साल था 2014।वो टूर्नामेंट में सर्वाधिक 23 विकेट लेने वाला बॉलर था। उसके सर पर पर्पल कैप काबिज़ थी।चेन्नई सुपर किंग्स का प्रमुख बॉलर देखते
तो साल था 2014।वो टूर्नामेंट में सर्वाधिक 23 विकेट लेने वाला बॉलर था। उसके सर पर पर्पल कैप काबिज़ थी।चेन्नई सुपर किंग्स का प्रमुख बॉलर देखते ही देखते फैंस का चहेता बन चुका था। लगातार 2 साल भारत के लिए 2 वर्ल्ड कप खेल गया।और फिर........
कहते हैं zindagi इम्तिहान लेती है। बड़ी मुश्किल से आपको कुछ देती है।लेकिन जब वो लेने पर आती है तो कहीं का नहीं छोड़ती है। राजा रंक हो जाया करते हैं।जिसका नाम हो,वो गुमनाम हो जाया करते हैं।कुछ ऐसा ही हुआ उसके साथ भी।फिर दोबारा कभी नीली जर्सी पहननी नसीब नहीं हुई।और तो और, समा इतना खराब आ गया कि आईपीएल टीमों ने उसे लेने तक में रूचि नहीं दिखाई।मतलब कितना बुरा डाउनफॉल किसी का हो सकते है। आप और हम तो सोच भी नहीं सकते कि कितना स्ट्रगल रहा होगा,कितने मुश्किल दौर से गुजरना पड़ा होगा उसे,जब एक क्वालिटी प्लेयर के साथ ऐसा सलूक हुआ।आज हम Dramatic Downfall के 7वें एपिसोड में बात करेंगे मोहित शर्मा की। जो देखते ही देखते आंखों से ओझल हो गए। पर्पल कैप होल्डर से नेट बॉलर बन गए।और जानेंगे फिर दास्तां कमबैक की। मोहित शुरू से ही एक मेहनती खिलाड़ी रहे जिसने हमेशा ही अपनी स्ट्रैंथ को प्रॉसेस के थ्रू बिल्ड किया। जो कोई कमज़ोरी भी थी, उसे भी काफ़ी इंप्रूव किया।देखिए डोमेस्टिक क्रिकेट में पदार्पण तो मोहित ने 2011-12 के सत्र में कर लिया था लेकिन वो 2012-13 का सत्र था जब इन्होंने रणजी ट्रॉफी में केवल 7 मुकाबलों में 37 विकेट चटकाए और टूर्नामेंट के पांचवें सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज़ बने।
सफल रणजी सीज़न के इनाम स्वरूप मोहित को 2013 आईपीएल कॉन्ट्रैक्ट मिला जहां उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने साथ जोड़ा। उस समय बड़ा नाम होता था हरियाणा से आए एक यंगस्टर का जो कि माही की टीम से खेलने वाला था।कप्तान धौनी ने भी उनपर विश्वास जताते हुए उन्हें नई गेंद से लगातार मुकाबलों में मौके दिए, और मोहित ने भी कसौटी पर खरे उतरते हुए 15 मुकाबलों में मात्र 6.4 की इकोनॉमी से 20 विकेट लिए।यही वो वर्ष था जब मोहित की वर्षों की कड़ी मेहनत रंग लाई और पहली बार उनका जिम्बाब्वे दौरे के लिए भारतीय टीम में चयन हुआ। 5 एकदिवसीय मुकाबलों की श्रृंखला के पहले 3 मुकाबलों में तो मोहित को कोई मौका नहीं मिला और वे थोड़े restless हो गए। लेकिन मोहित को अगले ही मुकाबले में पहली बार नीली जर्सी में खेलने का मौका मिला। अपने पहले ही मुकाबले में मोहित ने गज़ब की गेंदबाजी कर 10 ओवर में केवल 26 रन देकर 2 विकेट लिए, जिसके लिए उन्हें मैन ऑफ़ द मैच चुना गया। अपने पहले एकदिवसीय मैच में मैन ऑफ़ द मैच बनने वाले वे संदीप पाटिल के बाद मात्र दूसरे खिलाड़ी बने।मोहित को अब वो पहचान और वो नाम और शोहरत मिलने लगी जिसके वो हकदार थे। क्योंकि इन्होंने अपने करियर की शुरुआत में ही एक परफैक्ट एग्जिबिशन किया था।