1996 वर्ल्डकप सेमीफाइनल में बुरी हार के बाद #काम्बली की जगह #राहुल_द्रविड़ को पहली बार वनडे में मौक़ा मिला। थोड़ा धीमे खेलते थे लेकिन

1996 वर्ल्डकप सेमीफाइनल में बुरी हार के बाद #काम्बली की जगह #राहुल_द्रविड़ को पहली बार वनडे में मौक़ा मिला। थोड़ा धीमे खेलते थे लेकिन टीम की बल्लेबाजी को मजबूती देते थे! उस समय सभी टीम के पास बॉलर बहुत अच्छे हुआ करते थे। फील्डिंग के नियम भी अलग थे। मैच 220 रन पर जीत जाते थे। इसलिए राहुल का धीमा खेलना कभी भी टीम को नहीं खला, क्योंकि जरूरत पड़ने पर वे तेज़ भी खेल लेते थे। हमेशा पूरी तरह टीम के लिए समर्पित रहे। कम लोगों पता होगा कि राहुल द्रविड़ के नाम वनडे में सिर्फ 22 गेंद में दूसरी सबसे तेज फिफ्टी बनाने का भारतीय रिकॉर्ड भी है जो #सहवाग #कपिल देव और #युवराज के साथ संयुक्त रूप से अभी भी दर्ज है। टेस्ट क्रिकेट में तो द्रविड़ का कोई सानी नहीं था। आज भी मजबूत डिफेंस के कारण उन्हें 'दीवार' कहा जाता है। 
राहुल द्रविड़ ने अपना पहला वर्ल्डकप 1999 में खेला जिसमें वे सर्वाधिक 461 रन बनाकर टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर रहे लेकिन टीम इंडिया सुपर सिक्स से बाहर हो गयी। 
अगला वर्ल्डकप 2003 में खेले जिसमें कप्तान #गांगुली के कहने पर उन्होंने विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका निभाई जबकि उन्होंने विकेटकीपिंग स्कूली क्रिकेट के बाद नहीं की थी। टीम इंडिया फ़ाइनल तक पहुंची जिसमें द्रविड़ ने 63 के शानदार औसत से 362 रन भी बनाए लेकिन ट्रॉफी न जीत सके। 
2007 वर्ल्डकप में द्रविड़ कप्तान बनकर गए जो एक बुरा सपना साबित हुआ जबकि टीम बहुत अच्छी थी। विश्व कप का फॉर्मेट कुछ ऐसा था कि टीम इंडिया पहले ही दौर में बाहर हो गई। 
इसके बाद 2008 में #IPL शुरू हुआ। राहुल द्रविड़ अपने गृहनगर टीम #RCB के आइकॉन खिलाड़ी एवं कप्तान बने लेकिन ट्रॉफ़ी कभी नहीं जीत पाए। इसके बाद राजस्थान के कई साल कप्तान रहे बाद में कोच भी बने लेकिन ट्रॉफ़ी कभी नहीं जीत सके। करीब 2 साल पहले टीम इंडिया के कोच बने जिसमें टी20 वर्ल्डकप 2022 और #wtc23final भी हार गए।  
टीम इंडिया का कोच बनने के बाद राहुल #अनलकी भी रहे क्योंकि इन्हें अब तक शायद 8 अलग अलग कप्तानों के साथ काम करना पड़ा और हमेशा ही चोटिल खिलाडिओ की वजह से टीम को जूझना पड़ा। अभी हाल ही में एशिया कप जीतने से पहले इनकी आलोचना बहुत ज़्यादा की जा रही थी जिसकी एक वजह थी कि #विराट को बेवजह आराम दिया जा रहा है। मेरा मानना है कि विराट को वनडे से आराम देना कोच द्रविड़ और कप्तान #रोहित की बहुत ही शानदार रणनीति है जिसका असर विश्व कप में दिखाई देगा! विराट को आराम देने से ही नम्बर 4 और 5 का बल्लेबाज तैयार हो सका! क्योंकि हमने देखा है जब धवन-रोहित-विराट एकसाथ खेलते थे तो नम्बर 4 या 5 को खेलने के लिए ओवर्स ही नहीं बचते थे और जब दबाव वाली चुनौती नहीं मिलेगी तो साबित कैसे हो सकेगा। विराट के न खेलने से उनकी भूख भी बनी रही। 

एक क्रिकेट प्रशंसक के तौर पर मैं चाहूँगा कि जिस तरह 2011 वर्ल्डकप में टीम इंडिया के खिलाड़ी #सचिन के लिए खेले वैसे ही इस बार अपने कोच #द्रविड़ के लिए खेलें! ताकि राहुल द्रविड़ भी अपने इतने लंबे कैरियर के लिए एक विश्वकप ट्रॉफ़ी उठा सकें! जो इनकी लगभग 15 साल की भारतीय क्रिकेट सेवा का अवार्ड (ट्रिब्यूट) जैसा भी होगा। ~ 🙏 #cwc2023

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