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दिसंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

#MANUU gets A+ Grade from #NAAC

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December 20, 2022 MANUU gets A+ Grade from NAAC Hyderabad: Maulana Azad National Urdu University (MANUU) has been awarded the “A+” grade by the National Assessment and Accreditation Council (NAAC). MANUU, under the leadership of its Vice Chancellor, Prof. Syed Ainul Hasan, secured 3.36 CGPA from 4 point scale in the third cycle of assessment. Prof. Hasan congratulated the students, faculty and staff for this mega achievement and said it is a gift for the Urdu University in its Silver Jubilee year.   The only university in the country providing higher education through Urdu Medium withstood different tests and evaluation methods to achieve this grade. The NAAC Peer Team on their visit to MANUU from December 13 to 15 inspected infrastructure, facilities and also assessed the performance and academic excellence of MANUU. The Vice-Chancellor of Jamia Hamdard, Prof. Md. Afshar Alam was the Chairperson of the NAAC Peer Team and Prof. Vijay Dev Singh, University of Jammu was Member-Coordinato

#मोरक्को #morocco का एक छोटा सा बेहद खूबसूरत कस्बा है यहां लगभग

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मोरक्को का एक छोटा सा बेहद खूबसूरत कस्बा है यहां लगभग पायी जाने वाली सभी घरों की दीवारें नीले रंग की हैं जिससे पूरे शहर की गलियाँ नीली ही नज़र आती है इसलिए इसे नीले शहर के नाम से भी खासा पहचाना जाना जाता है  कहा जाता है 1930 में हिटलर द्वारा यहूदीयो को जब जर्मनी से निकाला तब उन्होंने मोरक्को के इस शहर में पनाह ली थी और बस्तियों को एक ख़ास नीले रंग की पहचान दी थी येही नीला रंग इस्राइल के झंडे में भी आप देख सकते हैं जो की इस बात को विश्वनीय बनाता है इसके अलावा एक तथ्य ये भी है की नीला रंग मच्छरों को दूर रखता है इसलिए यहाँ दीवारें नीले रंग से पेंट की जाती हैं अब बड़ी तादाद मुसलमानो की यहां रहती है और कई बड़ी मस्जिदे भी चेफचाऊंन में हैं पर्यटको के लिए एक बेहरतीन स्थल की हैसियत रखने वाला चेफचाऊंन नीले रंग के कारण दुनिया का ध्यान अपनी ओर खीचने में कामयाब रहा है । वैसे इस शहर को 1471 ममे मुसलमानो ने बसाया था जो आज भी आबाद है  https://en.wikipedia.org/wiki/Chefchaouen

#शाहरुख़ #खान #क़तर में होने वाले #फुटबॉल वर्ल्ड कप फाइनल के लाइव शो (jio cinema studio) में 18 दिसम्बर को नज़र

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#शाहरुख़ #खान #क़तर में होने वाले #फुटबॉल वर्ल्ड कप फाइनल के लाइव शो (jio cinema studio) में 18 दिसम्बर को नज़र आएंगे। दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक में होने वाले सबसे ज़्यादा लोगों के देखे जाने वाले,दुनिया के इतिहास में अब तक के सबसे ज़्यादा खर्च में आयोजित होने वाले वर्ल्ड कप के फाइनल live शो में वो नज़र आयेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है,इतिहास में शायद शाहरुख खान पहले भारतीय फिल्म स्टार हैं जो फुटबॉल वर्ल्ड कप के फाइनल में प्रोमोट करते हुए नज़र आएंगे,ये ऐतिहासिक कार्यक्रम शायद 1 अरब के करीब लोग एक साथ देखेंगें। ये सब तब हो रहा है जब शाहरुख खान की आने वाली फ़िल्म को बिना देखे ही उनके देश मे बॉयकॉट करने को लेकर तैयारियां की जा रही हैं, और ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि उनकी साथी ऐक्ट्रेस दीपिका पादुकोण के कपड़ों का रंग एक गाने में देश के कुछ लोगों को पसंद नहीं आ रहा है।   ✍️ #ShahrukhKhan #SRK #Pathan #FifaWorldCup2022

