउथ अफ्रीका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। मोहम्मद सिराज ने चौथे ओवर की दूसरी गेंद पर ऐडन मार्करम को पवेलियन का रास्ता दिखा दिया। दरअसल यह पिच्ड अप डिलीवरी अराउंड ऑफ स्टंप थी। राइट हैंडेड बैटर मार्करम के पास इस गेंद को खेलने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं था। मार्करम ने रक्षात्मक तरीके से पुश किया। थर्ड स्लिप पर खड़े यशस्वी जायसवाल ने डाइव मारकर बाहरी किनारा पकड़ लिया। मोहम्मद सिराज को इस गेंद पर लेट आउटस्विंग मिली थी, जिस वजह से बल्लेबाज का किनारा लगा। ऐडन मार्करम ने बनाए 2 और प्रोटियाज को 5 पर पहला झटका लगा। मोहम्मद सिराज ने पहले टेस्ट के हीरो डीन एल्गर को छठे ओवर की तीसरी शॉर्ट ऑफ लेंथ गेंद पर बोल्ड कर दिया।  आउटसाइड ऑफ स्टंप डाली गई इस शॉर्ट बॉल पर एल्गर ने कवर्स की दिशा में चौका लगाने का प्रयास किया। बगैर किसी फीट मूवमेंट के खेले जा रहे