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राहुल का संघर्ष और सार्थकता भारतीय राजनीति

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राहुल का संघर्ष और सार्थकता  भारतीय राजनीति में कांग्रेस और नेहरू खानदान की प्रासंगिकता के साथ-साथ, उनकी कमियां और बहुत सारी कमजोरियां रही हैं। नेहरू की डिस्कवरी ऑफ इण्डिया का भारत, भले ही आधारभूत संरचनाओं के साथ विकास की यात्रा प्रारम्भ किया हो, प्रगतिशीलता के खांचे में वह भी नहीं समा सका था, फिर भी वह पुरातनपंथी नहीं कहा जा सकता। वैचारिकी में वह वामपंथ से दूर होते हुए भी, दक्षिणपंथी हिंसा और नफरत को आत्मसात नहीं किए हुए था। वह अधिनायकवादी होते हुए भी निर्लज्ज जनविरोधी नहीं था। वह कार्पोरेट परस्त होते हुए भी, किसान-मजदूरों की बर्बादी पर जश्न मनाने वाला नहीं था। खाद-बीज, कृषि उपकरणों के कारखानों की नींव उसी ने रखी मगर उसी के काल में उदारवादी अर्थव्यवस्था की कोख से उनके उजड़ने की कहानी भी लिख दी गई। आज तो, बिना आधारभूत संरचना का निर्माण किए, आयातित संस्कृति से, नेहरू के बुनियाद को दफन करने का काम किया जा रहा है। गुटनिरपेक्षता की वैश्विक राजनीति की बात तो छोड़िए, समर्पण कर विदेशी नेता का चुनाव प्रचार किया जा रहा है। यह सही है कि कांग्रेस के जमाने में विदर्भ के किसानों की आत्महत्याओं का दौर

हुज़ूरﷺ_का_आखरी_खुत्बा (खुत्बा ए हज)मैदान ए अरफात ये वही

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#हुज़ूरﷺ_का_आखरी_खुत्बा  (खुत्बा ए हज) मैदान ए अरफात ये वही जगह है जहां हुज़ूरﷺ ने अलविदाई खुतबा दिया था जिसमें तकरीबन सवा लाख से डेढ़ लाख सहाबा ए किराम मौजूद थे, खुत्बा मुलहिज़ा हो, بِسْمِ اللَّـهِ الرَّحْمَـٰنِ الرَّحِيمِ लोगों मेरी और तुम्हारी शायद ये आखरी (इज्तिमाई) मुलाकात हो, मैं नहीं जानता कि आइंदा साल मैं तुमसे मिल सकूंगा या नहीं.......😔😢🥺 मेरी बातों को गौर से सुनो और उन तक पहुंचाओ जो यहां नहीं आ सके हैं, लोगों! आज का दिन (यौमे अरफा) और ये महीना और ये जगह इज़्ज़त और एहतराम वाले हैं इसी तरह मुसलमानों की जान, माल और इज्ज़त भी एहतराम वालें हैं, लोगों के माल और अमानतें वापस करदो, किसी को तंग न करो किसी को नुकसान न पहुंचाओ ताकि तुम भी महफूज़ रहो, याद रखो तुम सब को अल्लाह से मिलना है और वो तुमसे तुम्हारे अमाल के बारे में सवाल करेगा, अल्लाह ने सूद को हराम कर दिया है इसलिए सारा सूद खत्म करदो, तुम औरतों पर हक रखते हो और वो तुम पर हक रखती हैं,जब वो अपने हक अदा करती हैं तो तुम भी अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करो, औरतों के साथ नरमी का मामला करो क्योंकि वो तुम्हारी हमसफर और खिदमतगुज़ार हैं, कभी

रणजी शतक पूरा करने के बाद एग्रेसिव जश्न मनाने के कारण सरफराज खान को

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रणजी शतक पूरा करने के बाद एग्रेसिव जश्न मनाने के कारण सरफराज खान को टीम इंडिया में नहीं चुना गया। वो कहते हैं ना कि अगर किसी का काम ना खराब कर सको, तो नाम खराब कर दो। जमाने का भरोसा उस खिलाड़ी से अपने आप उठ जाएगा। फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 80 की एवरेज रखने वाले सरफराज की जगह 42 की एवरेज रखने वाले ऋतुराज गायकवाड़ के सिलेक्शन को लेकर यही वजह सामने आई है। इस साल दिल्ली के खिलाफ रणजी मैच में शतक लगाने के बाद सरफराज का आक्रामक तरीके से जश्न मनाना चयनकर्ताओं को नागवार गुजरा। उस समय चयन समिति के तत्कालीन प्रमुख चेतन शर्मा स्टेडियम में मौजूद थे। कहा जा रहा है कि सरफराज ने सेंचुरी पूरी करने के बाद उनकी तरफ देखकर आक्रामक तरीके से जश्न मनाया था। जबकि ऐसा कुछ नहीं था। जश्न आक्रामक जरूर था, लेकिन सरफराज ने चेतन शर्मा की तरफ कोई इशारा नहीं किया था। इसी जश्न की वजह से चयनकर्ता सरफराज से नाराज हो गए और उन्हें कभी इंडियन टीम में ना चुनने की कसम खा ली।  चेतन शर्मा भारत के सबसे विवादित चयनकर्ताओं में से एक रहे। उनकी वजह से ही विराट कोहली जैसे खिलाड़ी को अपनी कप्तानी गंवानी पड़ी। कहा जाता है कि विराट कोहली

