महात्मा गांधी ने कहा था कि नौजवानों को गांव में जाकर सेवा करनी चाहिए इसलिए उनकी बात मानकर मैंने जीवन भर आदिवासियों की विनम्र

महात्मा गांधी ने कहा था कि नौजवानों को गांव में जाकर सेवा करनी चाहिए इसलिए उनकी बात मानकर मैंने जीवन भर आदिवासियों की विनम्र सेवा करी है | 

इस बार आदिवासी समन्वय मंच ने हिमाचल प्रदेश के सोलन शहर से कुछ बाहर होने वाले आदिवासी अधिकार दिवस सम्मलेन में मुझे शामिल होने का न्यौता भेजा | 

सम्मेलन में हिमाचल प्रदेश के किन्नौरा आदिवासियों सहित पांच आदिवासी समूह के प्रतिनिधि शामिल हुए थे | 

इस सम्मलेन में गुजरात महाराष्ट्र उडीसा बिहार झारखंड छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश कर्नाटक तामिलनाडू केरल आन्ध्र प्रदेश तेलंगाना दमन दीव मणिपुर नागालैंड मिजोरम आसाम से ढाई हज़ार आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हुए थे | 

इस सम्मलेन के समापन के बाद मैं शिमला चला गया जो सोलन से करीब पचास किलोमीटर की दूरी पर है | 

वहाँ आजकल संजौली नामक स्थान पर बनी एक पुरानी मस्जिद को गिराने की मांग को लेकर आन्दोलन किया जा रहा है |

मैं शिमला में इस बारे में सच्चाई जानना चाहता था | 

मैंने शिमला के कुछ वरिष्ठ पत्रकारों और हिमाचल हाईकोर्ट के वकीलों छात्र नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं से इस बाबत जानकारी प्राप्त करी | 

मुझे कुछ कागज़ात भी प्राप्त हुए | 

इस मामले में क्योंकि एक तरफा खबरें ही मीडिया में फैलाई जा रही हैं | 

इसलिए मुझे लगा कि इस बारे में सच्चाई देश के सामने आनी चाहिए कि क्या है हिमाचल का संजौली मस्जिद विवाद ?

संजौली शिमला से सटी हुई जगह है |  

यह एक व्यस्त बाज़ार है | 

यहाँ 1940 में मस्जिद के लिए ज़मीन वक्फ़ की गई थी | 

यहाँ वक्फ़ का अर्थ भी समझ लेना ज़रूरी है | 

वक्फ़ का अर्थ है धर्मार्थ या धर्मादा | 

जब कोई व्यक्ति धार्मिक या सामुदायिक काम के लिए अपनी ज़मीन दान देता है तो उसे हिन्दुओं में धर्मादा धर्मार्थ या दान और इस्लाम में वक्फ़ करना कहा जाता है | 

जैसे हिन्दुओं में धर्मार्थ काम के लिए दान दी गई ज़मीन को कोई व्यक्ति अपनी मिलकियत नहीं बना सकता ना बेच सकता | 

ठीक उसी तरह वक्फ़ की गई ज़मीन भी ना कोई व्यक्ति अपने नाम कर सकता है ना बेच सकता है | 

इस्लाम में मस्जिद हमेशा वक्फ़ की गई ज़मीन पर ही बन सकती है किसी की व्यक्तिगत ज़मीन पर नहीं | 

वक्फ़ की गई इस प्रकार की ज़मीनों का प्रबन्धन एक संस्था करती है जिसे वक्फ़ बोर्ड कहा जाता है | 

मस्जिद के नाम ज़मीन दान देने का 1940 का वह कागज़ उर्दू में है और संलग्न है | 

तो मस्जिद बाकायदा जायज़ ज़मीन पर बनी हुई है |

संजौली में 1940 में जब ज़मीन मस्जिद के लिए वक्फ़ की गई तब तक भारत में वक्फ़ बोर्ड कानून नहीं बना था | 

1954 में भारत की संसद ने वक्फ़ बोर्ड एक्ट बनाया | 

उसके बाद जितनी भी मुस्लिम समुदाय की सामुदायिक वक्फ़ की गई ज़मीनें थीं जिन पर मस्जिदें मुसाफिरखाने कब्रिस्तान या मदरसे बने थे या खाली भी थीं उन्हें सरकार ने वक्फ बोर्ड के नाम पर चढ़ा दिया | 

जो कि बिलकुल सामान्य कानूनी जायज़ प्रक्रिया थी | 

1954 का वह सरकारी दस्तावेज़ भी संलग्न है जो बताता है कि संजौली मस्जिद की ज़मीन सरकारी रिकार्ड में मस्जिद के नाम पर है और वक्फ़ बोर्ड की मिलकियत है |

