ज़िंदगी बहुत मुख़्तसर रही है, मगर गुज़री बहुत तवील है, इंतज़ार की हद यहाँ आकर पूरी होगी, बिलकुल पता नहीं था। इस मौज़ू पर क्या लिखूँ, समझ नहीं आ रहा है, पर ख़ुश
ज़िंदगी बहुत मुख़्तसर रही है, मगर गुज़री बहुत तवील है, इंतज़ार की हद यहाँ आकर पूरी होगी, बिलकुल पता नहीं था। इस मौज़ू पर क्या लिखूँ, समझ नहीं आ रहा है, पर ख़ुश हूँ, इतना की अब ख़ुद को वक़्त देने को जी चाहने लगा है।
हमारे यहाँ शादियाँ, सिर्फ़ लड़के और लड़की की नहीं होती है, बल्कि हम जैसे लोग हों तो 2 परिवार के बजाय खानदान की होती है। ऐसे में 2 आज़ाद लोगों के कंधे पर एकाएक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी आकर ठहर जाती है, जहां वो अपने आपको सँभालने की जगह उन लोगों की बातों को सँभालने में लग जाते हैं, जिनका काम ही कई बार, महज़ दूर खड़े होकर ताली बजाना रह जाता है। ऐसे लोग अपवाद हैं, लेकिन हर जगह हैं, और कई जगह तो सबके सब, ऐसे न हों, तो अपवाद लगने लगता है।
ख़ैर, सबकुछ बहुत जल्दी तो नहीं हुआ, मगर बहुत तवील भी नहीं रहा, जिसकी ख़बर बहुत कम लोगों को थी, उन्हें ही जिन्हें बुलाया था, वजह, कुछ ख़ास नहीं थी, बस मिज़ाज हमेशा से यही था, शादी को हमेशा आसान ही रखना है, इसपर एतराज़ मत कीजिएगा, बल्कि जज़्बात समझियेगा।
बहुत से लोग पूछ रहे हैं, कैसा लग रहा है! सच कहूँ तो बहुत कुछ ज़्यादा महसूस नहीं हो रहा है, लेकिन कुछ अलग सा है, और जो है, उसे पहले कभी महसूस नहीं किया। बाक़ी क्यों कुछ, बहुत ज़्यादा महसूस नहीं हो रहा है, इसका जवाब शायद यही होगा की, अभी कुछ होश नहीं है। यक़ीन ही नहीं हो रहा अब रिलेशनशिप स्टेटस सिंगल के बजाय मैरिड है, ज़िंदगी जैसे एक ही लम्हे में एकदम से बदल गई है और अहसास शायद इस लिए, बहुत ज़्यादा नहीं है की, हम दोनों का मिज़ाज काफ़ी हद तक एक जैसा है।
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