भारत के साल 2007 और 2011 में वर्ल्ड कप जीत में युवराज सिंह का अहम योगदान रहा था। साल 2011 के वर्ल्ड कप में तो उन्हें प्लेयर

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भारत के साल 2007 और 2011 में वर्ल्ड कप जीत में युवराज सिंह का अहम योगदान रहा था। साल 2011 के वर्ल्ड कप में तो उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट भी चुना गया था। लेकिन इस वर्ल्ड कप के ठीक बाद युवराज सिंह को अपने कैंसर के बारे में पता चला और उन्होंने क्रिकेट से एक लंबा ब्रेक ले लिया। इसके बाद जब उन्होंने मैदान पर साल 2012 में वापसी की तब उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। युवराज सिंह ने साल 2017 में अपना अंतिम इंटरनेशनल मैच खेला था। इसी साल उन्होंने वनडे क्रिकेट में अपनी बेस्ट पारी खेली थी। युवराज सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया है कि जब वह कमबैक कर रहे थे, तब विराट कोहली ने उनकी काफी मदद की और अगर विराट कोहली नहीं रहते तो वह कमबैक भी नहीं कर पाते। युवराज सिंह ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब मैंने वापसी की तो विराट कोहली ने मेरा सपोर्ट किया। अगर उन्होंने मेरा सपोर्ट नहीं किया होता तो मैं वापसी नहीं कर पाता। उन्होंने आगे ये भी कहा कि लेकिन एमएस धोनी ही थे जिन्होंने मुझे 2019 वर्ल्ड कप के बारे में सही तस्वीर दिखाई कि चयनकर्ता आपके बारे में नहीं सोच रहे हैं। उन्होंने म

पूर्व भारतीय ओपनर आकाश चोपड़ा ने सरफराज खान को टेस्ट टीम में ना

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पूर्व भारतीय ओपनर आकाश चोपड़ा ने सरफराज खान को टेस्ट टीम में ना चुने जाने पर BCCI की जमकर आलोचना की है। आकाश चोपड़ा ने सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर क्यों सरफराज को बार-बार इग्नोर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बोर्ड को ये बात पब्लिक करनी चाहिए कि उन्हें सरफराज के बारे में क्या पसंद नहीं है। पूर्व भारतीय ओपनर ने कहा सरफराज को क्या करना चाहिए? अगर बीते 3 सालों में उसके आंकड़ों को देखेंगे, तो वह बाकी लोगों से ऊपर है। उसने हर जगह रन बनाए हैं। फिर भी, अगर उसे नहीं चुना जाता है... यह क्या संदेश भेजता है? इसका तो यही मतलब हुआ कि घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन करना कोई मायने नहीं रखता। सरफराज ने खून-पसीना एक कर दिया, फिर भी चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम में नहीं लिया। दूसरी तरफ सुनील गावस्कर ने कहा कि अगर IPL में अच्छा खेलकर कोई टेस्ट टीम में जगह बना लेता है, तो सरफराज को रणजी ट्रॉफी खेलना बंद कर देना चाहिए। दूसरी तरफ सरफराज खान ने इंस्टा स्टोरी पर वीडियो शेयर कर चयनकर्ताओं को करारा जवाब दिया है। दरअसल जो वीडियो सरफराज ने इंस्टा स्टोरी पर शेयर किया है, उसमें पिछले रणजी ट्रॉफी सीजन में उनकी बल्लेबाजी के

अगर आईपीएल की परफॉर्मेंस के आधार पर ही टीम इंडिया की सिलेक्शन

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अगर आईपीएल की परफॉर्मेंस के आधार पर ही टीम इंडिया की सिलेक्शन करनी है तो रणजी ट्रॉफ़ी बंद कर दो।उसकी क्या जरूरत है।खिलाड़ियों को बता दिया जाए कि जो आईपीएल में बढ़िया परफॉर्म करेगा उसकी टीम इंडिया में जगह पक्की।बात खत्म।अब सरफराज का उदाहरण लें।पिछले तीन साल से रणजी का टॉप स्कोरर है।इस साल 92 की औसत से रन बनाए हैं सरफराज ने पर हर बार सेलेक्टर्स सेलेक्टिव होकर इसे नजरअंदाज कर देते हैं।यशस्वी जयसवाल ओर ऋतुराज गायकवाड़ का टीम इंडिया में सेलेक्शन आईपीएल की परफॉर्मेंस के आधार पर हुआ है।इसमें कोई शक नहीं कि यह दोनों बढ़िया खिलाड़ी हैं और जबरदस्त फॉर्म में हैं पर फॉर्म में तो सरफराज भी है फिर इसे क्यों नजरअंदाज किया गया।सुनील गावस्कर ओर आकाश चोपड़ा टीम में सरफराज के न होने से खफा हैं।इन दोनों भूतपूर्व ओपनर्स का मानना है कि सरफराज को ओर क्या करना पड़ेगा टीम इंडिया में जगह बनाने को ? यह रन बना रहा है लगातार तीन सीजन से ओर जबरदस्त फॉर्म में भी है फिर टीम में क्यों नहीं है ? रणजी ट्रॉफी शुरू से ही टीम इंडिया का प्रवेश द्वार रहा है।कई खिलाड़ी फ्लॉप होने पर बापिस डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने चले जाते थे और फॉर्म म

डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, भारत के एक ऐसा अज़ीम शख़्स का नाम है, जिसने अपना

डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, भारत के एक ऐसा अज़ीम शख़्स का नाम है, जिसने अपना पूरा जीवन तालीम के लिए वक़्फ़ कर दिया। 1920 में जब वो महज़ 23 साल के थे तब जामिया मिल्लिया इस्लामिया की अलीगढ़ में बुनियाद डालने में सबसे अहम रोल अदा किया। 1926 के दौर में जब जामिया मिल्लिया इस्लामिया बंद होने के हालात पर पहुँच गई तो ज़ाकिर हुसैन ने कहा “मैं और मेरे कुछ साथी जामिया की ख़िदमत के लिए अपनी ज़िन्दगी वक़्फ़ करने के लिए तैयार हैं. हमारे आने तक जामिया को बंद न होने दिया जाए.” जबकि उस वक़्त वो जर्मनी में पीएचडी कर रहे थे। और 1926 में डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन अपने दो दोस्त आबिद हुसैन व मुहम्मद मुजीब के साथ जर्मनी से भारत लौटकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की ख़िदमत में लग गए। डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन 29 साल की उमर में 1926 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर बने और 1948 तक इस पद पर रहे। इस दौरान पूरे भारत में अब्दुल मजीद ख़्वाजा के साथ पूरे भारत का दौरा कर जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए चंदा जमा किया और उसके लिए ओखला में अलग से ज़मीन ख़रीदी।  1 मार्च, 1935 को जामिया के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अज़ीज़ के हाथों ओखला

सवारियो के इंतजार मे आटो स्टैण्ड पर अपने आटो में बैठा मोहन.. बाजू के आटो में बैठे दीनू चाचा से

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सवारियो के इंतजार मे आटो स्टैण्ड पर अपने आटो में बैठा मोहन.. बाजू के आटो में बैठे दीनू चाचा से बातें कर रहा था...  कया बात है मोहन... आज तो तेरे चेहरे पर एक अलग ही मुसकान है.... अरे चाचा.... आपको पता है कल रात मैंने एक मन के सुकून का काम किया.....मुझे सुकून की दौलत मिली... दीनू चाचा-कया...सुकून की दौलत... अरे हमें भी तो पता चले ...हमारे छोटे ने कया सुकून भरा काम किया .....और उसे कैसे सुकुन की दौलत मिली... क्या किसी बडे मंत्रीजी को आटो में बैठाकर शहर में घुमाया या किसी फिल्मी एक्टर को अपने आटो में बैठाया........ अरे....नहीं चाचा... मैंने लोभ, लालच और बेईमानी को हराकर, ईमानदारी का परचम लहराया, एक गरीब और मजबूर परिवार को होनेवाले बहुत बड़े नुकसान से बचाया... दीनू चाचा - क्या कह रहा है छोटे....ऐसा क्या किया तूने... तो मोहन बोला..चाचा कल रात मैं रोज की तरह लगभग ग्यारह बजे सवारियो का इंतजार कर रहा था कि एक महिला और एक 12-13 साल का लड़का, जिनके पास दो-तीन झोले, चादर, कंबल, एक पानी की केन, स्टोव आदि बहुत सा सामान था, बस से उतरकर सीधे मेरे पास आये और बोले, भैया सिटी हास्पिटल चलोगे... मैंने बोला ह

आखिरकार पुजारा की टीम इंडिया से छुट्टी हो गई पर के एस भरत की क्यों नहीं

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आखिरकार पुजारा की टीम इंडिया से छुट्टी हो गई पर के एस भरत की क्यों नहीं हुई यह समझ से परे है।पिछले पांच टेस्ट मैचों में भरत ने सिर्फ 129 रन बनाएं हैं।ईशान किशन ओर संजू सैमसन के होते हुए भी फ्लॉप चल रहे भरत को आखिर कौन से झंडे गाड़ने की बजह से टीम इंडिया ढो रही है।टीम इंडिया में एक एक स्लॉट के लिए भारी कम्पीटिशन है पर कुछ प्लेयर पता नहीं कोन सी सेटिंग की बजह से टीम में जगह बना भी लेते हैं और प्लेइंग इलेवन में भी आ जाते हैं जबकि दुनिया के नम्बर वन गेंदबाज अश्विन के लिए टीम में जगह ही नहीं बनती।पुजारा पिछले तीन साल से फ्लॉप चल रहे हैं पर टीम में उनकी जगह पक्की रहती है और परफॉर्मेंस के एल राहुल की तरह सिफर होती है।2023 में 5 टेस्ट में उनकी एवरेज 25 की रही तो तीन साल में 30 की फिर भी उनके लिए टीम में जबर्दस्ती जगह बनाई जाती रही ।अब पुजारा की जगह यशस्वी जसवाल ओर उमेश यादव की जगह मुकेश कुमार को देकर टीम में बदलाव लाने की कोशिश की है तो पुजारा का टेस्ट क्रेरियर खत्म समझ लिया जाए।क्रिकेट बहुत बदल चुका है।इंग्लैंड अब परम्परागत टेस्ट शेली को छोड़कर बेज़बाल नीति पर उतर आया है पर हमारे प्लेयर आज भी ह

