हज़रत सईद बिन आमिर रज़िल्लाहु अन्हो हज़रत उमर के ज़माने में सीरिया के शहर हलब ( एलेप्पो ) के गवर्नर थे
एक गवर्नर ऐसे भी
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हज़रत सईद बिन आमिर रज़िल्लाहु अन्हो हज़रत उमर के ज़माने में सीरिया के शहर हलब ( एलेप्पो ) के गवर्नर थे
जब इन्हें गवर्नर बनाना हुआ तो हज़रत उमर ने बुलाया और कहा कि मैं तुम्हें हलब का गवर्नर बना कर भेजना चाहता हूं हज़रत सईद ने कहा ऐ अमीरुल मोमिनीन मैं खुद को इस लायक़ नहीं समझता आप किसी और को बना दें हज़रत उमर ने कहा यह नहीं चलेगा आप लोगों ने मुझे खलीफा बना कर अकेला छोड़ दिया है आप को गवर्नर तो बनना ही पड़ेगा आखिर हज़रत सईद को हामी भरनी पड़ी
हज़रत उमर जानते थे कि यह ग़रीब आदमी हैं इनके पास कुछ नहीं है नई जगह जा रहे हैं वह भी गवर्नर बन कर इन्हें पैसों की जरूरत होगी यह सोच कर उन्हें एक हज़ार सर्वण मुद्राएं दीं और कहा कि लिजिए आप इसे अपनी ज़रूरतों पर खर्च करें
हज़रत सईद ने पैसों की थैली ली घर आएं अपनी पत्नी को तैयार किया और हलब पहुंच गए जब इत्मीनान हुआ अपनी पत्नी से पूछा कि पैसों का क्या करें पत्नी ने कुछ जरूरी चीजें बताईं और कहा कि इसे खरीद लाएं इस पर हज़रत सईद ने कहा कि अभी इसे छोड़ो मेरे पास एक आइडिया है क्यों न इस पैसे को किसी को दे दें वह व्यापार में लगा ले और मुनाफा में से जो हिस्सा तय हो मुझे देता रहे पत्नी ने कहा कि आप की राय अच्छी है पर कहीं व्यापार में घाटा हो गया तो ? हज़रत सईद ने कहा कि मैं ऐसे व्यापार में लगाउंगा जिसमें घाटे का सवाल ही नहीं उठता पत्नी मान गईं और आप पैसे लेकर उठे बाजार गए खाने पीने का सामान लिया और गरीबों की बस्ती में ले जाकर सामान बांट दिया घर वापस आ गए पत्नी ने पूछा कि पैसा सही जगह पर लगाया कहा कि हां बिल्कुल सही जगह पर पत्नी को भी इत्मीनान हो गया कुछ दिनों बाद पत्नी ने पूछा कि क्या हुआ व्यापार से कुछ फायदा हुआ कहा कि अभी नहीं पत्नी खामोश हो गईं लेकिन उन्हें कुछ शक हुआ कुछ दिनों फिर पूछा और काफी इसरार किया तो हज़रत सईद ने बताया कि मैंने पैसे को अल्लाह के साथ व्यापार में लगा दिया है जहां से घाटे का सवाल ही नहीं उठता पत्नी भी सहाबिया थीं वह भी नेकियां करने में पति से पीछे न थीं खुशी खुशी इस व्यापार को तस्लीम कर लिया
हज़रत उमर अपने गवर्नरों पर निगरानी रखते थे और उनके काम का जायज़ा लेते रहते थे उन्हें हलब जाना हुआ तो पहले गवर्नर के पास न जा कर पब्लिक के पास गए और उनसे गवर्नर सईद बिन आमिर के बारे में जानकारी चाही लोगों ने कहा कि वह बहुत अचछे आदमी हैं लोगों का ख्याल रखते हैं हमें कोई जरूरत आती है उनके पास जाते हैं और वह पूरी करते हैं परंतु फिर भी हमें उनसे चार शिकायतें हैं हज़रत उमर ने पूछा क्या शिकायतें हैं लोगों ने बताया कहा कि ठीक है मैं उन्हें बुलाता हूं आप लोग उनके सामने शिकायत दोहराएं
गवर्नर साहब बुलाए गए उनके सामने शिकायतें दोहराई गई
1- गवर्नर साहब सुबह देर से पब्लिक के सामने आते हैं गवर्नर हज़रत सईद ने कहा कि मेरे कुछ राज़ थे जो मैं किसी के सामने खोलना नहीं चाहता था लेकिन अब मजबूरी है इस लिए बताता हूं कि मेरी पत्नी बीमार रहती हैं और मेरे घर कोई सेवक या सेविका नहीं है इसलिए नाश्ता मैं खुद पकाता हूं जिसमें देर हो जाती है
2- गवर्नर साहब हफ्ते में एक दिन घर से बाहर नहीं निकलते हैं जब शाम हो जाती है तो बाहर आते हैं हज़रत सईद ने कहा कि मैं गवर्नर होते हुए भी बहुत ग़रीब आदमी हूं मैं अपनी तयशुदा तनख्वाह नहीं लेता जरूरत भर का लेकर बाकी वापस कर देता हूं मेरे पास सिर्फ एक जोड़ा कपड़ा हैं हफ्ते में इसे धोता हूं फिर जब सूख जाता है तो पहन कर बाहर आता हूं जिसके कारण देर हो जाती है लेकिन मैं अपने काम को पूरा कर देता हूं
उनका यह कहना था कि हज़रत उमर रो पड़े खुद हज़रत सईद और वहां मौजूद लोग रोने लगे शिकायत करने वाले ने आगे की शिकायतें पेश करने से मना कर दिया लेकिन हज़रत सईद ने कहा कि नहीं पूरी करो
3- गवर्नर साहब रात में पब्लिक के सामने नहीं आते हज़रत सईद ने कहा कि मेरा दिन आप लोगों के लिए है और रात अल्लाह के लिए मैं रात में सोता और इबादत करता हूं
4- गवर्नर साहब कभी कभी बैठे बिठाए बेहोश हो जाते हैं हज़रत सईद ने कहा कि इसकी वजह एक पुरानी घटना है आप लोगों को मालूम है कि एक सहाबी थे हज़रत खुबेब उन्हें मक्का के लोगों ने पकड़ कर फांसी दे दी थी उस समय तक मै मुसलमान नहीं हुआ था यदि मैं फांसी देने वालों में शामिल नहीं था लेकिन तमाशाई की भीड़ में था जब वह घटना याद आ जाती है तो मैं बेचैन हो जाता हूं और कभी कभी उनका चेहरा सामने आ जाता है जिसके कारण अपराधबोध से मैं बेहोश हो जाता हूं
इतना सुनना था कि हज़रत उमर उठे गले लगा लिया और उनके माथा चूमते हुए कहा कि मुझे आप पर गर्व है और साथ ही अल्लाह का मैं शुक्रगुजार हूं कि आप के बारे में मेरी राय सही साबित हुई
सुब्हान अल्लाह कैसे लोग थे गवर्नर थे पर सिर्फ एक जोड़ा कपड़ा था पत्नी बीमार लेकिन कोई सेविका नहीं गवर्नर साहब खुद आटा गूंथ कर रोटी बना रहे हैं पैसे मिलते हैं गरीबों में बांट देते हैं
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