अठारह बच्चों का ग्रुप गया था मनाली जिसमें लड़के लड़कियाँ दोंनो शामिल #tourism #tour #students

अठारह बच्चों का ग्रुप गया था मनाली जिसमें लड़के लड़कियाँ दोंनो शामिल थे। दिन भर घूमने के बाद लड़के तो जहाँ इकट्ठे होते बीयल शराब की बोतलें खुल जाती और लडकियाँ भी अक्सर उनका साथ देने से पीछे नहीं हटतीं । पीना -पिलाना तो अब क्या लड़के क्या लड़कियाँ सबके लिए एन्टरटेनमेंट के साथ साथ स्टेटस सिम्बल भी बन गया है।
एक और क्रेज़ जो दीवानगी की हद तक नवयुवाओं खासतौर पर लड़कियों में कुछ ज्यादा ही हावी हो गया है वो है कुछ न कुछ नयापन विशिष्टता लिए हुए "सैल्फी" को सोशल मीडिया पर पोस्ट करना और फिर उन पर ज्यादा से ज्यादा लाइक्स कमेन्ट की दीवानगी का जुनून।
 यही कारण था कि वे इतने खूबसूरत स्थल पर होते हुए भी प्राकृतिक दृश्यों के सौन्दर्य -अनुभवन को महसूस करने की बजाए अपना अधिकतर समय फेवरेट स्पाॅट ढूंढ कर नये नये पोज़ बना कर सैल्फी लेने में सारी क्रियेटिविटी खर्च करतीं रहतीं ।
अब पिक्स लेना मात्र आत्मप्रशंसा और आत्ममुग्धता का मापदंड ही नहीं रह गया है अब तो सोशल मीडिया के लाइक्स तय करते हैं कि कितनी हिट है उसकी सैल्फी।
 यही क्रेज उन्हें इतना भ्रमित कर देता कि वो इसके लिए नए से नए खतरनाक ,अलभ्य,दुर्गम स्पाॅट को अपना सैल्फी प्वाइंट बनाने तलाशती रहतीं ।
 ऐसे ही एक पहाड़ी के सिरे पर खड़े होकर जहाँ कि पाश्रर्व में खाई और आसपास सहारा लेने को कोई चट्टान तक नहीं थी , रिद्धि ने उस लोकेशन , बैकग्राउंड के उस व्यू से प्रभावित होकर अपने "फोटो सैशन " के लिए सैलेक्ट किया।
 उसने वहाँ टाइटेनिक स्टाइल में खड़े होकर अपनी दोनों बाँहे फैलाकर ,मुँह ऊपर कर आँखे बंद कर उस समां को महसूस कर लेने का पोज़ बनाकर अपनी फ्रैन्ड निया को पिक क्लिक करने को कहा। निया भी अपनी फोटोग्राफी की समग्र कलात्मकता दिखाते हुए उससे अलग अलग पोज़ बनवाती रही।कभी "रिद्धि थोड़ा लैफ्ट" कभी "रिद्धि मुँह थोड़ा और ऊपर" कभी "राइट पैर आगे कभी कुछ तिरछे"इस तरह अलग अलग एन्गल से फोटो क्लिक की जा रही थी और फिर अचानक !!!! पलक झपकने से पहले ही !! एक क्षण भी नहीं लगा बस्सस!!! जरा सा संतुलन बिगड़ा और सबकी आँखो के सामने ही रिद्धि खाई में ।
अविश्वसनीय,ह्रदय विदारक, रूह को कँपा देने वाली अनहोनी !!
एक पल में क्या से क्या हो गया।
  --लेकिन उस अनहोनी या इस तरह और भी होने वाले हादसों में क्या उन सबकी अपनी भी गलती नहीं ?
 इस तरह की घटनाओं के लिए सिर्फ असावधानी या "नियति"को दोष नहीं दिया जा सकता । 
 आए दिन इस तरह के समाचार सुनने के बावजूद भी लाइक्स पाने का जुनून और सोशल मीडिया पर पापुलर होने का पागलपन नहीं क्या ये ?
ये पोस्ट उन बच्चों को आगाह करने के लिए ही है -- जिन लाइक्स के लिए तुम जिन्दगी का रिस्क लेते हो ऐसे हादसे हो जाने पर वे सोशल मीडिया फ्रैन्डस तुम्हारी पोस्ट पर लाइक्स कर और R.I.P लिखकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेंगे लेकिन तुम्हारे माता पिता का क्या ?--
जिनके लाइक भी तुम ,लव भी तुम ,गुरूर भी तुम--
आस भी तुम ,उम्मीद भी तुम ,कोहिनूर भी तुम---

#नियति      
पूनम अरोड़ा

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