इस मस्जिद में दूर दूर से आने वाले मुस्लिम समुदाय के लोग ठहरते भी हैं | 

इसलिए मस्जिद कमेटी ने मस्जिद के ऊपर मुसाफिरों के ठहरने के लिए हाल बना दिया | 

इस हाल के निर्माण के लिए पिछली भाजपा सरकार ने बाकायदा 12 लाख रुपया सरकारी खजाने से टैक्स पेयर का पैसा भी दिया था |

सब कुछ ठीक ठाक था | 

अचानक कुछ लोग इकट्ठा होकर मस्जिद को अवैध कह कर इसे गिराने की मांग करने के लिए रैली करने लगे | 

इस बारे में यहाँ दो कहानियां बताई जा रही हैं | 

पहली कहानी यह है कि यहाँ के एक स्थानीय कांग्रेसी नेता ने सहारनपुर से आये कुछ मुस्लिम मिस्त्रियों से काम कराया लेकिन उनका पूरा पैसा नहीं दिया | 

इसपर झगड़ा हुआ और कांग्रेसी नेता की पिटाई हो गई | 

उसने भीड़ को एकत्र करके बाहरी मुसलमानों को भगाओ और मस्जिद गिराओ का आन्दोलन शुरू किया | 

दूसरी कहानी कहती है कि मलियाना में एक सैलून में काम करने वाला मुस्लिम कारीगर अपनी दूकान के बाहर खड़ा होकर किसी से मोबाईल फोन पर बात कर रहा था | 

तभी वहाँ से एक शराब के नशे में धुत्त नेपाली व्यक्ति ने कहा धीरे बोल | 

इस पर मुस्लिम नाई ने कहा मैं अपनी दूकान के बाहर खड़ा हूँ तुम्हें क्या दिक्कत है ? 

इस पर नेपाली ने मुस्लिम सैलून वाले को थप्पड़ मार दिया और लड़ाई शुरू हो गई | 

एक हिन्दू व्यक्ति बीच बचाव करने गया तो उसे धक्का लगा वह गिर गया उसके सर में चोट आई | 

उसे हिन्दुत्ववादी संगठनों ने मुसलमानों द्वारा हमला बताया लेकिन बाद में उस व्यक्ति ने बताया कि मुझे किसी ने जान बूझ कर नहीं मारा था | 

इस घटना को बहाना बना कर हिन्दुत्ववादी साम्प्रदायिक संगठनों ने मलियाना से संजौली तक मार्च किया और बाहरी मुसलमान भगाओ और संजौली की अवैध मस्जिद गिराओ प्रदर्शन किये |

शिमला के अनेकों बुद्धिजीवियों ने बताया की संजौली की मस्जिद को गिराने का अभियान चलाने के साथ साथ भाजपा के इशारे पर पूरे प्रदेश में रैलियाँ करी गई हैं | 

इसमें कुल्लू पांवटा साहब सुन्नी घुमारवीं और पालमपुर प्रमुख है | 

पालमपुर में रैली के दौरान मुस्लिम दुकानदारों की दूकान पर हुल्लडबाज़ी करी गई | 

इन साम्प्रदायिक हिन्दुत्ववादी समूहों ने खुद की इस हुल्लडबाज़ी के वीडिओ और फोटो गर्व के साथ सोशल मीडिया पर शेयर किये हैं | 

एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि एक तरफ भाजपा कहती है कि कश्मीर हमारा अभिन्न अंग है वहीं वह कश्मीरियों पर भारत के दुसरे शहरों में हमला करवाती है इससे कश्मीरियों को क्या सन्देश जाएगा |

सामाजिक कार्यकर्ताओं और युवा छात्र नेताओं ने मुझे बातचीत के दौरान बताया कि जैसे भाजपा ने उत्तराँचल में एक झूठा मामला बना कर पपरोला कस्बे के सारे मुस्लिम व्यापारियों को निकाल दिया | बाद में अदालत ने वह केस झूठा पाया | 

लेकिन मुसलमानों के खिलाफ माहौल बना कर उत्तरांचल में बड़ी संख्या में मजारों पर बुलडोज़र चला कर भाजपा ने हिन्दुओं के मन में मुस्लिम विरोध और घृणा और डर की भावना भरी ताकि हिन्दुओं का वोट भाजपा के पक्ष में किया जा सके | 

हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा अपना वही खेल खेलना चाह रही है | 

लेकिन चूंकि संजौली मस्जिद के बहाने शुरू किये गए इस अभियान में भाजपा खुद फंसी हुई है क्योंकि ना सिर्फ उसने संजौली मस्जिद के ऊपर मुसाफिरखाना बनाने के लिए बारह लाख रुपया दिया था बल्कि भाजपा सरकार ने अपनी मनपसन्द इमाम का यहाँ तबादला करवा कर नियुक्ति करवाई थी | 

