रिकी पॉन्टिंग ने स्प्रिंग के बैट से तोड़ा था भारत का वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना? जानिए सच्चाई

पार्थ सारथी 👈👈

रिकी पॉन्टिंग ने स्प्रिंग के बैट से तोड़ा था भारत का वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना? जानिए सच्चाई

क्रिकेट में साल 2003 कोई नहीं भूल सकता. इस साल भारत को वो जख्म मिला था जिसकी टीस अभी तक भारतीय फैंस के दिलों में चुभती है. जोहान्सबर्ग में खेले गए फाइनल में भारत को ऑस्ट्रेलिया के हाथों बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था.

भारत को ये चुभन दी थी उस समय के ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रिकी पॉन्टिंग ने. पॉन्टिंग के बल्ले से निकली शतकीय पारी ने कई दिल तोड़े, भारत का विश्व विजेता बनने का सपना भी. इस फाइनल के कुछ दिन बाद पॉन्टिंग के बल्ले को लेकर एक खबर उड़ी. खबर थी कि पॉन्टिंग ने जिस बल्ले से फाइनल में भारत के खिलाफ शतक मारा है उसमें स्प्रिंग थी और इसी कारण फाइनल मैच दोबारा हो सकता है. क्या थी इसकी सच्चाई बताते हैं आपको.

लेकिन इससे पहले उस मैच में पॉन्टिंग द्वारा भारतीय गेंदबाजों पर किए गए अत्याचार के बारे में बता देते हैं. पॉन्टिंग ने उस मैच में 121 गेंदों पर चार चौके और आठ छक्कों की मदद से नाबाद 140 रनों की पारी खेली थी. पॉन्टिंग का स्ट्राइक रेट था 115.70 का. उनके अलावा इस मैच में डेमियन मार्टिन ने 84 गेंदों पर नाबाद 88 रनों की पारी खेली थी. उनकी इस पारी में सात चौके और एक छक्का शामिल था. एडम गिलक्रिस्ट ने 48 गेंदों पर आठ चौके और एक छक्के की मदद से 57 रन बनाए थे. इन पारियों की मदद से ऑस्ट्रेलिया न 50 ओवरों में दो विकेट खोकर 359 रन बनाए थे. टीम इंडिया 39.2 ओवरों में 234 रनों पर ऑल आउट हो गई थी.

क्या वाकई पॉन्टिंग के बैट में थी स्प्रिंग?

वर्ल्ड कप-2003 का फाइनल मैच 23 मार्च को खेला गया था जिसमें भारत को 125 रनों से करारी हार मिली थी. इस हार के आठ दिन बाद भारत में एक अखबार में खबर छपी थी कि पॉन्टिंग ने जिस बल्ले फाइनल में टीम इंडिया के गेंदबाजों की जमकर कुटाई की है उस बल्ले में स्प्रिंग थी. इसी खबर में बताया गया था कि ये फाइनल मैच दोबार होगा. इसे पढ़कर तो फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. लेकिन खबर के अंत में एक लाइन ने इस पूरी खुशी पर पानी फेर दिया था. खबर के अंत में लिखा था कि अप्रैल फूल बनाया गया है. ये खबर छपी थी एक अप्रैल को. यानी ऐसी कोई खबर सच नहीं थी कि पॉन्टिंग के बल्ले में स्प्रिंग थी. बेशक इस खबर की सच्चाई तभी सामने आ गई थी लेकिन सालों तक इस बात के चर्चे रहे कि क्या पॉन्टिंग के बल्ले में स्प्रिंग थी. आज भी जब 2003 वर्ल्ड कप की बात की जाती है तो ये बात भी कहीं न कहीं से उठ आती है.

न भूलने वाली पारी

पॉन्टिंग की इस पारी ने जो जख्म भारतीय फैंस और खिलाड़ियों को दिए वो न भूलने वाले हैं. पॉन्टिंग ने एक कप्तान के तौर पर वो किया था जो उन्हें करना चाहिए थे. पॉन्टिंग की ये पारी उनके करियर की तो सबसे यादगार पारियों में से एक थी ही लेकिन ये वनडे क्रिकेट के इतिहास की सबसे बेहतरीन पारियों में भी गिनी जाती है. भारतीय गेंदबाज पूरी तरह से बेबस थे. इस वर्ल्ड कप में भारत की जवागल श्रीनाथ, जहीर खान और आशीष नेहरा की तेज गेंदबाजी तिकड़ी ने कमाल किया था लेकिन फाइनल में ये तीनों कुछ नहीं कर पाए थे. तीनों ने जमकर रन लुटाए थे. कप्तान सौरव गांगुली ने अपने आठ गेंदबाजों का इस्तेमाल किया था लेकिन कोई भी पॉन्टिंग को रोक नहीं पाया था. ये उस समय वर्ल्ड कप के फाइनल में किसी बल्लेबाजी द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर था, जिसे बाद में गिलक्रिस्ट ने 2007 वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ 104 गेंदों पर 149 रनों की पारी खेल तोड़ा था.

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