आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एडम गिलक्रिस्ट

आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एडम गिलक्रिस्ट की यूं तो एडम गिलक्रिस्ट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत को साल 2008 में ही अलविदा कह दिया है, लेकिन किताबों पर धूल जम जाने से इतिहास नहीं मिटा करते ।
खेल के मैदान में उनके द्वारा किए गए कारनामों को क्रिकेट जगत में आज भी जोर शोर से सराहा जाता है।दोस्तों, एडम गिलक्रिस्ट का जन्म 14 नवंबर साल 1971 को Bellingen, New South Wales Australia में हुआ, उनका पूरा नाम Adam Craig Gilchrist है। वे अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं उनके पिता का नाम stanly Gilchrist और माता का नाम June Gilchrist है।
लोगों ने प्यार से wingnut और churchy भी बुलाते हैं, इसके अलावा क्रिकेट जगत में भी उनका एक बहुचर्चित उपनाम है जी हां दोस्तों क्रिकेट जगत में प्यार से उन्हें “गिली” नाम से भी संबोधित किया जाता है। गिलक्रिस्ट ने अपनी शुरुआती दौर की पढ़ाई Deniliquin पब्लिक स्कूल से की और यही उन्होंने अपने अंदर छिपे क्रिकेट के हुनर को पहली बार पहचाना जब उन्होंने अपने स्कूल की तरफ से खेलते हुए Brian Taber Shield अपने नाम की जो कि New South Wales के क्रिकेटर Brian Taber की याद में दी जाती है।
इसी घटना के बाद “गिली” का क्रिकेट के प्रति समर्पण और भी गहराता चला गया, जब वह महज 13 साल के थे तो उनके माता-पिता Deniliquin से Lismore शिफ्ट हो गए, और यहां आकर गिलक्रिस्ट का दाखिला आगे की पढ़ाई के लिए Kadina high school में करवा दिया गया। रहने की परिस्थितियां बदली समाज बदला मैदान बदले लेकिन एक चीज नहीं बदली गिलक्रिस्ट का क्रिकेट के प्रति लगाव ।
नए शहर में आकर गिलक्रिस्ट फिर से अपनी प्रतिभा को पसीने से चमकाने में लग गए, और यहां गिलक्रिस्ट स्कूल के मैदान में रोज घंटों प्रैक्टिस किया करते थे क्रिकेट में उनकी लगन और जुनूनियत को देखते हुए बाद में उन्हें अपने स्कूल टीम का कप्तान भी बना दिया गया। स्कूल टीम की तरफ से खेलते हुए गिलक्रिस्ट लगातार शानदार performance दे रहे थे।
साथ ही अपनी कप्तानी की सूझबूझ का भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे थे। इसी के चलते उनका सिलेक्शन उनकी प्रतिभा की दम पर जल्द ही स्टेट अंडर-17 में हो गया, और साथ ही मैदान पर किए गए उनके अद्भुत प्रदर्शन के कारण साल 1989 में उन्हें लंदन के रिचमंड क्रिकेट क्लब द्वारा स्कॉलरशिप भी दी गई।
अपने इसी करिश्माई प्रदर्शन के चलते साल 1991 में इंग्लैंड के दौरे के लिए “गिली” को ऑस्ट्रेलियाई नेशनल यूथ टीम में बाएं हाथ के बल्लेबाज के तौर पर चयनित कर लिया गया, जहां उनके द्वारा खेले गए तीन टेस्ट मैचों में उन्होंने एक सेंचुरी और एक हाफ सेंचुरी लगाई। इंग्लैंड में किए गए उनके इस प्रदर्शन के चलते गिलक्रिस्ट को घरेलू मैचों में खेलने के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा
और साल 1992 में ही उनका डेब्यू New South Wales की तरफ से हो गया। अपने पहले घरेलू सीजन में गिलक्रिस्ट ने अपनी बल्लेबाजी का शानदार प्रदर्शन करते हुए 30 की औसत से 274 रन बना डाले और अपनी टीम को Sheffield shield दिलाने में अहम भूमिका निभाई । गौरतलब है कि गिलक्रिस्ट को अपने पहले घरेलू क्रिकेट सीजन में एक भी बार विकेट कीपिंग का मौका नहीं दिया गया।