अपनी बॉलिंग के ज़रिए उस टैलेंट का, उन वेरिएशन का,जिसकी भारतीय टीम को तलाश थी। उस वक्त कमज़ोर पड़ रहे एक यंग बॉलिंग अटैक में मोहित की इंट्री किसी वरदान सी थी क्योंकि ये एक complete फास्ट बोलर थे उस समय के। अगर साथियों को देखा जाए तो भूवनेश्वर कुमार थे केवल स्विंग के बॉलर जो सिर्फ new ball से ही अच्छा खेलता। ईशांत शर्मा बिल्कुल कंसिस्टेंट नहीं थे। मोहम्मद शमी एक शानदार बॉलर थे लेकिन शुरुआती दिनों में death बॉलिंग में उतने उत्तीर्ण नहीं थे। यही हाल था उमेश का, गति थी पर कंट्रोल नहीं।पर मोहित इन सभी सिचुएशन में कारगर थे।मोहित की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे नई गेंद से 135–145 की गति से गेंदबाजी कर विकेट निकालने में सक्षम तो थे ही, इसके अलावा मध्य ओवरों में रनों पर अंकुश लगाने की उनकी कला भी अप्रतिम थी। यही नहीं,पूरानी गेंद से उनका बैक ऑफ द हैंड 100–110 किलोमीटर प्रति घंटे की धीमी गति की गेंद उनका सबसे घातक हथियार था, जो किसी भी गेंदबाज (ख़ासकर स्विंग गेंदबाज)के लिए काफ़ी चुनौतीपूर्ण विविधता होती है। परंतु मोहित का इस पर गज़ब का नियंत्रण था, जिसका आगे उस समय हर बल्लेबाज धाराशाही हो रहा था। ये गेंद समझ पाना ही बड़ा कठिन था। बल्लेबाज़ समझ नहीं पाते थे कि बॉल पड़ने के बाद बाहर जायेगा या अंदर।
मोहित को जब भी मौके मिले, उन्होंने हमेशा उन मौकों को भुनाया और कुछ ही समय में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का अभिन्न अंग बन गए। टीम में इनका होना एक certainty था।इसके बाद वे 2014 के टी 20 विश्व कप में भी इन्हें चुना गया जहां ये फाइनल खेली उपविजेता भारतीय टीम का हिस्सा भी रहे, हालांकि उन्हें 3 ही मुकाबले खेलने का मौक़ा मिला। इसी वर्ष के इनका करियर और बुलंदियों पर पहुंचा जब आईपीएल में उन्होंने 16 मुकाबलों में सबसे अधिक 23 विकेट लेकर पर्पल कैप भी जीती। उन्होंने अपनी कामयाबी का श्रेय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को दिया, जो काफ़ी चतुरता एवं बुद्धिमानी से उनसे गेंदबाजी स्पेल कराया करते। जो कि ये साफ़ दर्शाता है कि इनमें रत्ती भर भी घमंड नहीं था। जो इतनी सफ़लता के बाद भी खुद का श्रेय कप्तान को दे दे, उससे बड़ा टीम मैन कौन होगा भला।उन्होंने इस मौके पर ये भी कहा था कि ये स्लोअर बॉल मेरी सबसे बड़ी ताकत है।
मोहित कई मैच विनिंग प्रदर्शन कर न केवल अपने कप्तान के पसंदीदा गेंदबाज बन गए थे, अपितु जिस भी वक्त उनके हाथ में गेंद होती, ये कलाकार कमाल का मिश्रण कर कहीं से भी विकेट निकाल ही लेता। यही कारण था कि कुछ समय में ही उन्होंने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली थी।
इसके बाद 2015 विश्व कप में वैसे तो उनका चयन टीम में नहीं हुआ था परंतु चोटिल ईशांत शर्मा के स्थान पर उन्हें टीम में शामिल किया गया। आए भले ही टीम की मजबूरी में थे वह,लेकिन सामने बैट्समैन को उन्हें मजबूरी में फेस करना पड़ता।जहां उन्होंने हर मुकाबले में कम से कम एक विकेट चटकाई और 8 मुकाबलों में 13 विकेट अपने नाम किए। भारत सेमिफाइनल तक तो पहुंचा ही, परंतु बदकिस्मती से ऑस्ट्रेलिया से हारकर विश्व कप से बाहर हो गया। यही तो हमारी हर बार की कहानी रहती है।