विंडीज दौरे पर टेस्ट टीम में सिलेक्शन ना होने पर सुनील गावस्कर ने सरफराज खान को रणजी ट्रॉफी ना खेलने की सलाह दी

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विंडीज दौरे पर टेस्ट टीम में सिलेक्शन ना होने पर सुनील गावस्कर ने सरफराज खान को रणजी ट्रॉफी ना खेलने की सलाह दी है। वेस्टइंडीज के खिलाफ चेतेश्वर पुजारा को ड्रॉप कर दिया गया और उनकी जगह यशस्वी जायसवाल को मौका दिया गया। पर पिछले कुछ वर्षों से घरेलू क्रिकेट के सबसे सफल बल्लेबाज सरफराज खान को फिर एक दफा भारतीय टीम में नहीं चुना गया। जैसे ही टीम के चयन की खबर सामने आई और फिर से सरफराज को शामिल नहीं किया गया, तो इस युवा क्रिकेटर ने इंस्टा स्टोरी पर एक पोस्ट शेयर किया। जो पोस्ट सरफराज ने शेयर किया है, उसमें नेट की तस्वीर है और कैप्शन में लिखा है 'वन लव'। सरफराज ने ऐसा कर एक बार फिर यह बताने की कोशिश की है कि वो हिम्मत नहीं हारेंगे और लगातार मेहनत करते रहेंगे। सरफराज की बेबसी की अब इंतहां हो चुकी है। उन्होंने सब कुछ कर लिया, फिर भी चयनकर्ताओं ने सरफराज को दुत्कार दिया। सरफराज खान जरूर मेहनत करने की बात कर रहे हैं, लेकिन भारत के महानतम खिलाड़ी रहे सुनील गावस्कर चयनकर्ताओं पर बुरी तरह भड़क गए हैं। गावस्कर की नाराजगी के पीछे सरफराज खान के आंकड़े हैं। बता दें कि सरफराज खान घरेलू क्रिकेट मे

विराट कोहली को साल 2008 में टीम इंडिया में चुनने के कारण दिलीप वेंगसरकर को मुख्य चयनकर्ता पद से हटा दिया गया था। दिलीप

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विराट कोहली को साल 2008 में टीम इंडिया में चुनने के कारण दिलीप वेंगसरकर को मुख्य चयनकर्ता पद से हटा दिया गया था। दिलीप वेंगसरकर ने यह चौंकाने वाला खुलासा किया है। 18 अगस्त 2008 को 19 वर्ष की उम्र में विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ ODI डेब्यू किया था। उस वक्त दिलीप वेंगसरकर मुख्य चयनकर्ता थे। दिलीप वेंगसरकर ने रहस्य खोलते हुए बताया है कि उन्हें विराट कोहली के चयन की कीमत अपना पद खोकर गंवानी पड़ी। उन्होंने कहा कि तब तत्कालीन BCCI अध्यक्ष एस. बद्रीनाथ की अनदेखी करने के लिए उनसे खुश नहीं थे। वेंगसरकर जानते थे कि बद्रीनाथ दक्षिण से थे, जो श्रीनिवासन की IPL टीम CSK लिए खेल रहे थे। ऐसे में जब वेंगसरकर ने कोहली को वरीयता दी, तो वह मुख्य चयनकर्ता से बेहद नाराज हो गए। BCCI अध्यक्ष श्रीनिवासन ने वेंगसरकर से सवाल किए कि उन्होंने बद्रीनाथ को क्यों नहीं चुना?  इस पर तत्कालीन मुख्य चयनकर्ता ने जवाब दिया कि वह इंडिया ए के मैच देखने ऑस्ट्रेलिया गए थे और उन्होंने पाया कि यंग विराट असाधारण था। वेंगसरकर ने बताया कि जवाब में श्रीनिवासन ने कहा कि बद्रीनाथ ने घरेलू क्रिकेट में तमिलनाडु के लिए 800 रन बनाए थ

रवि शास्त्री ने कहा है कि विराट कोहली अगले 4 सालों

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रवि शास्त्री ने कहा है कि विराट कोहली अगले 4 सालों में सचिन तेंदुलकर के 100 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। शास्त्री ने आगे कहा कि विराट ODI में कम से कम 60 सेंचुरी जरूर लगाएंगे। रवि शास्त्री ने कहा कि विराट की तरह दृढ़ निश्चय फिलहाल विश्व क्रिकेट में दूसरा कोई नहीं कर सकता। जिस वक्त रवि शास्त्री टीम इंडिया के हेड कोच थे, उस दौरान एक दिन अचानक विराट ने कहा कि आज से मैं नॉनवेज छोड़ रहा हूं। उस दिन के बाद से विराट ने फिर कभी मांसाहार नहीं किया। रवि शास्त्री ने कहा कि विराट अपने टारगेट के प्रति हमेशा फोकस्ड रहे हैं और ऐसे में वह बगैर 100 शतक पूरे किए इंटरनेशनल क्रिकेट से कहीं नहीं जाने वाले हैं। वह अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में लौट आए हैं।  फिलहाल 34 वर्षीय विराट कोहली के नाम 75 इंटरनेशनल शतक हैं। विराट ने T-20I में 1, ODI में 46 और टेस्ट में 28 शतक लगाए हैं। साल 2023 के अंत में हिंदुस्तान में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप में विराट कोहली टीम इंडिया के सबसे बड़े बल्लेबाज के तौर पर उतरेंगे। इस टूर्नामेंट में फैंस को किंग के बल्ले से शतकों के बौछार की उम्मीद है। रवि शास्त्री ने कहा कि विराट दुनिया के