इसके बाद साल 1994 – 95 में उन्होंने घरेलू सीजन वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की तरफ से खेला जहां उन्हें बल्लेबाजी के साथ-साथ विकेटकीपिंग की भी अहम जिम्मेदारी सौंप दी गई। “लेकिन जो जिम्मेदारी में ना उभरे वह हुनर ही क्या?” विकेट कीपिंग की महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए गिली ने उस सीजन में 55 शिकार विकेट के पीछे अपने नाम किए जो कि ऑस्ट्रेलियाई घरेलू क्रिकेट में आज भी एक रिकॉर्ड है।
एडम गिलक्रिस्ट लगातार घरेलू क्रिकेट में एक के बाद एक कई कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे थे इसके साथ ही एडम “ गिलक्रिस्ट नाम ” अब धीरे-धीरेऑस्ट्रेलियाई मैदानों पर एक सुर 
में गूंजने लगा था, जिस की धमक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड तक पहुंचने लगी थी। हम अगर बात करें घरेलू क्रिकेट में एडमगिलक्रिस्ट के आंकड़ों की उन्होंने कुल 190 मैच खेले हैं
घरेलू क्रिकेट में अपने निरंतर शानदार प्रदर्शन के चलते एडम गिलक्रिस्ट के वर्षों पहले के सपनों ने भौतिक स्वरूप ले लिया आखिरकार उनका अंतरराष्ट्रीय एक दिवसीय क्रिकेट जगत में डेब्यू साल 1996 में हो ही गया
हालांकि अपने डेब्यू मैच में एडम गिलक्रिस्ट ने महज 18 रन ही बनाए और एलन डोनाल्ड की बॉल पर वह बोल्ड हो कर पवेलियन की तरफ लौट गए। और इस मैच के बाद एडम गिलक्रिस्ट को टीम से भी ड्रॉप कर दिया ‌‌गया‌।‌‌‍‌ लेकिन साल 1997 में Ian Healy की गैरमौजूदगी में एक बार फिर टीम में एडम गिलक्रिस्ट को मौका दिया गयाऔर यहां उन्हें बल्लेबाजी के साथ-साथ विकेटकीपिंग की अहम भूमिका भी सौंप दी गई
वक्त था 1999 क्रिकेट वर्ल्ड कप का। 1999 के वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के शुरुआती मैचों में गिली का बल्ला उस तरह नहीं बोला जिस तरह कि उसने ख्याति अर्जित कर रखी थी लेकिन टूर्नामेंट में गिलक्रिस्ट ने बांग्लादेश के खिलाफ 39 गेंदों पर 63 रन तूफानी अंदाज़ में जड़कर एक बार फिर मोमेंटम अपनी तरफ खींच लिया
और 1999 वर्ल्ड कप फाइनल में गिलक्रिस्ट ने 36 गेंदों में 54 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया ने वह मैच 8 विकेट से जीता और साल 1999 में ऑस्ट्रेलिया की टीम विश्व विजेता बनी। साल 1999 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में एडम गिलक्रिस्ट को मिली अपार सफलता के बाद उसी साल 5 नवंबर को उनका डेब्यू अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट में पाकिस्तान के खिलाफ हो गया
जहां उन्होंने अपनी बल्लेबाजी तकनीक का उत्कृष्ट नमूना पेश करते हुए 88 गेंदों पर महत्वपूर्ण 81 रनों का योगदान दिया और पाकिस्तान के खिलाफ अगले ही टेस्ट मैच में जब पूरी ऑस्ट्रेलिया बैटिंग लाइनअप लड़खड़ा गई तब एडम गिलक्रिस्ट ने 149 रनों की बेहद ही मूल्यवान पारी खेलकर ऑस्ट्रेलिया को वह मैच जिताया
और उस मैच के बाद से ही एडम गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलियन टेस्ट स्क्वाड का परमानेंट मेंबर बन गए इसके बाद साल 2000 में एडम गिलक्रिस्ट ने न्यूजीलैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में अपनी विकेटकीपिंग की क्षमता के नए आयामों की व्याख्या की, जहां उन्होंने दोनों इनिंग्स में कुल मिलाकर 10 कैच पकड़े जो कि आज तक किसी भी ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर द्वारा की गई बेस्ट विकेट कीपिंग परफॉर्मेंस है
