1 अक्टूबर, 1918: आज ही के दिन अरब और ब्रिटेन की संयुक्त सेना ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सल्तनत ए उस्मानिया यानी तुर्कों से दमिश्क (Damascus syria) छीन पर कब्जा कर लिया था

1 अक्टूबर, 1918: आज ही के दिन अरब और ब्रिटेन की संयुक्त सेना ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान सल्तनत ए उस्मानिया यानी तुर्कों से दमिश्क (Damascus syria) छीन पर कब्जा कर लिया था,इसे हिजाज़ यानी अरब की सल्तनत उस्मानिया से मिली आज़ादी कहा गया। इस अभियान में अरब और अंग्रेज़ों की संयुक्त का कमांडर था T.E Lawrence जिसे लॉरेंस ऑफ अरेबिया भी कहा जाता है जो की एक मश्हूर ब्रिटिश सैनिक था। 

1914, मिस्र में ब्रिटिश खुफिया अधिकारी के पद पर लॉरेंस की भर्ती हुई इस दौरान उसने काहिरा में एक साल से ज़्यादा वक़्त बिताया और यहां से खूफिया जानकारियां इकठ्ठा की,
1916 में उसे एक ब्रिटिश राजनयिक के साथ अरब भेजा गया जहां अमीर ए मक्का हुसैन इब्ने अली ने सल्तनत ए उस्मानिया के खिलाफ़ बगावत का ऐलान किया हुआ था।

तुर्क और अरबों की आपसी फूट का फायदा अंग्रेज़ों ने उठाया और इस बगावत में आग में घी डालने के लिए लॉरेंस ने अपने अंग्रेज़ अफसरों को मना लिया और लॉरेंस को अमीर ए मक्का के बेटे फैसल की अरब सेना में एक संपर्क अधिकारी के रूप में शामिल होने के लिए भेज दिया गया।

लॉरेंस ऑफ अरेबिया की कमांड में, अरबों ने तुर्की रेलवे लाइनों (Istanbul To Madina HIJAZ RAILWAY) के खिलाफ एक प्रभावी छापामार युद्ध शुरू कर दिया जगह जगह रेलवे लाइन को बारूद से उड़ा दिया दिया ये रेलवे लाइन उस वक्त अंग्रेज़ों को सबसे ज़्यादा खटक रही थी क्योंकि इसके ज़रिये सल्तनत ए उस्मानिया बहुत तेज़ी से अपने फौजियों और रसद को एक जगह से दूसरी जगह भेज सकती थी। 

लॉरेंस का ये प्लान काम कर गया वह एक प्रतिभाशाली सैन्य रणनीतिकार साबित हुआ और अरब के बद्दू कबीलों ने उसे अपना हीरो मान लिया जुलाई 1917 में, अरब सेना ने सिनाई के पास अकाबा पर कब्जा कर लिया और यरुशलम (बैतुल मुक़द्दस) ब्रिटिश साम्राज्य में मिला दिया गया। लॉरेंस को लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर प्रमोट कर दिया गया। 

नवंबर में लॉरेंस अरबी भेष में तुर्की सेना की जासूसी करते हुए पकड़ लिया गया और भागने से पहले उसे प्रताड़ित किया गया था। भागकर वह अपनी सेना में फिर से शामिल हो गया, जिसने धीरे-धीरे दमिश्क के उत्तर में अपना काम किया। 1 अक्टूबर, 1918 को सीरिया की राजधानी भी तुर्कों के हाथ से निकल गई।

लॉरेंस की साजिश कामयाब हो चुकी थी और अरब आज़ाद हो गया था, बाद में अरब कबीलो की गुटबाज़ी से नाराज़ लॉरेंस सल्तनत ए उस्मानिया को दरहम बरहम करवा कर वापस इंग्लैंड चला गया और किंग जॉर्ज पंचम के सामने पेश होकर अपने फौजी मेैडल वापस कर दिये।

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