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#DRS #msdhoni माही ने इस IPL के बाद संन्यास लेने का इशारा किया है। धोनी ने ईडन गार्डंस, #ipl #dhoni #cricket

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#DRS #msdhoni  माही ने इस IPL के बाद संन्यास लेने का इशारा किया है। धोनी ने ईडन गार्डंस, कोलकाता में KKR के खिलाफ 49 रन से मैच जीतने के बाद कहा कि पब्लिक भारी संख्या में मुझे फेयरवेल देने के लिए ग्राउंड पर आ रही है। यह कहने के बाद उनके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। जब धोनी से पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन सेरिमनी में पूछा गया कि कोलकाता के होम ग्राउंड में ज्यादा समर्थक चेन्नई के थे, तब उन्होंने कहा मैं सपोर्ट के लिए बस थैंक्यू कहूंगा। काफी ज्यादा संख्या में लोग आए थे। अगली बार इनमें से ज्यादातर लोग KKR की जर्सी में आएंगे। वे मुझे फेयरवेल देने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए क्राउड का बहुत सारा शुक्रिया।  महेंद्र सिंह धोनी का यह बयान सुनते ही दिल से आवाज आई कि अभी ना जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं...! ऐसा नहीं है कि धोनी के फैन होने के नाते यह बात कही जा रही है। हकीकत यह है कि 41 की उम्र में आज भी ग्राउंड पर उनसे बड़ा कप्तान और विकेटकीपर कोई दूसरा नहीं है। माही की फिटनेस अपने आप में मिसाल है। कोलकाता के खिलाफ धोनी को सिर्फ 2 गेंद के लिए बल्लेबाजी मिली, लेकिन इस दौरान भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ दी।

part 3 अतीक अहमद:- प्रारंभ से अंत तकपार्ट -3नवंबर 1989 में

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FBP/60/2023 अतीक अहमद:- प्रारंभ से अंत तक पार्ट -3 नवंबर 1989 में अतीक अहमद पहली बार इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीत कर विधायक बने तो उनके दामन में चांद बाबा की खौफनाक हत्या के ऐसे आरोप थे जो जनता के मनमस्तिष्क में घर गये मगर प्रशासन ने कभी उन्हें इसके लिए आरोपित नहीं किया। विधायक बनते ही अतीक अहमद ने अपने पिता को तांगा चलाने से मना किया और चकिया तिराहे पर ही अपने आफिस के सामने लकड़ी चीरने का एक कारखाना खरीद कर दे दिया जहां उनके पिता बैठने लगे। अतीक अहमद का विधायक के तौर पर यह पहला कार्यकाल मात्र दो साल का ही रहा और इन दो सालों में खूंखार अतीक अहमद ने अपनी छवि तोड़ कर इलाहाबाद के तमाम बड़े और इज्ज़तदार लोगों से अपने व्यक्तिगत रिश्ते बनाए दोस्ती की जिसमें इलाहाबाद के एक सबसे बड़े होटल व्यवसाई सरदार जी थे तो एक भगवा राष्ट्रवादी पार्टी के उस समय के सबसे बड़े नेताओं में से एक नेता भी थे जो बाद में विधानसभा अध्यक्ष और कई राज्यों के राज्यपाल बने। अतीक अहमद उन्हें चाचा तो वह अतीक अहमद को बेटा मानते थे। जनता के बीच अपनी खौफनाक छवि तोड़ने के लिए उन्होंने मंसूर पार्क में कैनवास क्

अतीक अहमद:- आरंभ से अंत तकपार्ट -1इलाहाबाद जंक्शन से हर सुबह एक तांगा सवारी बैठाती और खुल्दाबाद, हिम्मतगंज, चकिया पर सवारी उतारती चढ़ाती जंक्शन से 5 किमी दूर स्थित

