कल हमारे मुख्य-सेवक जी समुद्र में डूबी द्वारका जी के दर्शन करने गये। बाहर निकले
कल हमारे मुख्य-सेवक जी समुद्र में डूबी द्वारका जी के दर्शन करने गये। बाहर निकले तो बड़े प्रसन्न थे। बताये कि जब समुद्र में थे तो उनके कान में कृष्ण जी की मुरली गूँज रही थी, बहुत दिव्य अनुभव था, वगैरह-वगैरह। अब आपने अगर वो विडियो देखा हो तो क्या अपने मन में सोचा कि जब द्वारका जी की इतनी भव्य तस्वीरें इन्टरनेट पर घूमती रहती हैं, जिन तस्वीरों में – द्वार पर रखी शेर की मूर्ति, भव्य सीढियां एवं भवन अवशेष, बड़े-बड़े खम्बे – दिखाए जाते हैं तो हमारे मुखिया जी प्राचीनकाल में जहाजों द्वारा समुद्र के किनारे लंगर डालने के लिए प्रयोग किये जाने वाले “एंकर” पर बैठ कर पूजा कर के क्यों आ गये? द्वारका की कोई खिड़की, दरवाजे, चबूतरे या खम्बे आदि का फोटो तो डाले ही नहीं? . अब आप इस पोस्ट को आगे तभी पढ़ें, जब यह जानना चाहें कि मिथ्या प्रचार से कैसे एक पूरी पीढ़ी को मूर्ख बनाया जाता है। और अगर सत्य की खोज से आपकी भावना आहत हो जाती हो, तो क्षमा चाहूँगा, यह पोस्ट आपके लिए नहीं है। . तो हुआ यूँ कि पिछली शताब्दी में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो तथा सिन्धु घाटी सभ्यता के विभिन्न केन्द्रों की सफल खोज के बाद ब्रिटिश पुरा...