चाहे जितना टैलेंट भरा पङा हो,आप चाहे जितना जुझारू हों,आप

 चाहे जितना टैलेंट भरा पङा हो,आप चाहे जितना जुझारू हों,आप चाहे जितना मेहनती हों लेकिन अगर आप भाग्यशाली नही हैं तो आपका टैलेंट,आपका जुझारूपन,आपकी मेहनत सब निरर्थक हो सकती है। हम दो उदाहरण दे रहे हैं। 
एक बल्लेबाज जिसका इस समय टी20 मे पूरी दुनिया मे डंका बज रहा है उसे कोच साहब यह बोलते हैं कि वह अभी वनडे सीख रहे हैं। इस बात का उस बल्लेबाज पर यह असर हुआ कि वह खुद भी बोलने लगा कि वह अभी उतना अच्छा वनडे मे नही कर पा रहे हैं। 

जी हां जब पूरे देश की मीडिया और यहां तक कि आपका कोच आपको बोलने लगे कि आप वनडे लायक नही हो तो आपके अंदर भी यह बात घर कर जाती है कि आप कहीं सच मे वनडे लायक तो नही हैं? बस इसी बात के दिमाग मे घर कर जाने की वजह से सूर्यकुमार यादव के बल्ले से आज तक वनडे मे पदार्पण के कुछ मैचों को छोङकर (जब तक मीडिया ने सूर्यकुमार को टी20 का प्लेयर घोषित नही किया था) एक भी हाफ सेंचुरी नही आई है। सूर्यकुमार के दोनो हाफसेंचुरी तब आऐ थे जब लोग उनको केवल टी20 का प्लेयर है नही बोलते थे। लोगों ने यह बोल बोल कर कि सूर्यकुमार वनडे लायक नही है सही मे उसे वनडे लायक ही नही छोङा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि  क्रिकेट सेल्फ विलीव का खेल है।

अगर आपमे आत्मविश्वास है कि आप कोई कार्य कर सकते हैं तभी कर पाऐंगे। अब सूर्यकुमार यादव वनडे मे जब भी खेलने जाता है उनके मन मे यह ख्याल आता है कि वह वनडे सीख रहे हैं। बस इसी वजह से उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है और वह उन्ही गेंद पर आउट होते हैं जिनपर वह टी20 मे आंख मूदकर छक्के मारते हैं।

कुछ ऐसा ही संजू सैमसन के साथ हो रहा है। संजू सैमसन जब राजस्थान रायल्स के लिए आईपीएल मे खेलते हैं तब वह अलग बल्लेबाज नजर आते हैं लेकिन जब भारत के लिए खेलते हैं तब बिल्कुल बेकार खेलते हैं। उनका प्रदर्शन उस स्तर का नही रहता है जिस स्तर का आईपीएल मे रहता है। इसके पीछे की वजह सिर्फ यही है कि आईपीएल मे वह अपनी टीम के बाॅस होते हैं समूचा मैनेजमेंट उनके साथ होता है। उनपर टीम से बाहर कर दिये जाने का दबाव नही होता है। वह एक निश्चित रोल मे और एक निश्चित स्थान पर खेलते हैं।

कुल मिलाकर देखा जाए तो यह साफ है कि किसी भी खिलाङी पर साईकोलाजिकल प्रेशर बनाकर उसका प्रदर्शन खराब कराया जा सकता है। वरना गिल भी कोई खास प्रदर्शन टी20 मे नही कर सके हैं। इस पूरी सिरीज मे गिल ने एक मैच को छोङकर कुछ नही किया है। लेकिन लोग आलोचना सिर्फ संजू की कर रहे हैं। आलोचना तो गिल की भी होनी चाहिए उन्होने सिर्फ एक मैच मे वह भी पाटा विकेट पर रन बनाए और चार मैच मे फेल रहे हैं।

संजू का खराब प्रदर्शन सिर्फ दबाव और एक निश्चित स्थान पर न खिलाने की वजह से है वरना एक काबिल खिलाङी से इतने निम्न स्तर के प्रदर्शन की उम्मीद नही थी। संजू जितना टैलेंटेड,मेहनती और जुझारू हैं अगर वह भी गिल जितना सपोर्ट पा जाते या भाग्यशाली होते तो शायद आज भारत के कप्तान होते और न सिर्फ कप्तान बल्कि उनकी तुलना धोनी से होती क्योंकि उनमे कप्तान और विकेटकीपर होने के साथ साथ सेंस आफ ह्यूमर भी है। बस संजू मे एक ही कमी है कि वह भाग्यशाली नही हैं कि मैनेजमेंट उनको सपोर्ट करे।

उम्मीद है संजू और सूर्यकुमार जल्द इस बात को समझेंगे और अच्छा प्रदर्शन करके भारतीय टीम के लिए योगदान करेंगे। 
#shubhmangill #bcci #ICC #viratkohli #worldcup2023 #INDvsENG #bumrah #suryakumaryadav

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ क्या है?"" "" "" "" **वक़्फ अरबी

जब राम मंदिर का उदघाटन हुआ था— तब जो माहौल बना था, सोशल मीडिया

मुहम्मद शहाबुद्दीन:- ऊरूज का सफ़र part 1 #shahabuddin #bihar #sivan