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अतीक अहमद:- आरंभ से अंत तक पार्ट -1 इलाहाबाद जंक्शन से हर सुबह एक तांगा सवारी बैठाती और खुल्दाबाद, हिम्मतगंज, चकिया पर सवारी उतारती चढ़ाती जंक्शन से 5 किमी दूर स्थित "कसरिया" जाती और फिर वहां से इसी तरह इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन आती। सुबह 7 बजे से दोपहर 2 बजे तक सवारी ढोने का काम चलता रहता। यह तांगा फिरोज़ अहमद का था जिससे वह जीविकोपार्जन के लिए सवारी ढोते थे।  फिरोज़ अहमद गद्दी बिरादरी के (मुसलमानों में यादव) थे जिनकी इलाहाबाद पश्चिमी और नवाबगंज के ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी आबादी है। यह लोग शौकिया घोड़े और व्यवसायिक रूप से गाय भैंस बकरी इत्यादि पाल कर दूध‌ का व्यवसाय करने के लिए जाने जाते हैं।  इस बिरादरी का परंपरागत पहनावा सफेद कुर्ता, सफेद तहमद और सफेद साफा था। अतीक अहमद जीवन भर इसी वेशभूषा को धारण किए रहे। कसरिया या कसारी मसारी फिरोज अहमद का पुस्तैनी गांव‌ था , उसी गांव के चकिया मुहल्ले में फिरोज अहमद ने 1972 में घर बनवाया और अपने दो बेटों अतीक अहमद और खालिद अज़ीम उर्फ अशरफ तथा तीन बेटियों शाहीन और परवीन और सीमा के साथ चकिया में रहने लगे। 10 अगस्त 1962 को

part 2 एक था अतीक, एक था इलाहाबाद #ateek_ahmad

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एक था अतीक, एक था इलाहाबाद  .............................................. पार्ट-2 पोस्ट में अतीक अहमद पर आने से पहले समझिए कि "चांद बाबा" क्या था ? तब पोस्ट सही से समझ में आएगी। दरअसल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या से उथल पुथल शहर के हम्माम गली में रहने वाला "शौक ए इलाही उर्फ चांद हड्डी" हार्डकोर क्रिमिनल था , उसके जुर्म का इतिहास सराए गढ़ी के हमाम गली में झाड़ फूंक करने वाले एक बाबा की हत्या से शुरू हुआ, चांद हड्डी को शक था कि उसके बड़े भाई रहमत की मौत बाबा के झाड़ फूंक की वजह से हुई है। इस घटना से चांद हड्डी, चांद बाबा बन गया , चांद बाबा के खिलाफ शाहगंज थाने में एफआईआर दर्ज हुई और चांद बाबा को गिरफ्तार करके नैनी जेल भेज दिया गया। जेल से जमानत पर छूटते ही चांद बाबा अपने बड़े भाई रहमत के करीबी दोस्त को गोलियों से भून दिया। क्योंकि चांद बाबा को शक था कि यह खास दोस्त भी रहमत की मौत का ज़िम्मेदार है। यहां से शुरू होता है चांद बाबा के जुर्म का दौर और चांद बाबा ने तीसरी हत्या अपने वकील की ही कर दी जब वकील की उसके साथ किसी बात पर बहस हो गई। वकील का सीना पहले

अतीक़ अहमद का बेटा असद पढ़ने के लिए लंदन जाना चाहता था। उसको वहां लाॅ कोर्स में दाख़िला भी मिल गया लेकिन वो पढ़ #ateek_ahmad

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अतीक़ अहमद का बेटा असद पढ़ने के लिए लंदन जाना चाहता था। उसको वहां लाॅ कोर्स में दाख़िला भी मिल गया लेकिन वो पढ़ नहीं पाया क्योंकि राज्य चाहता था उसके हाथ में डिग्री नहीं तमंचा आए। सरकार ने उसके ख़िलाफ एक भी आपराधिक मामला न होने के बावजूद पासपोर्ट जारी नहीं किया। जो लड़का देश का बड़ा वकील हो सकता था उसको अपराधी बनाकर मार दिया गया। लोग अक्सर सवाल करते हैं मुसलमान शादी, खाने, और दिखावों पर ख़र्च करते हैं शिक्षा पर नहीं। यह नरेटीव किसने बनाया? ज़ाहिर है, उस राज्य ने जिसकी ज़िम्मेदारी है कि अपने हर नागरिक को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराए। लेकिन अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में विफल रहा राज्य क्या कर रहा है? अपनी विफलता का बोझ समुदाय पर मढ़ रहा है। दुख की बात है कि बहुसंख्यक समुदाय का पढ़ा-लिखा और कथित समझदार तबक़ा भी इसका समर्थन कर रहा है। राज्य को क्या करना चाहिए था यह बताने की ज़रूरत नहीं है लेकिन राज्य ने क्या किया, यह बताना ज़रूरी है। पिछले आठ साल के दौरान मौलाना आज़ाद के नाम पर दी जाने वाली छात्रवृत्ति बंद कर दी।  वक़्फ काउंसिल से जारी होने वाली छात्रवृत्ति में रोड़े अटकाए गए।  मेरिट कम म

