अमीर तैमूर की कैद में चौथे उस्मानी सुल्तान बायज़ीद I की मौत

अमीर तैमूर की कैद में चौथे उस्मानी सुल्तान बायज़ीद I की मौत

आज के दिन ही, 8 मार्च 1403 ई. को सल्तनत-ए-उस्मानिया के चौथे सुल्तान बायजीद । की अमीर तैमूर की कैद में मौत हो गयी थी। 20 जुलाई 1402 को अंकारा की जंग में मिली शिकस्त के बाद से सुल्तान बायजीद अमीर तैमूर के कैदी बन गए थे। कैद के दौरान सुल्तान के साथ जो कुछ भी हुआ उसे वो ज्यादा दिन तक नहीं सह सके अगले कुछ महीनों के अंदर ही दौराने कैद ही उनकी मौत हो गयी थी।

उस्मानियों की अंकारा की जंग में शिकस्त के बाद सुल्तान बायज़ीद अपने कुछ दस्तों के साथ मैदान-ए-जंग से जिन्दा सलामत निकल कर पास की पहाड़ियों में जा छिपे लेकिन अमीर तैमूर ने अपनी फौज के साथ घेराबंदी कर सुल्तान बायजीद को जिंदा गिरफ्तार कर लिया। और उसे अपना कैदी बना लिया तारीख में न इससे पहले कभी और न ही इस वाकये के बाद कभी कोई उस्मानी सुल्तान अपने किसी दुश्मन का कैदी बना था। ये उस्मानियों के लिए एक बदतरीन शिकस्त थी।

यूरोप में सुल्तान बायजीद की कैद के दौरान हुए अपमान की कथा बहुत मशहूर थी। इस बारे में कई यूरोपीय लेखकों ने अलग-अलग कहानियां अपनी किताबों में लिखी हैं।

University of Victoria में Islamic Art and Archaeology के प्रोफेसर मार्कस मिलराइट ने अपने Artical Bayezid's Cage: A Re-examination of a Venerable Academic Controversy में लिखते हैं की बायजीद को कुत्ते की तरह तैमूर की मेज के नीचे रखा गया और बचा हुआ खाना खाने को मजबूर किया गया। जिसकी एक पेंटिंग भी मौजूद है दरअसल ये पेंटिंग भी यूरोपीय आर्टिस्ट ने ही उतारी थी, आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें की सभी यूरोपीय ताकतों ने अंकारा की जंग में अमीर तैमूर का ही साथ दिया था। और जब जंग में उस्मानी सल्तनत को शिकस्त मिल गयी तो यूरोप में उस्मानी सुल्तान की तौहीन की कोई कसर नहीं छोड़ी गयी। एक और पेंटिंग में आप अमीर तैमूर को सुल्तान बयाजीद की पीठ पर पैर रखकर घोड़े पर सवार होते हुए देख सकते हैं इसके अलावा आप उस्मानी सुल्तान की बीवी को को अर्ध-नग्न हालत में तैमूर की जियाफ़त करते हुए भी देख सकते हैं, एक और पेटिंग में उस्मानी सुल्तान को एक पंक्षी की तरह पिजड़े में रखे हुए भी देखा जा सकता है।
सुल्तान बायजीद की मौत पर भी अलग-अलग वर्ज़न मौजूद हैं। उनमे से एक ने बायजीद के सुसाइड करने का भी जिक्र किया है।

कथित तौर पर, सुल्तान ने अपने सिर से एक सेल की सलाखों को मारकर या जहर खाकर सुसाइड कर लिया था। इस वर्ज़न को तुर्क इतिहासकारों द्वारा प्रचारित किया गया था। एक वर्ज़न यह भी था कि तैमूर के हुक्म से बायज़िद को जहर दिया गया था। इसे नामुमकिन माना जाता है, क्योंकि इस बात का सुबूत मौजूद है की उस्मानी हुक्मरानों ने बायज़िद की देखभाल अपने निजी डॉक्टरों को सौंपी थी।

समकालीनों और वाकेआत के गवाहों की तफ़सील में, न तो किसी सेल और न ही अपमान का जिक्र किया गया है।

कैद के दौरान सुल्तान के साथ जो कुछ भी हुआ उसे वो ज्यादा दिन तक नहीं सह सके अगले कुछ महीनों के अंदर ही दौराने कैद ही उनकी मौत हो गयी।

Painting - German album amicorum, 16th century

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