हुजुर सल्लल्लाहो अलेही व सल्लम के वालिद हज़रतअब्दुल्ला आपको अम्मा हज़रत आमना के पेट मेंही छोड़कर दूनियाँ से रुखसत

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रूह खुश हो जायेगी हुजुर सल्लल्लाहो अलेही व सल्लम के वालिद हज़रत अब्दुल्ला आपको अम्मा हज़रत आमना के पेट में ही छोड़कर दूनियाँ से रुखसत हो गये सय्यदा आमना खातून अपनी जिन्दगी बसर कर रही हे हज़रत की दादी ने हज़रत के दादा को एक दिन इशारा करके बुलाया और कहने लगी आपको पता हे ये बहु आमना इत्र लगाती हे हज़रत की दादी कहने लगी में तो बड़ी परेशान हु क्या करू आप आमना से पुछिये हज़रत के दादा ने जवाब दिया तू पूछ लेती तूने क्यों ना पूछा हज़रत की दादी कहने लगी हज़रत के दादा हज़रत मुत्तलिब से में तुम्हे क्या बताऊ मेने कई मरतबा इरादा किया मेने बुलाया लेकिन में जब आमना बहु के चहरे पे नज़र डालती हु तो में पसीना पसीना हो जाती हु. आमना के चहरे पे इतनी चमक हे इतना रोब हे में तो इससे पूछ नही सकती हू आप ही पूछो हज़रत के दादा कहने लगे तू तो औरत जात हे घर में बेठी रहती हे में तो मर्द हु बाहर रहता मक्का में कुरेश का सरदार हु मुझसे जो भी मिलता हे मोहल्ले में ओ पूछता हे ऐ अब्दुल मुत्तलिब तेरे घर में इत्र की बारिश कहा से हो रही हे. और अब्दुल मुत्तलिब ने हज़रत की दादी से कहा ये जो खुशबु आती हे ये जिस कमरे में जाती वहा

पूरे संसार की बहादुर बेटी-बहन है नाडिया नदीम. उसके ख़्वाब हम सब के भी हैं. यकीनन वह उन्हें पूरा करेगी.

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Ashok Pande एक स्कूल में प्रिंसिपल हमीदा बेगम की पांच बेटियां थीं. शौहर रबानी नदीम अफगानिस्तानी फ़ौज में बड़े अफसर थे. 1990 के दशक में तालिबान के आने पर अफगानिस्तान की बरबादी का जो दौर शुरू हुआ वह आज नहीं निबटा. साल 2000 में तालिबान ने रबानी नदीम का क़त्ल कर दिया.  अपनी और बच्चियों की जान बचाने की खातिर हमीदा किसी तरह छिपते-छुपाते पाकिस्तान के शहर पेशावर पहुँचीं. आसरे की तलाश में परिवार पेशावर से कराची आया. वहां भी कुछ न बना तो इस्लामाबाद. यहाँ से उनकी मंजिल बना लन्दन जहाँ पहले से रह रहे उनके कुछ रिश्तेदारों ने मदद करने का वादा किया हुआ था. पाकिस्तान में एजेंटों और स्मगलरों की मदद से उनके और बेटियों के फर्जी पासपोर्ट तैयार कर उन्हें इटली पहुंचा दिया गया. इटली में उन्हीं के जैसे करीब दर्जन भर शरणार्थियों के साथ मोटे तिरपाल से ढंके एक ट्रक में बिठाकर उन्हें लन्दन की तरफ रवाना कर दिया गया.  कुछ दिन की लगातार यात्रा के बाद उन्हें एक जगह उतर जाने को कहा गया. उन्हें उम्मीद थी सामने बिग बेन नजर आएगी लेकिन वे लोग एक जंगल के बीच उतार दिए गए थे. आने-जाने वालों से पूछताछ करने पर पता चला वे डेनमार्क

सुनील गावस्कर ने कहा है कि विराट कोहली के IPL में शतकों की बौछार के

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सुनील गावस्कर ने कहा है कि विराट कोहली के IPL में शतकों की बौछार के आधार पर मैं उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ T-20 सीरीज में चुनूंगा। दरअसल भारतीय चयनकर्ताओं ने यंग टीम बनाने के नाम पर किंग कोहली को टी-20 वर्ल्ड कप के बाद से टी-20 टीम में अवसर नहीं दिया है। सवाल उठने पर जवाब आया कि विराट की उम्र के आधार पर यह फैसला लिया है। हकीकत यह है कि 34 की उम्र में विराट से ज्यादा फुर्तीला बल्लेबाज और फील्डर हिंदुस्तान के पास दूसरा कोई नहीं है। IPL 2023 में यह बात फिर एक दफा साबित हुई है। विराट कोहली ने IPL 2023 में बेंगलुरु के लिए 25.54 फीसदी रन बनाए। यह 2016 के बाद उनका सेकंड बेस्ट IPL प्रदर्शन है। IPL 2022 में उन्होंने टीम के लिए 12.96 फीसदी रन बनाए थे। वहां से किंग ने यादगार वापसी की। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद टीम इंडिया को वेस्टइंडीज के खिलाफ T-20 सीरीज खेलनी है।  दरअसल विराट ने एशिया कप 2022 से पहले कहा था कि जब मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में आऊंगा, तब मैं रुकूंगा नहीं। किंग अपनी बात पर खरा उतरा। सिर्फ टी-20 फॉर्मेट की ही बात करें, तो एशिया कप से लेकर अबतक विराट ने 60.87 की औसत और 14

डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, भारत के एक ऐसा अज़ीम शख़्स का नाम है, जिसने अपना

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डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन, भारत के एक ऐसा अज़ीम शख़्स का नाम है, जिसने अपना पूरा जीवन तालीम के लिए वक़्फ़ कर दिया। 1920 में जब वो महज़ 23 साल के थे तब जामिया मिल्लिया इस्लामिया की अलीगढ़ में बुनियाद डालने में सबसे अहम रोल अदा किया। 1926 के दौर में जब जामिया मिल्लिया इस्लामिया बंद होने के हालात पर पहुँच गई तो ज़ाकिर हुसैन ने कहा “मैं और मेरे कुछ साथी जामिया की ख़िदमत के लिए अपनी ज़िन्दगी वक़्फ़ करने के लिए तैयार हैं. हमारे आने तक जामिया को बंद न होने दिया जाए.” जबकि उस वक़्त वो जर्मनी में पीएचडी कर रहे थे। और 1926 में डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन अपने दो दोस्त आबिद हुसैन व मुहम्मद मुजीब के साथ जर्मनी से भारत लौटकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की ख़िदमत में लग गए। डॉक्टर ज़ाकिर हुसैन 29 साल की उमर में 1926 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के वाइस चांसलर बने और 1948 तक इस पद पर रहे। इस दौरान पूरे भारत में अब्दुल मजीद ख़्वाजा के साथ पूरे भारत का दौरा कर जामिया मिलिया इस्लामिया के लिए चंदा जमा किया और उसके लिए ओखला में अलग से ज़मीन ख़रीदी।  1 मार्च, 1935 को जामिया के सबसे छोटे छात्र अब्दुल अज़ीज़ के हाथों ओखला

संजू सैमसन करियर में पहली दफा ODI वर्ल्ड कप खेलेंगे। BCCI

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संजू सैमसन करियर में पहली दफा ODI वर्ल्ड कप खेलेंगे। BCCI ने ऋषभ पंत की चोट को मद्देनजर रखते हुए संजू सैमसन को एशिया कप के बाद वर्ल्ड कप में अवसर देने का फैसला किया है। संजू ODI वर्ल्ड कप में इंडियन मिडिल ऑर्डर की अहम कड़ी होंगे। पहले कहा जा रहा था कि ऋषभ पंत की शानदार रिकवरी को देखते हुए उनका रिहैबिलिटेशन तेज किया जा सकता है। पर NCA के प्रशिक्षकों ने साफ किया कि पंत को जल्दी मैदान पर उतारने का प्रयास उनके करियर के लिए घातक साबित हो सकता है। जसप्रीत बुमराह को जल्दबाजी में ग्राउंड पर उतारने का दुष्परिणाम BCCI भुगत चुकी है। ऐसे में BCCI ऋषभ पंत को लेकर किसी किसी का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती।  शुभमन गिल और रोहित शर्मा की सलामी जोड़ी को देखते हुए संजू सैमसन को मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी का अवसर दिया जाएगा। संजू सैमसन वेस्टइंडीज के खिलाफ टी-20 सीरीज और ODI सीरीज के लिए भी चुन लिए गए हैं। BCCI को समझ आ गया है कि संजू के बगैर मौजूदा टीम सेमीफाइनल भी नहीं खेल पाएगी। WTC फाइनल में 209 रनों से मिली करारी शिकस्त के बाद चयनकर्ताओं को डर है कि वर्ल्ड कप में अगर गलत टीम चुन ली गई, तो हिंदुस्तान की आवा

सूर्यकुमार यादव ODI वर्ल्ड कप 2023 खेलते हुए नजर आएंगे। BCCI सूर्यकुमार यादव

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सूर्यकुमार यादव ODI वर्ल्ड कप 2023 खेलते हुए नजर आएंगे। BCCI सूर्यकुमार यादव को एशिया कप के दौरान टॉप ऑर्डर में खेलने का मौका देगी। इस प्रदर्शन के आधार पर सूर्या का चयन वर्ल्ड कप के लिए भी किया जाएगा। चयनकर्ताओं का मानना है कि इंडियन विकेट्स पर सूर्यकुमार यादव का आक्रामक अंदाज इंडियन टीम के बहुत काम आएगा। BCCI अब पुराने तौर-तरीकों से क्रिकेट खेलने को लेकर आशंकित है। ताबड़तोड़ बल्लेबाज ऋषभ पंत की गैरमौजूदगी में WTC फाइनल में मिली करारी हार से BCCI ने सबक सीख लिया है। ऐसे में वर्ल्ड कप के लिए कुछ अलग करने की रणनीति तैयार की जा रही है। इसी कड़ी में सूर्यकुमार यादव की एग्रेसिव बैटिंग को भारतीय टीम के लिए जरूरी माना गया है।  IPL 2023 में सूर्यकुमार यादव ने 181.14 की स्ट्राइक रेट से 605 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से 1 शतक और 5 अर्धशतक आए। सूर्या के व्हाइट बॉल में किए गए इस प्रदर्शन ने चयनकर्ताओं को उनपर भरोसा करने के लिए मजबूर कर दिया है। IPL शुरू होने से पहले कंगारुओं के खिलाफ एकदिवसीय सीरीज में सूर्यकुमार यादव का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा था। ऐसे में आलोचक IPL में भी सूर्यकुमा

