मंगोल लड़ाके कितने बर्बर थे, ख्वारिज्म पर उनका हमला इसकी गवाही देता है। ख्वारिज्म साम्राज्य के एक

1161... ये पूरी दुनिया के लिए सबसे शापित साल था क्यूंकि इसी साल जन्म हुआ एक क्रूर और बर्बर योद्धा का, 12वीं से लेकर 14 वी सदी तक उसके मंगोल लड़ाके जिस भी गांव या शहर से गुजरते, वहां खून की नदियां बहने लगतीं, लाशों के पहाड़ बन जाते। ये क्रूर लड़ाके दुनिया के लिए मौत और तबाही के हरकारे साबित हुए। वे जहां भी गए, हैवानियत का नंगा नाच किया। उन्होंने चीन से लेकर रूस तक अपना परचम लहराया। हज़ारों शहरों को लूटा और करीब 4-5 करोड़ लोगों को मौत के घाट उतारा।
मंगोल लड़ाके कितने बर्बर थे, ख्वारिज्म पर उनका हमला इसकी गवाही देता है। ख्वारिज्म साम्राज्य के एक गवर्नर ने चंगेज के भेजे व्यापारियों और कुछ जासूसों की हत्या कर दी थी, चंगेज ने बदला लेने के लिए ख्वारिज्म पर हमला किया और उस गवर्नर की आंखों में सीसा पिघला कर डलवा दिया। चंगेज खान ने उस साम्राज्य के हर शहर को तहस-नहस कर डाला। वहां के एक-एक बाशिंदे का बेरहमी से कत्ल करवाया। बल्ख, निशापुर हेरात और समरकंद में उसने बर्बादी का ऐसा मंजर पैदा किया कि वहां के इंसान ही नहीं बल्कि कुत्ते, बिल्ली भेड़, बकरियों, सहित हर जिंदा जीव को मार डाला। चंगेज खान का कहना था, 'किसी भी योद्धा के लिए सबसे अधिक गौरव की बात है अपने दुश्मनों का पीछा करना, उन्हें हराना, उनकी दौलत पर क़ब्ज़ा करना, उनकी औरतों को रोता-बिलखता छोड़ना और फिर उनके जिस्मों को नोंचना। इससे जाहिर होता है उसके भीतर हैवानियत किस कदर भरी हुई थी। मंगोल खानाबदोश थे उन्हें शहरी जीवन से नफरत थी यही वजह थी वे जीते हुए नगर को मिट्टी में मिला देते। इंसानों को गाजर-मूली की तरह काटते, औरतों को जानवरों की तरह नोंचते।
मंगोल इतने खतरनाक थे भूख लगने पर भेड़ियों की तरह जिंदा इंसान को तीन मिनट में खा जाते थे और प्यास लगने पर घोड़े के पैर की नस काटकर खून पी लेते थे। उस समय मंगोल पूरी दुनिया का धर्म और संस्कृति नष्ट करने में लगे थे। ये जहां जाते थे 50% आबादी को खत्म कर देते थे। पुरुषों को मार कर महिलाओं के साथ रेप करते थे, जिससे पूरी जनरेशन ही चेंज हो जाती थी। मंगोलों के नेता चंगेज खां का नारा था 'हम हारे या जीते अपना जीन जरूर छोड़ेंगे'। आज भारत को छोड़कर पूरे दक्षिण एशिया में जो अधखुली आंखों और चपटी नाक वाली जाति है, वो मंगोल वंशज ही है। भारतीयों के चेहरे का भूगोल भी ऐसा ही होता, अगर उस वक्त भारत में अलाउद्दीन ख़िलजी जैसा शक्तिशाली शासक नहीं होता ।
अलाउद्दीन खिलजी ने भारत पर 20 अक्टूबर 1296 से 1316 तक शासन किया और इसी बीच मंगोलों ने भारत पर 1297 से 1306 तक लगातार 5 बार आक्रमण किया। उस समय प्रसिद्ध था इनको कोई हरा नहीं सकता लेकिन मंगोलों के इस विजय अभियान को खिलजी ने रोक दिया। मंगालों के अटैक से गुस्साए खिलजी ने 8000 मंगोलों के सिर दिल्ली में बन रहे सीरी फोर्ट के मीनारों में ईट की जगह चुनवा दिया था ।
भारतीय इतिहास में खिलजी का सबसे बड़ा काम मंगोलों से देश की रक्षा करना था। अगर ये मंगोल भारत में घुस गए होते तो सिर्फ भारत का भूगोल ही नहीं हर भारतीय के चहरे का भूगोल भी बदल जाता लेकिन आज, कुतुब मीनार परिसर में एक खंडहर हो चुके मकबरे में अलाउद्दीन ख़िलजी की क़ब्र पर एक अजीब सी खामोशी है, यहां की खामोशी को तोड़ते है तो सिर्फ कुछ प्रेमी युगल जो कुतुब परिसर में कुछ पलों का एकांत ढूंढने यहां चले आते है । वरना रोज यहां आने वाले हजारों लोगों में से शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसे पता भी हो की ये कब्र किसकी है? ये यौद्धा आज अपनी क़ब्र में है लेकिन हमे बहुत कुछ दे गया। अगर कोई मेरे से पूछे, भारतीय इतिहास का सबसे विद्वान, सबसे समझदार, न्यायप्रिय, जनप्रिय, किसान और मजदूरो का हितैषी, धर्म निरपेक्ष राजनीति की शुरुवात करने वाला, साथ ही विकट योद्धा और आधुनिक भारत की नींव रखने वाला बादशाह कौन था? तो सिर्फ एक नाम आयेगा सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ क्या है?"" "" "" "" **वक़्फ अरबी

जब राम मंदिर का उदघाटन हुआ था— तब जो माहौल बना था, सोशल मीडिया

मुहम्मद शहाबुद्दीन:- ऊरूज का सफ़र part 1 #shahabuddin #bihar #sivan