क्या कप्तान राहुल द्रविड़ की वजह से सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक नहीं हो सका? यह सवाल करोड़ों

क्या कप्तान राहुल द्रविड़ की वजह से सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक नहीं हो सका? यह सवाल करोड़ों क्रिकेट फैंस को आज भी परेशान करता है। एक टेस्ट मैच जिसे वीरेंद्र सहवाग के तिहरे शतक के लिए याद किया जाना चाहिए था, वह सचिन के 194* रनों के लिए जाना जाता है। तारीख थी 29 मार्च 2004 और मुल्तान में सीरीज के पहले टेस्ट मैच में भारत के सामने था पाकिस्तान। भारत ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। वीरेंद्र सहवाग और आकाश चोपड़ा ने मिलकर पहले विकेट के लिए 160 रन जोड़े। इस साझेदारी में आकाश चोपड़ा का योगदान सिर्फ 42 रन का था। यह अपने आप में बताने के लिए काफी है कि उस दौरान वीरू किस प्रचंड अवतार में बल्लेबाजी कर रहे थे। फर्स्ट डाउन बल्लेबाजी करने उतरे राहुल द्रविड़ कुछ खास नहीं कर सके और 6 रन बनाकर चलते बने। यहां से वर्ल्ड फेमस सचिन-सहवाग की जोड़ी ने मिलकर पाकिस्तानियों को भरपूर मारा। दोनों ने देखते-देखते तीसरे विकेट के लिए 336 रनों की विशाल साझेदारी बना दी। 

वीरेंद्र सहवाग पाकिस्तानी सरजमीं पर टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक लगाने वाले पहले भारतीय बन गए। सचिन और वीरू ने पाक गेंदबाजों की रेल बना दी। शोएब अख्तर, मोहम्मद सामी, सकलैन मुश्ताक और अब्दुल रज्जाक जैसे गेंदबाज मुंह छुपाते फिर रहे थे। वीरू ने 39 चौकों और 6 छक्कों के साथ 309 रनों की आतिशी पारी खेली थी। इस मैच में एक और रिकॉर्ड बनने वाला था, लेकिन राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी। यह रिकॉर्ड था, सचिन तेंदुलकर का दोहरा शतक। सचिन तेंदुलकर 194* पर बल्लेबाजी कर रहे थे, लेकिन भारत के स्टैंड-इन कप्तान राहुल द्रविड़ ने अचानक इनिंग डिक्लेयर कर दी। राहुल द्रविड़ के इस फैसले पर मीडिया, फैंस और एक्सपर्ट्स सभी ने सवाल उठाए। आपको बताते हैं कि उस दौरान आखिर हुआ क्या था। टेस्ट मैच का दूसरा दिन था। टी-ब्रेक चल रहा था। भारत 4 विकेट के नुकसान पर 588 रन बना चुका था। 

टी-ब्रेक के वक्त सचिन तेंदुलकर नाबाद 165 रन बनाकर युवराज सिंह के साथ क्रीज पर मौजूद थे। युवराज सिंह नाबाद 11 रन बनाकर खेल रहे थे। तेंदुलकर के पास अपने 200 रन पूरे करने के लिए लगभग 15 ओवर थे, क्योंकि भारत दिन का खेल खत्म होने के आसपास ही पाकिस्तान से बल्लेबाजी कराना चाहता था। चाय के ब्रेक के बाद सचिन ने अच्छी गति से रन बनाए। अंतिम सत्र में उन्होंने 35 गेंदों में 29 रन जोड़े। रमेश पोवार ड्रिंक्स ब्रेक से ठीक 2 ओवर पहले एक संदेश लेकर आए। फिर युवराज सिंह इसी ओवर की पांचवीं गेंद पर 59 रन बनाकर आउट हो गए। युवी के आउट होते ही राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित कर दी। जबकि ड्रिंक्स ब्रेक में अभी 2 ओवर बाकी थे। भारत का स्कोर 5 विकेट के नुकसान पर 675 रन पहुंच चुका था। जब राहुल द्रविड़ ने पारी घोषित की, उस वक्त सचिन तेंदुलकर 21 चौकों की मदद से 194 रन बनानर खेल रहे थे। 