यहां तक मोहित के करियर में सब कुछ ठीक चल रहा था, परंतु इसके बाद हुआ कुछ ऐसा कि उन्हें कभी भी दोबारा भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला। वो कहते हैं ना कि बुरा समय कभी भी दस्तक देकर नहीं आता। यही हुआ मोहित के साथ। एक घरेलू मुकाबले के दौरान उनके बाएं टखने में चोट लग गई, जिसकी वजह से वे कुछ वक्त क्रिकेट से दूर हो गए। शिन स्प्लिट की ये तकलीफ उन्हें काफ़ी लंबे समय से रही है जिसने उनके करियर को काफ़ी प्रभावित किया है।और 2016 ऑस्ट्रेलियाई दौरे में भी नहीं खेल पाए। दोस्तों ये वही ऑस्ट्रेलिया श्रृंखला है जो जसप्रीत बुमराह और हार्दिक पांड्या के पदार्पण के लिए याद रखा जाता है। परंतु जसप्रीत बुमराह को मोहित के स्थान पर ही टीम में मौका मिला था।one man's loss,others opportunity। बस जस्सी का जादू बढ़ चढ़कर बोला।और क्योंकि अब भारतीय टीम में इतने तेज़ गेंदबाजी विकल्प आ गए थे कि मोहित को टी20 विश्व कप में भी मौका नहीं मिला।इसके बाद सीएसके और राजस्थान रॉयल्स पर जब 2 वर्ष का प्रतिबंध लगा तो मोहित शर्मा को पंजाब किंग्स ने खरीदा। परंतु अब मोहित की गेंदबाजी में वो धार,वो सटीकता, कहीं नज़र नहीं आ रही थी जिसके लिए वे विख्यात थे।अब न ही वे पहले की तरह किफायती गेंदबाजी कर पाते, और ना ही विकेट निकाल पाते। चाहे वे 2016 और 2017 आईपीएल सीज़न खेले, परंतु उनकी इकोनॉमी 9 की थी, और वे चयनकर्ताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में असमर्थ रहे। वहीं हालात बदसे बत्तर तो 2018 आईपीएल में हो गए जहां 9 मुकाबलों में उन्हें केवल 7 विकेट मिले और उनकी इकोनॉमी 10.85 की हो गई। एक समय पर घातक गेंदबाज रहे मोहित इस दौरान चोटों से काफ़ी ग्रस्त रहे। इसका अंदाज़ा आप इन्ही आंकड़ों से लगा सकते हैं कि 2017–19 के बीच वे कई बार घरेलू टूर्नामेंट में चोट के कारण बाहर हो गए, इस दौरान उन्हें केवल उन्हें 5 विकेट मिले।क्योंकि भारतीय टीम में वापसी करने के लिए आईपीएल में अपना परचम लहराना अति आवश्यक होता है, मोहित के इस निराशाजनक प्रदर्शन ने उनके वापसी के द्वार लगभग बंद कर दिए।कोई टीम उनमें रूचि न दिखाती। क्योंकि सबको दरकार होती है कोई यंगस्टर की।किसी ऐसे बॉलर की, जो कि अच्छे से ओवर्स करा सके। न कि बीच मझधार कभी कंधा,तो कभी घुटना पकड़कर बाहर हो जाए।
इसके बाद 2019 आईपीएल में उन्हें वापिस सीएसके ने अपने साथ जोड़ा,परंतु उन्हें अब मौके मिलने लगभग बंद हो गए, क्योंकि अब दीपक चाहर और शार्दूल जैसे newcomers भी मौजूद थे।उन्हें इस सीज़न केवल एक ही मुक़ाबला खेलने को मिला जहां उन्होंने एक विकेट लिया। इसके बाद उन्हें कमर में चोट लग गई और उनका फॉर्म और खराब हो गया।