उत्तरकाशी_पुरोला_का_असली_सच कैसे पत्रकार और हिंदूवादी संगठन ने

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#उत्तरकाशी_पुरोला_का_असली_सच  कैसे पत्रकार और हिंदूवादी संगठन ने मिलकर अपहरण को लवजिहाद का मुद्दा बनाकर मुसलमानों को पलायन करने पर मजबूर किया जबकि इस वारदात में एक मुस्लिम और एक हिन्दू दोनों शामिल थे पढ़िए Newslaundry Hindi की ये सनसनी खेज खबर  उत्तराखंड: हिंदुत्ववादियों और एक पत्रकार ने रची लव जिहाद की साजिश पीड़ित परिवार का कहना है कि हिंदुत्ववादियों ने नाबालिग के अपहरण की कोशिश के इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे दिया जबकि ये पूरा मामला सिर्फ “सॉरी बोलने” से खत्म हो सकता था. Byअनमोल प्रितम17 Jun, 2023 bookmark_add उत्तराखंड: हिंदुत्ववादियों और एक पत्रकार ने रची लव जिहाद की साजिश कार्तिक कक्कर whatsapp copy उत्तराखंड के पुरोला में हुए जिस तथाकथित लव जिहाद कांड को लेकर देश में पिछले काफी दिनों से हिंदुत्ववादियों और मीडिया ने हल्ला मचा रखा है, वह पूरा मामला कुछ हिंदुत्ववादी संगठनों, नेताओं और एक पत्रकार की कारस्तानी है. न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि जानबूझकर इस मामले को सांप्रदायिक रंग दिया गया और मुसलमानों को पुरोला से पलायन पर मजबूर किया गया. आगे इस ख़बर में इस पूरे मामले की हम परत दर प

चयनकर्ताओं की समिति से चेतन शर्मा की विदाई के बाद विराट कोहली फिर एक

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चयनकर्ताओं की समिति से चेतन शर्मा की विदाई के बाद विराट कोहली फिर एक बार भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी कर सकते हैं। BCCI अध्यक्ष के तौर पर सौरभ गांगुली भी अब बोर्ड से नहीं जुड़े हैं। ऐसे में विराट कोहली का दौर लौट सकता है। BCCI का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत का रवैया आक्रामक नहीं रहा। अगर विराट कोहली होते, तो टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लेते। रोहित शर्मा ने रक्षात्मक रवैया अपनाते हुए गेंदबाजी करने का फैसला किया और बदले में ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में ही 469 रन कूट दिया। खासकर ट्रेविस हेड के खिलाफ गेंदबाजी की रणनीति सवालों के घेरे में है। हेड को बाउंसर खेलने में परेशानी होती है, लेकिन उनके खिलाफ शॉर्ट पिच गेंदों का इस्तेमाल तब शुरू किया गया जब ट्रेविस हेड 140 रन पर पहुंच चुके थे। BCCI इसके पीछे कप्तान रोहित शर्मा को दोषी मान रहा है। कहा जा रहा है कि हिटमैन का रवैया सुस्त था, इसलिए ऑस्ट्रेलिया ने हमसे मुकाबला छीन लिया।  सोच में बदलाव का आलम ऐसा है कि विराट कोहली को कप्तानी से हटाने में सबसे अहम भूमिका निभाने वाले सौरव गांगुली ने भी विराट की कप्तानी को शानदार बताया है।

एम एस धोनी ने रांची में IPL 2024 की #dhoni

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एम एस धोनी ने रांची में IPL 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। वह रोज बल्लेबाजी का अभ्यास कर रहे हैं। महेंद्र सिंह धोनी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह IPL 2024 खेलेंगे। घुटने के ऑपरेशन के बाद मुंबई एयरपोर्ट से रांची लौटते हुए माही ने मोहम्मद कैफ से मुलाकात के दौरान अपने दिल की बात कही थी। माही ने नी कैप लगाकर इस साल CSK को चैंपियन बनाया था। CSK को IPL 2023 का फाइनल जिताने में रणनीतिक तौर पर सबसे अहम भूमिका माही की रही। उन्होंने एक कमजोर गेंदबाजी आक्रमण वाली टीम को फाइनल में ला खड़ा किया। इसके बाद जब टीम जीत गई, तब माही लाइमलाइट में आने की बजाय पीछे खड़े होकर तमाम खिलाड़ियों को जश्न मनाते देखते रहे। कुछ वैसा ही जैसे घर में पिता करता है।  पिता उत्सव मनाने की सारी तैयारी कर देता है, लेकिन खुद कभी आगे आकर जश्न नहीं मनाता। वह अपनों को खुश देखकर खुश हो लेता है। ऐसा नहीं है कि महेंद्र सिंह धोनी जीत के बाद उत्साहित नहीं थे। जब IPL विनिंग चौका लगाकर रवींद्र जडेजा वापस लौटे, तो धोनी ने उन्हें गोद में उठा लिया। इस वक्त माही की आंखों में आंसू भी छलक आए थे। धोनी को इतना भावुक इससे पहले शायद ही कभी किस

