प्रोफेसर और लड़की————————-कानून की पढ़ाई चल रही थी।

प्रोफेसर और लड़की
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कानून की पढ़ाई चल रही थी। प्रोफेसर क्लास में आए। बेहद गंभीर। क्लास में सन्नाटा पसरा था। प्रोफेसर ने एक छात्रा की ओर देखा। फिर उन्होंने उंगली से उसकी ओर इशारा किया और कहा, “तुम नीली जैकेट वाली लड़की, सीट से उठो और मेरी क्लास से बाहर चली जाओ। और फिर कभी मेरी क्लास में मत आना।
लड़की हैरान थी। 
संजय सिन्हा भी हैरान थे। किसी ने मेरे पास यूं ही एक वीडियो भेजा था। शायद मैं कानून की पढ़ाई कर रहा हूं, इसलिए। 
उसने कुछ लिखा नहीं था, बस वीडियो साझा किया था। कुछ मिनट के उस वीडियो को मैंने देखा। लगा कि ये तो कहानी है। उनके लिए जिन्हें कानून पर भरोसा है। 
लड़की समझ नहीं पा रही थी कि उसने ऐसा क्या किया कि प्रोफेसर ने आते ही उसे अपनी क्लास से बाहर निकल दिया। वो तो उस प्रोफेसर को जानती भी नहीं। कभी मिली ही नहीं। आज पहला दिन था। उसने आते ही उसे अपनी क्लास से निकाल दिया। क्यों? गुनाह क्या?
क्लास स्तब्ध थी। इतना कड़क प्रोफेसर? ये कानून पढ़ाने आया है। सभी सहमे थे। लड़की मन मसोस कर क्लास से बाहर चली गई। क्या करती?
प्रोफेसर ने पढ़ाना शुरू किया। “आप कानून पढ़ रहे हैं? कानून क्या है?
छात्रों ने अपनी समझ से जवाब दिया। “कानून मतलब नियम।”
एक ने कहा, “कानून यानी न्याय।”
प्रोफेसर ने चुटकी बजाई। “हां, कानून का अर्थ न्याय। आप लोग कानून पढ़ रहे हैं। क्यों पढ़ रहे हैं? आप न्याय का अर्थ नहीं जानते। कानून पढ़ कर क्या करेंगे?”
छात्र समझ नहीं पा रहे थे कि प्रोफेसर कहना क्या चाहते हैं? 
प्रोफेसर ने कहा, “मैंने उस लड़की को क्लास से बाहर निकाल दिया। आप सभी के सामने। उसका कोई गुनाह था? आपने उसे कोई गलती करते देखा?”
सभी चुप थे। 
प्रोफेसर ने कहा, “लड़की बेगुनाह थी। कोई गलती थी ही नहीं उसकी। पर मैंने उसे क्लास से बाहर निकाल दिया। वो आपके साथ पढ़ती है। आप साथ थे। लेकिन आप में से किसी ने मुझे नहीं रोका, नहीं टोका। आप कानून की पढ़ाई कर रहे हैं और अन्याय को होते देखते रहे। अन्याय पर आप चुप रहे। आप में से कोई एक तो पूछता कि लड़की का गुनाह क्या है? क्या किया उसने जो आते ही आपने उसे क्लास से निकल जाने को कहा?”
क्लास अभी भी चुप थी।
“आप न्याय का अर्थ समझते तो पूछते। अफसोस कि आप न कानून समझते हैं न न्याय।आपको मुझे टोकना था। दोस्त के हक में खड़ा होना था। एक आदमी सरेआम अन्याय कर रहा था। आपने अन्याय को होते देखा। आप सहते रहे। जब आप अन्याय सहने लगते हैं तो कानून अपना अर्थ खो देता है। वो सिर्फ किताबों में सिमट कर रह जाता है। न्याय चुप रह जाता है। आप चुप रह गए। आपको लगा कि अन्याय आपके साथ तो हुआ नहीं। दूसरे के साथ हुआ है। आप दूसरों के साथ अन्याय को सह जाते हैं। जब आप दूसरों के साथ अन्याय को सह जाते हैं तब आप ये भूल जाते हैं कि एक दिन आपके साथ भी अन्याय होगा तब भी लोग चुप ही रह। जाएंगे। कोई क्यों खड़ा होगा आपके साथ? आप खड़े हुए थे?”
क्लास शर्मिंदा थी। 
प्रोफेसर कह रहे थे, “अन्याय घर देख कर नहीं होता है। अकेला पाकर होता है। आप साथ रहते। लड़ मरते। फिर देखते अन्याय कितना लाचार होता। दूसरों के साथ अन्याय होते देख कर उठ खड़े होना करुणा की कोख से पैदा होने वाला भाव है। आपमें करुणा नहीं। होती तो तो आप नहीं सहते। आपने आज उसके साथ अन्याय होने दिया। आप सह गए। नतीजा? आज लड़की बाहर हुई। कल आप हो सकते हैं। कौन रोकेगा अन्याय होने से?”
सभी चुप थे।
“मुझे खुशी होती कि आप मुझसे टोकते। उसे बाहर निकालने से मुझे रोकते। आप खड़े हो जाते उसके पक्ष में। मेरे विरुद्ध। आप खड़े होते तो मैं समझता कि आप सचमुच कानून की पढ़ाई ठीक से कर रहे हैं। आप कानून का अर्थ समझते हैं। काश ऐसा होता!”
प्रोफेसर कह रहे थे, “बस मुझे इतना ही पढ़ाना था। कानून किसी किताब में दर्ज धारा नहीं। ये करुणा है। करुणा ही न्याय है। अन्याय के खिलाफ खड़ा हो जाना ही न्याय है।अफसोस आप सभी लोग आज परीक्षा में फेल हो गए। सोचिएगा। ठीक से सोचिएगा।”
संजय सिन्हा का प्रश्न आपसे, “क्या आप खड़े होते हैं, किसी के साथ अन्याय होते देख कर? क्या करुणा का अर्थ आप समझते हैं? अगर हां, तभी आप कभी न्याय के हकदार होंगे अन्यथा आप इस संसार में आए हैं, सिर्फ चले जाने के लिए। 
प्रोफेसर क्लास से निकल गए। लड़की बाहर खड़ी उनका लेक्चर सुन रही थी।
#SanjaySinha
#ssfbFamily

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