जिसके बाद उन्हें सीएसके ने रिलीज़ कर दिया और 2020 आईपीएल में उन्हें दिल्ली कैपिटलस ने अपने साथ जोड़ा। यहां भी उन्हें एक ही मुकाबला खेलने का मौका मिला, जहां उन्होंने 4 ओवर में 45 रन लुटा दिए। यार एक तो पहले ही मौकों का सुखा था, ऊपर से ये प्रदर्शन।कौन ही पूछता उन्हें।आगे।
और उनपर दुखों का और पहाड़ उस वक्त टूटा जब उनके पिता का देहांत हो गया, जिसके बाद वे भारत लौट आए। इसके बाद ना ही तो 2021 आईपीएल में उनपर किसी टीम ने बोली लगाई और न ही 2022 में। और 26 मार्च को गुजरात टाइटंस ने उन्हें अपनी टीम में नेट बॉलर के तौर पर रखा। हालांकि कोच आशीष नेहरा की सोच तो ये थी कि टीम भरी पड़ी थी इंजरी प्रोन बॉलर्स से जैसे वरुण आरोन, प्रदीप सांगवान,यश दयाल। ऐसे में कोई भी घुटना पकड़ता,मोहित की सीधी एंट्री होती gt में।लेकिन पूरा सीज़न सारे बॉलर खेल गए।सब फिट रहे,और मोहित शर्मा नेट्स में।करीब 3 साल,कोई ग्लोरी नही इनके करियर में।कोई मौका नहीं, ज़रा सोचिए,किसी वक्त जो इतनी लाइमलाइट में रहा हो,जब उसके इतने बुरे दिन आ जाएं कि नेट्स में देश विदेश के सभी प्लेयर्स को बॉलिंग करनी पड़े।इंडिया खेला हुआ अच्छा खासा प्लेयर आज कल के aye 19-20 साल के लड़कों को bowling कर रहा हो।कोई और होता, तो सब छोड़ chadkar डिप्रेशन या भर भर कर स्ट्रैस में जी रहा होता,लेकिन मोहित शर्मा ने कभी हार मानी ही नहीं, क्योंकि क्रिकेट के सिवा इन्होंने किसी और चीज के बारे सोचा ही नहीं।इन्होंने पूरा सीज़न बतौर net बॉलर निकाल दिया।
और अगले वर्ष gt ने इन्हें 50 लाख में खरीदा। जो बॉलर कभी 5 करोड़ का हुआ करता था। यहां से इनके मृत हो चुके करियर का रिवाइवल शुरू हुआ। जहां पंजाब के खिलाफ़ इन्होंने अपना पहला मैच खेला 3 साल में।और मोहित ने क्या कमाल का प्रदर्शन किया इस मैच में।कमबैक पर ही 4 ओवर 2 विकेट सिर्फ 18 रन। मैन ऑफ द मैच बने। मुंबई के खिलाफ़ 5 विकेट भी लिए।14 मैच 27 विकेट। भाई वाह! मज़ा आ गया।अब मोहित ने गजब के डेथ बॉलर बनकर लौटे।यॉर्कर स्लोअर बॉल और बैक of the हैंड मोहित स्पैशल भी।क्या बात है यार। कमाल का कमबैक था, जो किसी ने सोचा भी नहीं था।इस आईपीएल भी,मैच भले ही केवल अभी 2 खेले हों,लेकिन परफॉरमेंस 1 नंबर। चेन्नई वाले मैच में जहां 200+ रन बनाए चेन्नई ने,आखिरी ओवर में इन्होंने महज़ 8 रन दिए।और क्या कमाल का एक्सपीरियंस दिखाया मोहित ने डेथ में, काबिले तारीफ था।टीम इंडिया की पेस बैटरी देखूं तो इनका करियर the end नज़र आता है।लेकिन इनके हौंसले,will power देखूं तो ये कहां कभी हार मानता है।मेरी तो ये दिली तमन्ना है इन्हें नीली जर्सी में दोबारा खेलता देखने की। बाकि लगता तो ये मुश्किल ही है।लेकिन जिस प्लेयर ने असंभव कार्य संभव कर दिखाया, उसके लिए ये। कमबैक तो बनता है।लेकिन ऐसा डाउनफॉल किसी का न हो। और अगर हो तो कमबैक करने की शक्ति भी मोहित जितनी हो। क्योंकि ऐसे डाउनफॉल आम इंसान को तोड़कर रख देते हैं। लेकिन सलाम है मोहित के जिगरे को।इनकी दिलेरी को। जो कि डाउनफॉल में भी टूटे नहीं।
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