महान शासक औरंगजेब आलमगीर र०आ द्वारा किया गया एक ऐसा इन्साफ, जिसे देश की जनता से छुपाया गयाl

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महान शासक औरंगजेब आलमगीर र०आ द्वारा किया गया एक ऐसा इन्साफ, जिसे देश की जनता से छुपाया गयाl औरंगज़ेब आलमगीर र०आ काशी, बनारस की एक ऐतिहासिक मस्जिद (धनेडा की मस्जिद) यह एक ऐसा इतिहास है जिसे पन्नो से तो हटा दिया गया है, लेकिन निष्पक्ष इन्सान और हक़ परस्त लोगों के दिलो से मिटाया नही जा सकता और क़यामत तक मिटाया नहीं जा सकेगा। औरंगजेब आलमगीर र०आ की हुकूमत में काशी बनारस में एक पंडित की लड़की थी जिसका नाम शकुंतला था। उस लड़की को एक मुसलमान जाहिल सेनापति ने अपनी हवस का शिकार बनाना चाहा और उसके बाप से कहा कि तेरी बेटी को डोली में सजा कर मेरे महल पे 7 दिन में भेज देना। पंडित ने यह बात अपनी बेटी से कही। उनके पास कोई रास्ता नहीं था।  बेटी ने पिता से कहा– 1 महीने का वक़्त ले लो कोई भी रास्ता निकल जायेगा। पंडित ने सेनापति से जाकर कहा– “मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं 7 दिन में सजाकर लड़की को भेज सकूँ, मुझे महीने का वक़्त दो”  सेनापति ने कहा– “ठीक है, ठीक महीने के बाद भेज देना” पंडित ने अपनी लड़की से जाकर कहा– “वक़्त मिल गया है अब? लड़की ने मुग़ल सहजादे का लिबास पहना और अपनी सवारी को

जीतना तो दूर की बात, टीम इंडिया मैच को दूसरे सत्र तक भी ले जाने में नाकाम रही

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जीतना तो दूर की बात, टीम इंडिया मैच को दूसरे सत्र तक भी ले जाने में नाकाम रही और विराट कोहली जैसे दिग्गज बल्लेबाज़ एक बार फिर से दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म पर नाकाम हुए. तो आखिरकार वही हुआ जिसका हर किसी को डर था. एक असंभव सी जीत का सपना लेकर मैच के आखिरी दिन टीम इंडिया की बल्लेबाज़ी ताश के पत्तों की तरह ऐसी बिखरी जिससे 1990 के दशक वाली कमज़ोर भारतीय टीमों की यादें ज़ेहन में दोबारा ताजा हो गई. अगर टीम इंडिया ने पिछले एक दशक में कोई भी आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीती है तो इसमें एक बड़ी वजह कोहली जैसे बल्लेबाज़ का हर अहम नॉक-ऑउट मैचों में नाकाम होना है लेकिन, टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर और बीबीसी के लिए कामेंटेटर की भूमिका निभाने वाले दीपदास गुप्ता से हमारी ओवल के बाहर मुलाकात हुई और उनसे कोहली और रोहित की नाकामी के बारें में सवाल किया तो उन्होंने दिग्गजों का बचाव किया. उन्होंने कहा “ देखिये, मैं भी आपकी तरह हार के बाद बेहद भावुक हो गया हूं, निराश हूं और फैन्स की तकलीफ को भी समझता हूं लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इन खिलाड़ियों ने लंबे समय से अमूमन हर सीरीज़ में शानदार खेल दिखाया है तब

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मुसलमानों के ठिकानों

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी में मुसलमानों के ठिकानों पर हमला हो रहा है. मुसलमानों को शहर छोड़ने की चेतावनी दी गई है. कई परिवार भाग चुके हैं. मुझे आज से पच्चीस साल पहले की एक घटना याद आ रही है. महीना यही जून का था. हमारे एक दोस्त की शादी उत्तरकाशी में थी. हम कुछ मित्र मेरी पुरानी टूटी-फूटी फ़ीयट कार में बैठ कर पहुंच गए. कार वहाँ जा कर ख़राब हो गई. शादी के अगले दिन हम लोगों का प्रोग्राम बना गंगोत्री जाने का. हम लोग एक जीप में चढ़ गए. जीप वाला भाड़ा लेकर सवारी ले जाता था. हमारे साथ उस जीप में एक बुज़ुर्गवार मुसलमान थे. दाढ़ी रखी थी और जालीदार टोपी पहने थे. साथ में एक मोटा गट्ठर था. मैंने पूछा, "भाईसाहब, कहाँ जा रहे हैं?" नरम आवाज़ में सीधे-सादे अंदाज़ में बोले, "भाईजी, हमने सुना है गंगोत्री में ठंड पड़ती है तो कोट बेचने जा रहे हैं." जीप खुली थी. उसमें क़रीब आठ लोग बैठे थे. बाक़ी सभी हिंदू थे. गंगोत्री में दर्शन करने जा रहे थे. एक नवविवाहित जोड़ा था. पत्नी की माँग में मोटा सिंदूर था. पति ने भगवा अँगोछा पहना था.  गंगोत्री में उतर कर वहाँ गंगा तक जाने का एक संकरा र