जिसका पत्र भी संलग्न है | 

इसलिए भाजपा संजौली और अन्य जगहों पर अपने झंडे बैनर का इस्तेमाल नहीं कर रही है बल्कि खुद ही बनाये गए अन्य हिंदुत्व फ्रिंज संगठनों को आगे कर के अपना एजेंडा लागू कर रही है | 

क्योंकि भाजपा को पता है कि हमने ही मस्जिद के ऊपर मुसाफिरखाना बनवाया था |

इस पूरे मामले में कांग्रेस नेताओं और हिमाचल की कांग्रेस सरकार की भूमिका बहुत ही आपत्तिजनक और शर्मनाक रही है | 

कांग्रेसी मंत्री ने सदन में कहा कि बाहर से रोहिंग्या और बंगलादेशी मुसलमान आ गए है और यहाँ का माहौल खराब कर रहे हैं | 

जबकि यह पूरी तरह सच्चाई से परे है | 

ना तो हिमाचल में कोई रोहिंग्या है ना ही बंगलादेशी है | 

ना ही मुसलमानों के अपराधों में शामिल होने के सबूत हैं | 

एक स्थानीय हिन्दू पत्रकार ने मुझसे कहा कि अगर ये बाहर से आये हुए मुसलमान चोर और अपराधी हैं तो दिखाओ कहाँ हैं इनके खिलाफ एफआईआर कहाँ है मुसलमानों के आपराध में शामिल होने के सरकारी आंकड़े ? 

इतना ही नहीं मुस्लिम रेहडी पटरी वालों को बाहर करने के अभियान में भी कांग्रेस ने बेहद लचर रवैय्या अपनाया | 

इधर मुस्लिम समुदाय ने आगे बढ़कर कहा हमें मस्जिद से ज्यादा आपसी भाइचारा प्यारा है | 

अगर हिन्दू भाई चाहते हैं तो हम मस्जिद के ऊपर बना मुसाफिरखाना तोड़ देते हैं | 

इस बाबत मस्जिद कमेटी और वक्फ़ बोर्ड ने सरकार को यह लिख कर दे दिया है | 

लेकिन चूंकि मुसाफिरखाना सरकारी पैसे से बना है इसलिए सरकार उसे तोड़ने का आदेश कैसे दे सकती है ?  

शिमला में 25 हज़ार भवन हैं जो मंजूरशुदा ढाई मंज़िल से ज़्यादा बने हैं | 

जिनमें से आठ हज़ार तो चार मंज़िला बने हैं | 

अगर सरकार सिर्फ संजौली की मस्जिद के ऊपर बने मुसाफिरखाने को गिराने की कार्यवाही करती है तो सभी भवनों पर समान नियम लागू करना पड़ेगा |

शिमला सेबों की बड़ी मंडी है | 

यहाँ सेब खरीदने सहारनपुर और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुसलमान व्यापारी आते हैं | 

ये मुस्लिम व्यापारी पूरे ट्रक ख़रीद लेते हैं और बाद में सेबों को भारत भर में तथा दुनिया के अन्य देशों को निर्यात करते हैं | 

लेकिन इस बार मुसलमान विरोधी इन बबालों की वजह से यूपी से मुस्लिम व्यापारी सेब खरीदने कम आये | 

इसके कारण बीस किलो की एक पेटी की कीमत पांच सौ से आठ सौ रूपये गिर गई | 

सूचना के मुताबिक़ ठियोग में सेब उत्पादकों और आन्दोलनकारी नेताओं की एक बैठक भी हुई जिसमें कहा गया की आपके आन्दोलन की वजह से हम बर्बाद हो रहे हैं | 

तो जवाब में कहा गया कि सेब से ज़्यादा धर्म ज़रूरी है |

इस पूरे प्रकरण से साफ़ है कि एक जायज़ मस्जिद को गिराने की शरारतपूर्ण मांग को लेकर आन्दोलन चलाया गया | 

पूरे प्रदेश का माहौल साम्प्रदायिक बनाया गया | 

कांग्रेस सरकार ने बेहद लचर रवैय्या अपनाया है | 

मुस्लिम समुदाय में डर व्याप्त है | 

लोग पूछ रहे हैं कहाँ हैं मोहब्बत की दूकान वाले ? 
हिमाचल में तो आपकी ही सरकार है फिर मुसलमानों को खौफ के साए में जीने के लिये क्यों मजबूर होना पड़ रहा है ?
16 सितंबर को शिमला में सीपीआईएम तथा अन्य जनवादी संगठनों ने एक बैठक करके 27 सितंबर को सांप्रदायिक तत्वों के मंसूबे विफल करने और प्रदेश में सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए एक रैली करने का निर्णय लिया है ၊
himanshu kumar

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