मेरे होश का पहला मैच 2003 वर्ल्डकप का फाइनल था। नियम नही पता थे, रिकॉर्ड्स

मेरे होश का पहला मैच 2003 वर्ल्डकप का फाइनल था। नियम नही पता थे, रिकॉर्ड्स नही मालूम थे। बस उस दिन सोने का बैट थामे हुए सचिन का चेहरा धंस गया जहन में। अजीब लगा मुझे, कि सोने का बैट जीतकर भी कोई खिलाड़ी इस कदर उदास कैसे रह सकता है। फिर मैंने पूछना शुरू किया सचिन कौन है क्या है, उस वक्त जो समझ आया था वो ये था कि लोग सचिन से इतनी मुहब्बत कर चुके थे कि अब नफरत करने लगे थे। वो टीवी देखते हुए चाहते थे कि सचिन खेलता रहे, पर आउट हो जाए तो अपनी खीज सचिन पर उतारते थे। मैं कोशिश करता डिफेंड करने की तो लोग कहते कि ये अपने रिकॉर्ड के लिए खेलता है, टीम से मतलब नही इसको। मैं सिर्फ सचिन के चेहरे के भाव देखता, आउट होने पर, हारने पर, जीतने पर। फिर वो वक्त भी आया कि सचिन का आखिरी टेस्ट था, सचिन बाइस गज की उस पिच को ऐसे देख रहे थे जैसे इसके बाहर की दुनिया में सचिन के लिए कुछ भी नही है। मुझे लगा अब कोई फैन नही बना सकता मुझे अपना, अब किसी के स्कोर जानने भर के लिए मैं क्लास बंक नही कर सकता।सचिन के रिटायरमेंट के टाइम तक विराट कोहली ने अपना नाम रुतबा ठीक ठाक बना लिया था। पर मैं फैन नही था कोहली का।

फिर एक मैच में मेरा ध्यान कोहली के चेहरे पर गया। ये आदमी सचिन से ज्यादा "एक्सप्रेसिव" था, लोगो ने निचोड़ निकाला कि कोहली सचिन से ज्यादा "एग्रेसिव" है। फिर गौतम गंभीर के साथ झगड़ा हुआ, आरसीबी 49 पर सिमट गई, सीजन दर सीजन पिटती रही। कई बड़े टर्नामेंट्स से भारत की टीम गुणा गणित से हारकर बाहर हो गई। एक मैच में तो कोहली मैदान पर रोने लगा। कभी किसी को आंख दिखा दी तो कभी किसी को कुछ बोल दिया। लोग बाग कहते कि खेलता अच्छा है पर नेचर सही नही इसका, सचिन को देखो कितना हंबल आदमी है। फिर भी कोहली खेलता रहा, ऐसे मौके पर खेला जहा किसी को कोहली से उम्मीद नही थी। सचिन सहवाग के रहते कोहली ने मलिंगा के करियर के ताबूत की पहली कील ठोक दी थी। फिर नाम हुआ, रुतबा बना। अब कोहली से लोगो को सिर्फ उम्मीद नही थी, ये तय माना जाता था कि ये तो खेलेगा ही। 

फिर डाउनफॉल आया कोहली का, लोग उसके एक्सप्रेसिव नेचर से आगे बढ़े तो उसके लाइफ पार्टनर के पीछे पड़ गए। उसकी बीवी को पनौती कहा गया। जिंदगी में दस इंटरनेशनल भी नही खेलने वाले लोग कोहली को दाया बाया समझाने लगे। फिर भी ये आदमी खेलता रहा, पहले जैसा रंग तो नहीं था, पर फिर भी टीम में अपनी अहमियत बनाए हुए था। फिर कप्तानी देखी मैने इस खिलाड़ी की, अंगार कप्तानी। सामने वाली टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों की टांग कांप जाती थी जब कोहली बुमराह सिराज के पास जाकर यूंही कुछ बोलने लगता। फिर वो दौर भी आया जब कोहली ने अपने बोलर्स से कहा कि "मैं चाहता हू कि अंग्रेज बैट्समैन जब तक क्रीज पर मौजूद रहे, उन्हे लगे वो जहन्नुम में है।" कप्तान की बात पर बॉलर ने 22 गज पर वो रक्तपात शुरू किया कि वो सिरीज इतिहास में दर्ज हो गई। फिर हम कई टर्नामेंट के नॉकआउट से बाहर होने लगे, कोहली भी अपने प्राइम में नही था, फिर सिलेक्टर्स ने टीम में कप्तान के गुच्छे बनाने शुरू किए। एक एक करके कोहली ने हर फॉर्मेट की कप्तानी से खुद को अलग कर लिया, ऐसा लग रहा था कि जिंदगी भर परिवार को बिठा कर खिलाने वाले इंसान को बीमार पड़ते ही घर का बोझ मान लिया गया।