वाह वाह #विक्रमादित्य सही जवाब दिया. लेकिन मैंने कहा था जैसे तू

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वाह वाह मान गया आखिर तूने मुझे पकड़ ही लिया. विक्रमादित्य तुममें बहुत शक्ति है. मैं तो बेताल हूँ अगर तू चाहे तो अपनी शक्ति से रोमन साम्राज्य को भी परास्त कर सकता है.  मुझे पता था वह ज्ञानी बौद्ध भिक्षु जरूर मेरे पास तुझे भेजेगा. मुझे उठाकर चलते हुए तू थकेगा तो नही ? मगर ऊब जरूर जाएगा. बात तो तू मुझसे कर नही सकता. क्यों कि जो ही तूने बात की मैं उड़कर अपनी जगह पहुंच जाऊंगा. मैं तुझे एक कहानी सुनाता हूँ, रास्ता भी कट जाएगा. तो सुन कहानी आज से 1500 साल बाद यानी साल 1901 की बात है. भीम राव आंबेडकर नाम का बालक सतारा में रहा करता था. उसके पिताजी गोरेगांव नाम के स्थान में खजांची की नौकरी करते थे. पिता ने गोरेगांव में गर्मियों की छुट्टियां बिताने के लिए बच्चों को खत लिखा. भीम राव आंबेडकर, उनके बड़े भाई और उनके बहन के दो बच्चे जो उन्ही के साथ सतारा रहते थे गोरेगांव जाने के लिए उत्साहित हो गए. चारों ने गोरेगांव जाने के हर्ष उल्हास में नए कपड़े, नए जूते खरीदे. उन्हें सबसे ज्यादा खुशी इस बात की थी कि वे चारों रेलगाड़ी से जा रहे थे. उस समय तक उनमें से किसी ने रेलगाड़ी देखी तक नही थी. चारों ने नए कपड़े जूते

2010 में जैसे ही #FIFA ने एलान हुआ फुटबॉल #वर्ल्डकप 2022 की मेजबानी #QATAR को मिली है यूरोपीय देशों के छाती पर सांप लेटने लगे.

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2010 में जैसे ही FIFA ने एलान हुआ फुटबॉल वर्ल्डकप 2022 की मेजबानी QATAR को मिली है यूरोपीय देशों के छाती पर सांप लेटने लगे. यूरोपीय देश खुद को श्रेष्ठ और पृथ्वी का शासक वर्ग मानते हैं. उन्हें बर्दाश्त नही फुटबॉल वर्ल्डकप की मेजबानी किसी मुस्लिम गल्फ देश को मिले. यूरोपीय देश खुद को ब्राह्मण मानते हैं. क्षत्रिय का दर्जा अमेरिका के पास है. चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और सिंगापुर बनिया हैं. मिडिल ईस्ट एशिया और भारत के आसपास के देश शूद्र वर्ग में आते हैं. अफ्रीका को अछूत और लैटिन अमेरिकी देशों को आदिवासी माना जाता है. QATAR कभी घुमंतू यानी खानाबदोश था. आज धन संपत्ति और खनिज संपदा यानी तेल के मामले में सबसे अमीर मुल्क है. इसके बावजूद उसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. आज भी मानवाधिकार हनन और अप्रवासी मजदूरों के मौत का मामला उठाकर वर्ल्डकप की मेजबानी पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं. सऊदी अरब, क़तर और दुबई के पाया बहुत पैसा है, ऊंचे गगनचुंबी इमारतें हैं, सुंदर चौड़ी सड़कें हैं, आलीशान मॉल है. इसके बावजूद यूरोपीय देश खाड़ी देश, अफ्रीका और कई एशियाई देशों से अधिकतर मामलों में भेदभाव करते हैं.

6 दिसंबर को ही क्यों बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया. 7 क्यों नही, 8 क्यों नही या अन्य किसी दिन को क्यों नही चुना गया ?

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6 दिसंबर को ही क्यों बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया. 7 क्यों नही, 8 क्यों नही या अन्य किसी दिन को क्यों नही चुना गया ? क्या 6 दिसंबर की तारीख चुनना एक षड्यंत्र के तहत लिया गया फैसला था ? डॉ बाबा साहेब अंबेडकर केवल शूद्र अतिशूद्रों के दायरे तक हम उन्हें सीमित नही कर सकते. डॉ आंबेडकर सभी हिंदुओं के नेता हैं क्योंकि उनकी प्राथमिक चिंता जाति वर्ण व्यवस्था को ध्वस्त कर पूरे हिंदू समाज को मुक्त करना था. लेकिन ब्राह्मण क्षत्रिय बनिया और अन्य सवर्ण जातियां अपने विशेषाधिकार को खत्म नही करना चाहती. डॉ आंबेडकर जाति वर्ण व्यवस्था खत्म कर ऐसा भारतीय समाज बनाना चाहते थे जो समानता, बन्धुत्व और स्वतंत्रता पर आधारित हो.  आंबेडकरवाद जाति वर्ण व्यवस्था का खात्मा चाहता तो दूसरी तरफ ब्राह्मणवाद विचारधारा हर हाल में जाति वर्ण व्यवस्था को बचाए रखना चाहते है. आंबेडकरवाद की विचारधारा से प्रभावित होकर OBC आरक्षण लागू किया गया. OBC SC ST जातियां जातिवाद वर्ण व्यवस्था के खिलाफ और अपने अधिकारों के लिए गोलबंद हो रहे थे. SP BSP और OBC SC नेताओं को उभार हो रहा था. आंबेडकरवाद को कमजोर और धूमिल करने के लिए ब्राह्मणवाद