अचानक इस तरह पारी घोषित होने से सचिन तेंदुलकर काफी निराश हो गए थे। सचिन को लगा था कि उनके पास 200 का आंकड़ा पार करने के लिए 12 गेंदें शेष हैं। जबकि पोवार अपने अंतिम संदेश के साथ पहुंचे थे कि यह भारतीय पारी का आखिरी ओवर होगा। सचिन तेंदुलकर को यह बात मालूम नहीं चल सकी थी। दुर्भाग्यवश युवराज ने इमरान फरहत द्वारा फेंके गए ओवर में खेली गई पहली 4 गेंदों में से 3 को खेल लिया था। कोच जॉन राइट और भारतीय कप्तान सौरव गांगुली चोट के कारण खेल से बाहर हो गए थे। दोनों ने कहा कि यह राहुल द्रविड़ का निजी निर्णय था। वहीं, स्टैंड-इन भारतीय कप्तान राहुल द्रविड़ का कहना था कि उन्होंने टीम के हितों को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया था। राहुल द्रविड़ चाहते थे कि पाकिस्तानी टीम दिन के अंतिम घंटे में बल्लेबाजी करे। इसलिए उन्होंने ड्रिंक्स ब्रेक से 2 ओवर पहले ही पारी घोषित कर दी।

राहुल द्रविड़ अपने प्लान में बदलाव नहीं करना चाहते थे, चाहे इसके लिए उन्हें सचिन तेंदुलकर के दोहरे शतक की कुर्बानी ही क्यों ना देनी पड़े। सचिन तेंदुलकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात को लेकर निराशा जताई थी। सचिन तेंदुलकर इस निर्णय बेहद नाराज थे और उन्होंने अपने इस गुस्से का जिक्र अपनी ऑटोबायग्राफी ‘प्लेइंग इट माय वे’ में भी किया है। मास्टर ब्लास्टर ने अपनी किताब में लिखा है, अचानक इस तरह पारी घोषित होने से मैं सदमे में था, क्योंकि मुझे इसमें कोई तुक नहीं दिखाई दे रहा था। मैं काफी निराश और नाराज भी था। नाराजगी लिए हुए ही मैं ड्रेसिंग रूम में पहुंचा था। उन्होंने लिखा है कि वह इससे इतने निराश थे कि राहुल द्रविड़ से कह दिया था कि वह उन्हें अकेला छोड़ दें। कोच जॉन राइट ने इसके लिए सचिन तेंदुलकर से माफी मांगी थी और सौरव गांगुली ने भी इसे लेकर अफसोस जताया।

युवराज सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम पर कहा था कि अगले 2 ओवर पारी घोषित न करने से टीम पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था। युवी ने आगे कहा, अगर यह मैच का तीसरा या चौथा दिन होता, तो आपको टीम को प्राथमिकता देनी होती या जब सचिन 150 पर थे, तब पारी घोषित की जा सकती थी। एक बार जब सचिन 190 के पार चले गए थे, तब उनका दोहरा शतक बनने दिया जाना चाहिए था। इस मामले में ओपिनियन का फर्क है। मुझे लगता है कि टीम सचिन के 200 के बाद इनिंग डिक्लेयर कर सकती थी। सचिन और राहुल द्रविड़ के बीच इस घटना के बाद कुछ दिनों तक मनमुटाव रहा था। हालांकि बाद में राहुल द्रविड़ ने सचिन से माफी मांग कर इस मुद्दे को सुलझा लिया था। पाकिस्तान पहली पारी में 407 और दूसरी पारी में 216 रन बनाकर ऑलआउट हो गया था। भारत ने यह मुकाबला एक पारी और 52 रन से जीत लिया था। क्या आपको भी लगता है कि राहुल द्रविड़ को सचिन का दोहरा शतक पूरा होने के बाद पारी घोषित करनी चाहिए थी

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