कप्तानी गई, और फॉर्म पहले जैसी आ नही रही थी। फिर आया वर्ल्ड टी20 का मैच। बड़ा मैच बड़ी टीम। सामने की टीम में एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाज थे। उस दिन मैच में भारत को चेज करने के लिए कहा गया था। शुरुआत में ही भारत की बैटिंग बिखर गई, बस एक खिलाड़ी रुका था जिसे चेज मास्टर कहा जाता था पर अब उसकी हैसियत पर लोग शक करने लगे थे। सब चाहते थे कि आउट ना हो, पर सब इंतजार में थे कि अगर आउट हुआ तो क्या क्या बोलेंगे। विराट दौड़ते भागते अपने पांव में भारत का स्कोर बांधे इंच दर इंच खिसकता जा रहा था। मैच आखिरी मकाम में पहुंचा तो पलड़ा भारत के खिलाफ झुका हुआ था। सबको लग रहा था कि मार तो देगा कोहली पर...

फिर हारिस रऊफ ने वो गेंद फेंकी, जिस गेंद के बारे में रमीज राजा ने हारिस रउफ को यकीन दिलाया था कि "कोई माई का लाल सीधी हिट नही मार सकता"। पर कोहली ने उस गेंद पर वो शॉट लगाया जिसने एक फर्क समझाया दुनिया को, कि विराट कोहली ये कर सकता है, बाकी बैट्समैन ऐसी स्थिति में ऐसा करने की सोच भी नही सकते। कोई और होता तो पुल ट्राय करता, या ऑफ साइड में मारता, पर विराट को हमेशा खुद पर यकीन था, बार बार मुंह की खाने के बावजूद भी उसे मालूम था कि वो है क्या चीज आखिर। उस गेंद पर उस माई के लाल ने ऐसा शॉट मारा कि पाकिस्तान की टीम वही मैच हार गई। उसके बाद ऐसा लगा कि हर बॉलर के दिल में इस बात का डर था कि आज विराट स्टंप की गिल्ली से भी छक्के मार सकता है। मैच खत्म हुआ, पूरा स्टेडियम विराट की माला जप रहा था। टीम मेट्स उसे थामे हुए थे,पूरे देश के फैंस जान लुटाने को तैयार थे, एक्सपर्ट उस शॉट को शॉट ऑफ द एंपरर कह रहे थे। और दुनिया के बाकी खिलाड़ी खुले दिल से कुबूल कर रहे थे कि विराट कोहली क्या है। 

उस लम्हे मैं विराट का फैन बना, इसलिए नही कि विराट ने जिता दिया था, इसलिए क्युकी ये कमबैक था किंग का। एक हारा हुआ राजा वापस अपने तख्त की तरफ बढ़ रहा था और पूरी दुनिया किनारे होकर उसे रास्ता दे रही थी। उस दिन विराट ने बताया कि वो किंग है, और उस दिन विराट ने साबित किया कि उससे ज्यादा टैलेंटेड लोग आएंगे, उससे ज्यादा रिकॉर्ड बनाने वाले आयेंगे, पर दूसरा विराट कोहली नही आयेगा। विराट कोहली के एक एक फैंस विराट के खून पसीने की कमाई है, ये पूंजी है विराट के करियर की। हम में से आधे उसे पसंद नही करते थे, करते भी थे तो, हा ठीक है टाइप। पर उसने मजबूर कर दिया, हमारे पास कोई चारा ही नही छोड़ा उसके फैन बनने के अलावा। केएल राहुल, रोहित शर्मा कही ज्यादा टैलेंटेड है कोहली से, पर कोहली के जैसी इच्छा शक्ति, और कंट्रोल किसी में भी नही है। ये वो आदमी है जिसे किसी मैच में अगर ये लगा कि उसके हेलमेट की वजह से वो गेंद पर कॉन्सेंट्रेट नही कर पा रहा है तो ये बंदा टीम के लिए 150 की रफ्तार की गेंद के आगे नंगा सर लेकर खड़ा हो जायेगा। क्युकी इस 22 गज पर ही उसकी पूरी दुनिया है, जैसे सचिन के लिए थी, ये दोनो क्रिकेट के इतिहास में सबसे ज्यादा मुहब्बत और नफरत पाने वाले खिलाड़ी है, पर इन्हे फर्क नही पड़ता किसी की बात का, जब तक खेल रहे है, तब तक सांस ले रहे है।

#rehan

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