बाकी कहने को बहुत कुछ आप थक जाएंगे सुबूत जो चाहिए वो मिल जाएंगे #दिल्ली_दंगा

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नदीम खान की वाल से कुछ संशोधन के साथ दिल्ली दंगे की आपबीती और आम आदमी सरकार  जो कहा जायेगा उसका सुबूत दिया जाएगा 24 फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे शुरू हो गए थे 23 को सीलमपुर मेट्रो के प्रोटेस्ट के विरोध में कपिल मिश्रा दिल्ली पुलिस के सामने धमकी देते हैं। हर मामले में बोलने वाली केजरीवाल सरकार सन्नाटे में रहती है । वही सरकार जो किसान आंदोलन में अस्पताल से लेकर खाना पानी बांटती है, CAA आंदोलन को भाजपा का आंदोलन बताती है । 24 को मैं ,योगेंद्र यादव ,एन्नी राजा, कविता श्रीवास्तव, अपूर्वानंद ,अंजलि ,सबा दीवान राहुल हम सब लोग मिलते हैं और सीलमपुर जाते हैं लेकिन वहाँ स्थिति काबू के बाहर हो चुकी होती है हम सब वापस आते हैं। रात 9 बजे के आस पास हालात खराब हो चुके होते हैं, हम लोग भाग कर जॉइंट कमिश्नर देवेश श्रीवास्तव से मिलते हैं। तकरीबन एक घण्टे उनके साथ होते है उनको वीडियो कॉल में दिखाते हैं कि दंगाई किधर है लेकिन एक घण्टे में भी पुलिस नही पहुंचती। वहाँ से मायूस होकर हम लोग 10.30 के आस पास मनीष सिसोदिया के घर पहुंचते हैं, उनको सूरते हाल बताते हैं। उनका जवाब आज भी याद है nadeem i am same lik

इस धरती पर कोई भी इंसान निष्पक्ष नहीं है

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मैं जानता हूं मेरी ये पोस्ट पढ़कर कॉमेंट में न सही लेकिन मन ही मन वो लोग ज़रूर गाली देंगे जो रवीश कुमार के इस्तीफ़ा देने के बाद ज़ंजीरी मातम कर रहे हैं। पहली बात तो यह जान लीजिए कि इस धरती पर कोई भी इंसान निष्पक्ष नहीं है और आज की तारीख़ में अगर कोई ख़ुद को निष्पक्ष कह रहा है तो उससे बड़ा झूटा कोई नहीं है। मैं सिर्फ़ ये जानना चाहता हूं या अबतक मुझे ये बात समझ में नहीं आयी कि रवीश कुमार ने पत्रकारिता के ज़रिये ऐसा कौन सा आइफ़िल टॉवर खड़ा किया है जिसके लिए क़ौम आज मुहर्रम के चालीसवें की तरह ज़ंजीरी मातम कर रही है? एक पत्रकार हैं शायद उनका नाम श्याम मीरा सिंह है। उन्हें जब आजतक से निकाल दिया गया था तो उन्होंने यूट्यूब पर चैनल बना लिया और वहां "निष्पक्ष" पत्रकारिता करने लगे। उन्हें ख़ूब अच्छे से मअलूम था कि अपने यूट्यूब चैनल को कैसे चलाना है। उनकी कई बार इस्लामोफोबिक ट्वीट्स/पोस्ट्स भी वायरल हो चुकी है। एक बार उन्होंने ये भी इक़रार किया था कि वो मोदी के बहुत बड़े फ़ैन थे और 2014 में उन्होंने बीजेपी के नारों को सच मानकर मोदी जी को वोट किया था। ये याद रहे कि बीजेपी के उन तमाम नारों