साल 2003 वर्ल्ड कप के बाद गिलक्रिस्ट ने साल 2007 का क्रिकेट वर्ल्ड कप भी खेला जो उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत का आखरी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट साबित हुआ और इस टूर्नामेंट में भी गिलक्रिस्ट ने अपनी अद्भुत फॉर्म जारी रखी और इस वर्ल्ड कप के खेले गए अपने 11 मैचों मे 45 की बैटिंग एवरेज से 453 रन बनाए
और इसी वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ गिली बल्ले से उनके क्रिकेट करियर की सबसे यादगार पारी निकली, गिलक्रिस्ट ने लंका के खिलाफ फाइनल में 104 गेंदों पर 149 रनों की आतिशी पारी खेली जिसमें उन्होंने 13 चौके और 8 छक्के जड़े। और अपनी इसी शानदार पारी के बाद गिलक्रिस्ट दर्शकों की नजर में हीरो से विलन भी बन गए,
दरअसल हुआ यूं कि शतक पूरा करने के बाद सेलिब्रेशन में गिलक्रिस्ट ने दर्शकों के सामने अपने बल्ले के साथ अपना ग्लव्स भी दिखाया जो कि किसी गोल संरचना के कारण उभरा हुआ लग रहा था इस घटना को सभी क्रिकेट दरशक ग्राउंड और विश्व क्रिकेट जगत के दर्शक टेलीविजन पर देख रहे थे
साथ ही मैदान पर खड़े श्रीलंकाई प्लेयर्स भी देख रहे थे मैच के बाद गिलक्रिस्ट ने खुद बताया कि मैच के दौरान उन्होंने अपने ग्लव्स के अंदर Squash की बाॅल रखी थी, जिससे कि शॉट खेलने में उन्हें ज्यादा स्टेबिलिटी मिल सके हालांकि इसके बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड ने आईसीसी से इस मामले में गिलक्रिस्ट की शिकायत भी की जिसके बाद गिलक्रिस्ट ने अपना पक्ष आईसीसी के सामने बड़ी मजबूती से रखा
और यदि 2007 क्रिकेट वर्ल्ड कप में मचे इस बवंडर को अलग करके देखा जाए तो गिलक्रिस्ट ने अपनी टीम को लगातार तीसरी बार विश्व कप का खिताब जितवा दिया था और यहीं से ऑस्ट्रेलियाई टीम में “अजेयी” विशेषण जुड़ना शुरू हो गया था। हालांकि 2008 की बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के बाद गिलक्रिस्ट ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया।
जिस पर तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रूड ने प्रतिक्रिया देते हुए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान एडम गिलक्रिस्ट से रिटायरमेंट वापस लेने की अपील भी की थी। लेकिन इस अपील के बाद भी ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट का “ये” सूरज दोबारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में उदय नहीं हुआ।
वहीं अगर हम बात करें एडम गिलक्रिस्ट के निजी जीवन की तो गिली ने अपनी शादी अपनी बचपन की दोस्त मेलिंडा गिलक्रिस्ट से रचाई है जिससे उनके तीन बेटे और एक बेटी भी है, और आजकल एडम गिलक्रिस्ट ऑस्ट्रेलिया में बतौर कमेंटेटर और क्रिकेट एक्सपर्ट की भूमिका में नजर आते रहते हैं

में गूंजने लगा था, जिस की धमक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड तक पहुंचने लगी थी। हम अगर बात करें घरेलू क्रिकेट में एडमगिलक्रिस्ट के आंकड़ों की उन्होंने कुल 190 मैच खेले हैं

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