जब बाबरी मस्जिद शहीद किया गया तो सेक्युलर, लिबरल, समाजवादी व सामाजिक न्याय की बात करने वाले बुद्धिजी

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जब बाबरी मस्जिद शहीद किया गया तो सेक्युलर, लिबरल, समाजवादी व सामाजिक न्याय की बात करने वाले बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया गया कि मण्डल आंदोलन को कमज़ोर करना मक़सद था।  बाबरी मस्जिद की जगह राममंदिर बनाने का फैसला संवैधानिक न्यायपालिका से सुनाया तो तर्क दिया गया कि OBC आरक्षण पर चल रहे तलवार से ध्यान भटकाना था।  मुसलमानों की लिंचिंग होती है तो इन बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया जाता है कि राज्यों के चुनावों में भाजपा को चुनाव जीतना था।  CAA/NRC लाया गया तब इन बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया गया कि असम व बंगाल का चुनाव जीतने के लिए लाया गया। उत्तराखण्ड रेलवे कॉलोनी का ममला आया तब इन बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया गया कि राहुल की भारत जोड़ों यात्रा से ध्यान भटकाने के लिए किया गया। जब मुस्लिम विरोधी दिल्ली दंगा हुआ तब इन बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया गया कि उत्तरप्रदेश चुनाव जीतने के लिए किया गया।  जब हिजाब का मामला आया तब इन बुद्धिजीवियों द्वारा तर्क दिया गया कि बेरोजगारी व महंगाई से ध्यान भटकाने के लिए तूल दिया गया।  अभी मोहम्मद जुनैद और मोहम्मद नासिर की निर्मम हत्या मामला आया तो इन बुद्ध

मार दिया, मर गए, खबर छप गई और बात है। लेकिन जिस तरह #ateek_ahmad अतीक अहमद

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छी: -- मार दिया, मर गए, खबर छप गई और बात है। लेकिन जिस तरह कल टीवी वालों ने मृत्यु को लाइव दिखलाया मैं रात भर सो नहीं सका। मुझे याद है कई साल पहले केरल में एक प्रोफेसर भाषण देते-देते अचानक हृदयघात से मर गए थे और मेरे एक वरिष्ठ साथी ने मेरे लाख मना करने के बाद भी उसे लाइव बना कर टीवी न्यूज़ चैनल पर दिखलाया था। देखिए लाइव डेथ। देखिए आदमी कैसे मरता है। बाद में जो हुआ वो अलग कहानी है। सच्चाई ये है कि रात नौ बजे जो एंकर थी, वो खबर पढ़ते-पढ़ते लाइव शो से उठ गई थी। विचलित हो गई थी लाइव डेथ देख कर। ऐसा पहली बार हुआ था जब एंकर ने एंकरिंग करने से मना कर दिया था। मुझे बहुत नाज हुआ था उस एंकर पर। हर चीज की एक सीमा होती है। मुझे सच में हैरानी है कि कभी अतीक अहमद को लाइव पेशाब करते दिखलाने वाले न्यूज चैनलों ने उसे गोली मारते, खून उड़ते लाइव दिखलाया। ये पेशाब करते दिखलाने से भी अधिक जघन्य था। अगर यही खबर है, इतनी ही खबर की समझ है, तो मुझे डूब मरना चाहिए कि मैं कभी पत्रकार था। मैं मृत्यु को इस तरह नहीं देख सकता। किसी को नहीं देखना चाहिए। आप मुझे कायर कहिए, संवेदनशील कहिए पर क्या नहीं दिखलाना है इसका ग

