इस धरती पर कोई भी इंसान निष्पक्ष नहीं है

मैं जानता हूं मेरी ये पोस्ट पढ़कर कॉमेंट में न सही लेकिन मन ही मन वो लोग ज़रूर गाली देंगे जो रवीश कुमार के इस्तीफ़ा देने के बाद ज़ंजीरी मातम कर रहे हैं। पहली बात तो यह जान लीजिए कि इस धरती पर कोई भी इंसान निष्पक्ष नहीं है और आज की तारीख़ में अगर कोई ख़ुद को निष्पक्ष कह रहा है तो उससे बड़ा झूटा कोई नहीं है। मैं सिर्फ़ ये जानना चाहता हूं या अबतक मुझे ये बात समझ में नहीं आयी कि रवीश कुमार ने पत्रकारिता के ज़रिये ऐसा कौन सा आइफ़िल टॉवर खड़ा किया है जिसके लिए क़ौम आज मुहर्रम के चालीसवें की तरह ज़ंजीरी मातम कर रही है?

एक पत्रकार हैं शायद उनका नाम श्याम मीरा सिंह है। उन्हें जब आजतक से निकाल दिया गया था तो उन्होंने यूट्यूब पर चैनल बना लिया और वहां "निष्पक्ष" पत्रकारिता करने लगे। उन्हें ख़ूब अच्छे से मअलूम था कि अपने यूट्यूब चैनल को कैसे चलाना है। उनकी कई बार इस्लामोफोबिक ट्वीट्स/पोस्ट्स भी वायरल हो चुकी है। एक बार उन्होंने ये भी इक़रार किया था कि वो मोदी के बहुत बड़े फ़ैन थे और 2014 में उन्होंने बीजेपी के नारों को सच मानकर मोदी जी को वोट किया था। ये याद रहे कि बीजेपी के उन तमाम नारों में "मुस्लिम मुक्त भारत" बनाने का नारा भी शामिल था। श्याम मीरा सिंह का कहना है उनका परिवार आज भी बीजेपी/संघ परिवार के साथ है। लेकिन 2014 में मोदी जी को वोट देने के बाद श्याम मीरा सिंह पता नहीं कब सेक्युलर हो गए।
ख़ैर! आगे...

श्याम मीरा सिंह यूट्यूब चैनल बनाते ही एंटी बीजेपी ब्लॉग बनाने लगे जिसकी वजह से मुस्लिम नौजवानों में लगातार इनकी मुक़बुलियत बढ़ती गई। अगर आपको मेरी बातें झूट लग रही हों तो आप उनकी पोस्ट्स/ट्वीट्स/ब्लॉग्स पर आए कमेंट्स/लाइक्स/रिट्विट देखकर अंदाज़ह लगा सकते हैं। श्याम मीरा सिंह ने जब 2002 गुजरात मुस्लिम जेनोसाइड पर ब्लॉग बनाया था तब मैंने ट्वीट करके उनसे कहा था– "गुजरात से पहले आपको नेल्ली, हाशिमपुरा-मलियाना, मुरादाबाद, अहमदाबाद, हैदराबाद ऑपरेशन पोलो, भागलपुर, बाबरी की शहादत जैसे सैकड़ों मुस्लिम जेनोसाइड पर ब्लॉग बनानी चाहिए थी जो 2002 गुजरात मुस्लिम नरसंहार से पहले हुआ था। तब श्याम मीरा सिंह ने मुझसे वअदा किया था कि ज़रूर बनाऊंगा भाई धीरे-धीरे अभी चैनल नया है। चैनल नया था तो गुजरात ही क्यों? 1947 से लेकर 2001 को छोड़कर सीधे 2022 पर ही क्यों? मुझे लगता इतनी समझ तो आपको भी आती होगी कि 2002 गुजरात जेनोसाइड ही इन लोगों का पसंदीदा क्यों है? या यह लोग उसी जेनिसाइड के इर्द-गिर्द क्यों मंडराते हैं।
ख़ैर! तक़रीबन 6 महीने हो गए लेकिन श्याम मीरा सिंह ने अबतक कांग्रेस शासन में हुए एक भी मुस्लिम जेनोसाइड पर ब्लॉग नहीं बनाया है। इन लोगों के लिए सेक्युलरिज़्म खुटी पर टंगी पतलून की तरह है ये जब चाहें, जैसे चाहें उसका इस्तअमाल करके अक़्लीयत की जज़्बातों के साथ खेल सकते हैं। फिर कह रहा हूं कोई "निष्पक्ष" नहीं होता है।

कुछ लोग कहते हैं। असद-उ-द्दीन ओवैसी बीजेपी के ख़िलाफ़ इतना बोलते हैं लेकिन बीजेपी उनपर कार्रवाई नहीं करती। सवाल तो मेरे भी मन में आता है कि रवीश कुमार से ज़्यादह कोई पत्रकार बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं लिखता/बोलता बावजूद इसके बीजेपी रवीश कुमार पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती?

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