ये कब्रिस्तान हरियाणा की झज्जर रियासत के उन बीस सैनिकों का है जिनको 15 अक्टूबर 1857 को गुडियानी गाँव में अंग्रेज़ो द्वारा गोली मारकर शहीद कर दिया गया था।
ये कब्रिस्तान हरियाणा की झज्जर रियासत के उन बीस सैनिकों का है जिनको 15 अक्टूबर 1857 को गुडियानी गाँव में अंग्रेज़ो द्वारा गोली मारकर शहीद कर दिया गया था।
अंग्रेजों के दिल्ली पर कब्ज़े के बाद झज्जर नवाब को पकड़ने के लिए ब्रिगेडियर Shower को भेजा गया था। लेकिन वो गुड़गांव, रिवाड़ी, जटुसाना, गुडियानी, चरखी दादरी, छुच्छकवास और फिर झज्जर होते वहां पहुंचा।
Shower को लग रहा था की अगर वह सीधे दिल्ली से झज्जर गया तो लड़ाई बहुत जबरदस्त होगी। क्योंकि उस समय झज्जर छावनी में झज्जर रियासत की एक तैयार सेना थी। इस ब्रिटिश टुकड़ी ने दादरी जाते समय झज्जर नवाब के 20 घुड़सवारों को से गोली मा'र दी थी।
लेकिन झज्जर के आखिरी नवाब ने अभी तक अंग्रेजों से लड़ने का फैसला नहीं किया था, यहां तक कि दिल्ली रिज पर भी। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों की मदद के लिए मई 1857 में केवल 200 पुरुषों की एक छोटी घुड़सवार सेना को दिल्ली भेजा था।
एक छोटी सी पहाड़ी के पास गुड़ियानी गांव में झज्जर सैनिकों की याद में 1990 के आसपास एक शिलालेख बनाया गया था। लेकिन बदकिस्मती से वहां के लोग ही इन शहीदों की शहादत को भूल गए।
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