बिहार (समस्तीपुर) की एक मुस्लिम लड़की को कहीं शादी में विकास कुमार नामी एक लड़का मिला, दोनों एक दूसरे को पसंद किए। बात आगे बढ़ी दोनों ने एक दूसरे को अपना मोबाइल नंबर

बिहार (समस्तीपुर) की एक मुस्लिम लड़की को कहीं शादी में विकास कुमार नामी एक लड़का मिला, दोनों एक दूसरे को पसंद किए। बात आगे बढ़ी दोनों ने एक दूसरे को अपना मोबाइल नंबर दिया और बात चीत का सिलसिला शुरू हुआ। इन दोनों नौजवानों ने 2019 में घर से भागकर हाजीपुर में शादी कर ली और वहीं किराये का मकान लेकर रहने लगे। शादी के छः महीने बाद लड़का अपना वो असली चेहरा दिखाना शुरू किया जिस मक़सद से उसने उस लड़की से शादी की थी। लड़की से जहेज़ का मुतालबा करने लगा, उसे मारने-पीटने लगा वग़ैरह, वग़ैरह।
जब उस लड़के को लगा अपनी बीवी से उसे कुछ हासिल नहीं होगा। वो अपनी बीवी को बेंगलुरु ले गया और 5/6 लोगों के हाथ अपनी बीवी को बेच दिया। वो लोग छः महीने तक उस लड़की की आबरू लूटते रहे। जब उन हैवानों का दिल भर गया तो तक़रीबन छः महीने बाद उन्होंने उस लड़की को दिल्ली में किसी जिस्म-फ़रोशों से फ़रोख़्त कर दिया। पांच रोज़ क़ब्ल लड़की किसी तरह से भागकर समस्तीपुर पहुंची और पुलिस से अपनी पूरी कहानी बताई और अपने शौहर (विकास कुमार) पर एफ़आईआर दर्ज कराई।
अब वो लड़की वही स्क्रिप्टेड बयानिया दे रही है जो सभी लड़के/लड़कियां देते हैं कि "बहला फ़ुसलाकर" ले गया। वग़ैरह,‌ वग़ैरह। जो की दुनिया का सबसे बड़ा झूट है। इन बातों (बहला फ़ुसलाकर) पर तब यक़ीन किया जा सकता है जब आप इस मुल्क के हालात से बे-ख़बर हों। जब आप किसी ऐसी जगह रह रही हों जहां बिजली, फ़ोन, पानी, सड़क, हस्पताल की कोई सुविधा न हो। जंगल हो। आप दिनभर फ़ोन हाथ में लेकर फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, टिकटॉक चला रहे/रही हैं। हर दूसरे घंटे ऐसी ख़बरें आ रही हैं, देशभर में कैसा एंटी मुस्लिम माहौल है आपको इसकी ख़बर नहीं? आजकल टीवी, सोशल मीडिया पर इसके इलाव'ह चलता ही क्या है? ट्विटर, फ़ेसबुक या दिगर कोई भी सोशल ऐप्प लॉगिन कीजिए हर तरफ़ एंटी मुस्लिम खबरें दिखती हैं। फिर आप इतनी मअसूम बनने का ढोंग करके किसको धोका दे रही हैं? यह सब कुछ लड़का/लड़की के मर्ज़ी से होता है। यह कोई भगवा लव ट्रैप वग़ैरह नहीं है। आप अपनी कमी और बदमाशी को दूसरे के सिर मढ़ने से परहेज़ कीजिए। आप इतने/इतनी मअसूम नहीं हैं।
मुझे इस टॉपिक पर लिखने में कभी कोई दिलचस्पी नहीं रही। बल्कि मुझे उन लोगों की पोस्ट पढ़कर हैरत होती है जो ऐसे मआमलात में लड़की को मअसूम और बेगुनाह बताकर इसे किसी ट्रैप का नाम देते हैं। जबकि यह सब कुछ उनकी मर्ज़ी से होता है, जो वो चाहती हैं वो करती हैं। मां, बाप, भाई, बहन और ख़ानदान की आबरू को रौंदकर अपने लिए वो रास्ता इख़्तियार करती हैं। बहलाया, फ़ुसलाया 6/8 साल के बच्चे/बच्चियों को जाता है। जो ख़ुद मां बनने की उम्र में हों उन्हें बहलाया-फ़ुसलाया नहीं जा सकता। मैं शायद अपनी सोशल मीडिया लाइफ़ में पहली बार इस मौज़ू पर कोई पोस्ट लिख रहा हूं। बाद में डिलीट कर दूंगा। ऐसे लड़के या लड़कियों से मुझे कभी कोई हमदर्दी नहीं रही और न होगी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ क्या है?"" "" "" "" **वक़्फ अरबी

जब राम मंदिर का उदघाटन हुआ था— तब जो माहौल बना था, सोशल मीडिया

मुहम्मद शहाबुद्दीन:- ऊरूज का सफ़र part 1 #shahabuddin #bihar #sivan