मनोरंपेट्रोल में एथेनॉल मिलाने को क्यों दिया जा रहा बढ़ावा, इसका आपकी जेब पर क्या पड़ेगा

मनोरंपेट्रोल में एथेनॉल मिलाने को क्यों दिया जा रहा बढ़ावा, इसका आपकी जेब पर क्या पड़ेगा 


सरकार एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को लगातार बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने कई लक्ष्य भी रखे हैं, जैसे- देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना, ईंधन के आयात को कम करना, विदेशी मुद्रा बचाना आदि।
एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बंगलूूरू में 20 फीसदी एथेनॉल युक्त पेट्रोल (ईंधन ई20) को लॉन्च किया। प्रधानमंत्री यहां भारत ऊर्जा सप्ताह का उद्घाटन करने पहुंचे थे। सोमवार से शुरू हुआ भारत ऊर्जा सप्ताह (IEW), 2023 आठ फरवरी तक चलेगा।  


जैव ईंधन को बढ़ावा देने के लिए ईंधन ई20 शुरू किया गया है। इसके साथ ही 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 84 खुदरा पेट्रोल पंपों पर ईंधन ई20 की बिक्री शुरू हो गई है। सवाल ये है कि आखिर ये ईंधन ई20 है क्या? इसे कैसे किया जाएगा? सरकार इसके लिए अब तक क्या कर चुकी है? ईंधन ई20 को बढ़ावा देने की वजह क्या है? क्या पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के दाम पर भी असर पड़ेगा? इसके उपयोग के फायदे और नुकसान क्या हैं? आइये समझते हैं…

 
#ethanol

ईंधन ई20 है क्या?
एथेनॉल एक कार्बनिक यौगिक, एथिल अल्कोहल है, जो बायोमास से बना ईंधन है। इसका उपयोग शराब जैसे मादक पेय पदार्थों में किया जाता है। इसमें गैसोलीन की तुलना में ऑक्टेन संख्या (पेट्रोल की गुणवत्ता व्यक्त करने वाला अंक) अधिक होती है। एथेनॉल में पानी की मात्रा नाम मात्र की होती है। 

वाहन चलाते समय कम जीवाश्म ईंधन जलाने के लिए पेट्रोल के साथ एथेनॉल का सम्मिश्रण इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल एक कृषि अवशेष है जो मुख्य रूप से गन्ने से प्राप्त होता है। इसके अलावा यह चावल की भूसी या मक्का जैसे अन्य स्रोतों से भी प्राप्त होता है। वर्तमान में, वाहन को चलाने वाले पेट्रोल में दस फीसदी एथेनॉल का उपयोग किया जाता है। फिलहाल भारत E10 - या 10% एथेनॉल की नीति पर काम कर रहा था जिस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। अब सरकार का लक्ष्य 2025 तक एथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण को पूर्ण रूप से हासिल करना है। 20 फीसदी एथेनॉल मिले इसी ईंधन को ही ईंधन ई20 कहते हैं।  
एथेनॉल

ईंधन में एथेनॉल मिलाया कैसे जाता है?
पेट्रोल के साथ एथेनॉल का मिश्रण तेल विपणन कंपनियों द्वारा अपने टर्मिनलों में किया जा रहा है। दुनियाभर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। वर्तमान में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड तिरुचि, कोयम्बटूर, सलेम और मदुरै में अपने टर्मिनलों पर एथेनॉल का मिश्रण कर रहा है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड चेन्नई में अपने टर्मिनल पर बायो-ईंधन को पेट्रोल के साथ मिश्रित कर रहा है, जबकि भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड चेन्नई और करूर के टर्मिनलों में पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिला रहा है।
ये काम कैसे करता है?
एथेनॉल में ऑक्सीजन होता है जो ईंधन के पूर्ण दहन में मदद करता है, इसके कारण कम उत्सर्जन होता है। वाहनों के ईंधन के लिए एथेनॉल का पूरा इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए इंजन और वाहनों के कुछ हिस्सों में कुछ बदलाव करने होंगे। लेकिन फिलहाल इसे मौजूदा पेट्रोल में मिलाकर प्रभावी तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है। 
एथेनॉल की कीमत