#तुर्कों की पूरी आबादी #turk

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#तुर्कों की पूरी आबादी   एक अनुमान के अनुसार विश्व में तुर्कों की वर्तमान जनसंख्या 600 मिलियन (60 करोड़) से भी अधिक है। अल्लामा इब्न खलदून अपनी किताब में लिखते हैं कि "तुर्क दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्र है, किसी अन्य राष्ट्र की आबादी उनसे ज्यादा नहीं है।" (तारिख इब्न खलदून)  तुर्की राष्ट्र का इतिहास नूह के तूफान के बाद शुरू होता है जब पैगंबर नूह के बेटे याफेथ के घर एक लड़के का जन्म हुआ और उसका नाम "तुर्क" रखा गया। याफत बिन नूह की मृत्यु के बाद यह तुर्क प्रमुख बन गया, और वर्तमान समय के कई राष्ट्र कई शाखाओं में उससे पैदा हुए।  "अल्ताई, अज़रबैजानी, बलकार, बश्किर, चुबाश, क्रीमियन कराताई, क़गुज़, कराची, कारा कल्पक, कज़ाख, किर्गिज़, नोगाई, क़शक़ई, तातार, तुर्कमेन, तुर्की तुर्क, नुबन, उज़्बेक, याकुत"   इसके अलावा कई प्राचीन ऐतिहासिक राष्ट्र पसंद करते हैं  "डिंग्लिंग, बुलघर, अरलाट, शातु, चोबन, गोक तुर्क, ओगुज़ तुर्क, खजर, खिलजी, कपचक, क़र्लक, तोरगेश, हुन, किशन और शिंटो।"  स्वतंत्र देश जिनकी आधिकारिक भाषा तुर्की है और अधिकांश तुर्की राष्ट्रीयता नीचे सूची

पिछले तीन दिनों में नेटफ्लिक्स की एक सीरीज देखी, द नाईट एजेंट… जबर्दस्त थ्रिलर सीरीज है जिसमें कोई उल्टे सीधे सीन नहीं हैं, #netflix #the_night_agent the night agent story

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पिछले तीन दिनों में नेटफ्लिक्स की एक सीरीज देखी, द नाईट एजेंट… जबर्दस्त थ्रिलर सीरीज है जिसमें कोई उल्टे सीधे सीन नहीं हैं, गाली गलौज वाले डायलाॅग नहीं है, और जबर्दस्ती के घुसाये हुए ट्विस्ट नहीं हैं, बल्कि एक तरह से हर फ्रेम में कहानी चुस्त और चौकस लगती है। मेन रोल में पीटर (गेब्रियल बैस्सो) और रोज़ (लूसिअन बुकानन) हैं, जिनमें पीटर एक एफबीआई एजेंट होता है, और रोज़ एक ऐसी विक्टिम जिसके अंकल आंटी को मार दिया जाता है जो कि प्रेसीडेंट के लिये कोई इनक्वायरी कर रहे थे। आईएमडीबी पर इसकी रेटिंग 7.7 है। यह कहानी मैथ्यू क्वर्क के सेम नाम के नावल पर बेस्ड है और अमेरिकन डिप्लोमेसी के दो पहलुओं को दरशाती है। एक देश में अमेरिका ने ही एक तानाशाह बिठा रखा है, जिससे डील करके वाईट हाउस से जुड़े कुछ लोग जबर्दस्त फायदा उठाते हैं। उस तानाशाह के खिलाफ एक बागी ओमार जडार खड़ा होता है, जिसकी एक्टीविटीज के चलते उसे आतंकवादी घोषित कर रखा है, उसके साथ एक पीएफआई टाईप संगठन जुड़ा होता है, जिसके कारनामे काले होते हैं, तो उसे टेररिस्ट आर्गेनाइजेशन डिक्लेयर्ड किया जा चुका है।  जडार पीएफआई से अपने को अलग ब