मेरा एक दोस्त था... बहुत ख़ास, बहुत करीबी.. उसके घर आना जाना, माँ को माँ

मेरा एक दोस्त था... बहुत ख़ास, बहुत करीबी.. उसके घर आना जाना, माँ को माँ कहना, बहन को बहन, भाई को भाई.. सब रिश्तेदारो में जान पहचान.. हम बाइक पर लंबे लंबे सफर करते थे.. फिल्मे देखते थे, रेस्टोरेंट जाते थे। 

एक दिन उसकी शादी की तारीख़ तय हो गई। कार्ड छपे साहब लक्ज़र, महंगे.. उसकी औकात से बाहर.. ये मुझे पता है.. बाने बिठाई, रातिजोगा, बारात रवानगी, निकाह का समय, फिर वलीमा.. सारा टाइम टेबल सलीके से लिखा हुआ था। दोस्त की शादी होती है तब दोस्त को बहुत ख़ुशी होती है.. वो हमाली बन जाता है पूरा.. मैं भी ख़ुश था और हमाली बनने के लिए तैयार। 

हमारे यहाँ शादी से एक दिन पहले "रातिजोगा" मनाने का कल्चर है। यानी सारे लोग रात जागते हैं, सेलेब्रेट करते हैं। रातिजोगा की रात उन्होंने सड़क पर स्टेज लगाया। मैं ईशा की नमाज़ पढ़कर फ़ारिग हुआ था, और उसके घर की तरफ चल दिया। जाकर देखा, कान फाडू संगीत चल रहा है, अश्लील गाने बज रहे हैं.. पूरा खानदान नाच रहा है.. माँ, बहने, जीजा, बूढ़े बच्चे जवान सब मुन्नी के नाम पर कूद रहे हैं। मुँह में नोटों की पत्तियां लेकर नाच रहे हैं.. और नाचने वाले कौन? मज़दूर, मेकेनिक, कारीगर, मिस्त्री.. ये लोग.. ऐसे लोगों के मुंह में नोटों की पत्तियां, जो इन्हीं नोटों के लिए सारा दिन गधे की तरह काम करते हैं। 

उस दिन का दिन है, और आज का दिन है मैंने उसके घर में कदम नहीं रखा.. उसके साथ सफर नहीं किया.. उसके साथ बैठकर खाना नहीं खाया.. मैं लड्डन जाफरी बन गया " हमने तुम्हे बिरादरी से निकाल दिया, हमने तुमसे दूरी इख़्तियार कर ली, हमारे यहाँ चार दिवारी में दाखिल नहीं हो सकते, हमारे साथ बैठ नहीं सकते.. हम तुम्हे अपने बराबरी का समझते ही नहीं"...  

उसने और उसके घरवालों ने मुझसे पूछा शादी में ना आने का कारण पूछा... मैंने साफ शब्दों में वजह बताई .. कोई किंतु परन्तु नहीं, कोई लीपापोती नहीं। 

अभी एक दोस्त आया.. बोला "यार पड़ोस में शादी है, सारी रात उन्होंने परेशान किया.. ख़ूब नाचे, बेहयाई मचाई.. अश्लील गाने चलाए.. दुख हुआ देखकर"  मैंने उससे पूछा " चलो दुख तो हुआ.. अब तू एक्शन क्या लेगा.. दुखों में तो पूरा मुआशरा डूबा हुआ है.. मुआशरे इस वक्त फिलिस्तीन के दुख में दुखी है, कश्मीर का दुख है, राजनीतिक पार्टियों की प्रताड़ना से दुखी है.. दुख तो भैया कदम कदम पर है। पड़ोस में चल रहे "मुन्नी बदनाम वैवाहिक समारोह" पर एक्शन क्या ले सकते हो ये बताओ?

बोला "एक्शन क्या लें"? 

मैंने कहा "इनकी शादी का कोई फंक्शन अटेंड मत करना, घर में से कोई बच्चा भी इनके घर में कदम ना रखे ये एक्शन लेना.. कोई मनुहार करे, शिरकत ना करने का कारण पूछे तो साफ साफ वजह बता देना दो टूक"

थोड़ी सी उसे बात अजीब लगी.. लेकिन मुझे उम्मीद है.. दोस्त मेरा है वो.. नहीं जाएगा ऐसे कमज़र्फ़ लोगों के यहां.. और ना अपने परिवार में से किसी को जाने देगा। यही छोटी छोटी कुर्बानियां है जो इस दौर में हम दे सकते हैं। सिर्फ अफसोस से कुछ नहीं होगा.. लानत भेजो, बायकॉट करो.. वो भी क्लियर मैसेज के साथ। फिलिस्तीन के वीड़ियो शेयर करने से पहले अपने मुहल्ले में देख लो एक बार.. कौन कैरमबोर्ड के अड्डे चलाकर आपके बच्चों को "गुमराह, आवारा, बदजुबान और बद दीन" बना रहा है। कोई तो मर कर भी नहीं मर रहा.. हमारा मुआशरा जीते जी मर रहा है इसके सूत्रधार कौन है.. ये देखो।

~Abbas Pathan

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