एथेनॉल की कीमत क्या है? 
अलग-अलग स्त्रोतों से मिलने वाले एथेनॉल की कीमत भी अलग-अलग होती है। गन्ने से प्राप्त एथेनॉल के मूल्यों की मंजूरी आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति देती है। वहीं, खाद्यान्न से उत्पादित एथेनॉल की कीमत का निर्धारण तेल विपणन कंपनियां करती हैं। पिछले साल दिसंबर में ही गन्ने की अलग-अलग किस्मों पर आधारित कच्चे माल से प्राप्त एथेनॉल मूल्य को मंजूरी दी गई थी जो इस तरह से हैं:

 (i) सी हैवी मौलेसेस रूट से एथेनॉल की कीमत 49.41 रुपये प्रति लीटर,

(ii) बी हैवी मौलेसेस रूट से एथेनॉल की कीमत 60.73 रुपये प्रति लीटर,

(iii) गन्ने के रस/चीनी/चीनी के सीरप रूट से एथेनॉल की कीमत 65.61 रुपये प्रति लीटर,

(iv) इसके अतिरिक्त, जीएसटी और परिवहन शुल्क भी देय होगा।

पेट्रोल के मुकाबले एथेनॉल सस्ता पड़ता है। इस तरह से एथेनॉल मिला हुआ पेट्रोल मौजूदा इस्तेमाल हो रहे पेट्रोल के मुकाबले सस्ता हो जाएगा। 
 
पीएम नरेंद्र मोदी

सरकार इसे बढ़ावा क्यों दे रही है?
2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'भारत में एथेनॉल मिश्रण 2020-25' नाम से एक रोडमैप जारी किया था जिसमें 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए एक विस्तृत खाका तैयार किया गया है। सरकार एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम को लगातार बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने कई लक्ष्य भी रखे हैं, जैसे:

-देश की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना
-ईंधन के आयात को कम करना 
-विदेशी मुद्रा बचाना
-पर्यावरण संबंधी मुद्दों से निपटना 
- घरेलू कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना
#इथेनॉल

एथेनॉल के उपयोग के फायदे क्या हैं?
एथेनॉल को लंबे समय तक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्राजील समेत कई देश और ऑटोमोबाइल निर्माताओं ने पहले ही इसका उपयोग करना शुरू कर दिया है। कई वाहन अब ऐसे इंजनों के साथ डिजाइन किए गए हैं जो एथेनॉल मिश्रण के साथ काम कर सकते हैं। इसके अलावा भी ईंधन के उपयोग के कई लाभ हैं, जैसे 
1. एथेनॉल ईंधन अन्य जैव ईंधन की तुलना में सस्ता है
2. पारिस्थितिक रूप से प्रभावी है 
3. ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद करता है
4. आसानी से सुलभ होता है 
5. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करता है
6. देश में रोजगार सृजन में योगदान देता है
7. कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा दे रहा है 
8. एथेनॉल ईंधन हाइड्रोजन का एक स्रोत है
9. कच्चे माल के स्रोतों की विविधता
10. एथेनॉल को अक्षय ऊर्जा स्रोत के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है
एथेनॉल के उपयोग का कोई नुकसान भी है क्या? 
जैसा कि हर चीज के दो पहलू होते हैं एथेनॉल के इस्तेमाल भी अपने नकारात्मक प्रभाव हैं। इनमें से कुछ अहम हैं, जैसे:
1. बड़े भू-भाग की आवश्यकता होती है
2. आसवन प्रक्रिया (हीटिंग और ठंडा करने की प्रक्रिया द्वारा एक तरल को शुद्ध करने की क्रिया) पर्यावरण के लिए अनुकूल नहीं है
3. खाद्य कीमतों में वृद्धि हो सकती है 
4. वाष्पीकरण करना मुश्किल होता है

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