स्त्री की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा होता है उसका स्वास्थ्य। कभी मासिक दर्द

स्त्री की सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा होता है उसका स्वास्थ्य।  
कभी मासिक दर्द से कराह रही है, तो कभी गर्भ धारण करके उल्टी, मितली, चक्कर, यूरिन निकल जाने की समस्या झेल रही है, तो कभी रजोनिवृत्ति की बेला में समय असमय रक्तस्राव, सिरदर्द, मूड स्विंग्स, रक्तचाप बढ़ना-घटना झेल रही है। ये लिस्ट स्त्री के उन कष्टों की है जो सामान्य है, सेहतमंद हैं। 

इन सबको आसानी से न झेल पाने वाली स्त्रियाँ इससे भी कहीं कहीं अधिक भयंकर स्वास्थ्य समस्याओं से घिरी होतीं हैं। रक्तस्राव अधिक हो तो परेशानी, कम हो तो समस्या। गर्भाशय में अक्सर ही सिस्ट या ट्यूमर हो जाता है। मिसकैरेज शरीर को जितना तोड़ जाता है उतना एक नार्मल डिलीवरी नहीं तोड़ती। 
मिसकैरेज से बच गयी तो सीज़ेरियन मुँह खोले दानव की तरह प्रतीक्षा करता है। संतान न हो पा रही हो तो ज़रा उस स्त्री का दर्द पूछिये जो आई वी एफ सेंटर्स के चक्कर लगा रही है। शरीर की एक एक कोशिका हिल जाती है। टेस्ट पर टेस्ट, टेस्ट पे टेस्ट, इंजेक्शन्स पर इंजेक्शन्स... एक स्थिति ऐसी आती है, पेशेंट स्त्री बिस्तर पर मुर्दा देह की तरह पड़ी होती है....भोंक दो जो कुछ भी भोंकना हैं...ड्रिप है,सुई है, एनेस्थीसिया है या खंजर कुछ पता नहीं चलता। पता तब चलता है जब एक एक घाव चीख चीख कर कहता है, मुझे भरना है! 

संभोग दोनों के लिये एक आनंददायी क्रिया है, पर यदि वास्तव में स्त्री को भी आनंद मिले तब। अधिकतर तो यही होता है स्त्री के मन में इससे होने वाले वजाइनल संक्रमण का भय मंडरा रहा होता है। निवृति के बाद उसे पाँच मिनट भी नींद में समाने का सुख नहीं होता, उसे भागना होता है वॉशरूम की तरफ। फिर भी इस संक्रमण से बचने का कोई उपाय नहीं..!

कार्यालय में , बाज़ार में, पार्टी में, मेले में, ठेले में...न जाने कब तक यूरिन रोककर मुस्कराना पड़ेगा..नहीं पता। ब्लाडर भर कर फटने की कगार पर आ जाये तब भी कहीं किसी सड़क के किनारे बैठ नहीं सकते। इज़्ज़त यूरिन इंफेक्शन से बड़ी चीज़ है! 

ये सारे कष्ट उनके है जिन्होंने सामान्य जीवन जिया है। उनके बारे में तो मैंने लिखा ही नहीं जिन्होंने यौन शोषण सहा, बलात्कार झेला, तेज़ाब की आग झेली, पति के हाथों पिटाई सही। 

सच यही है इन सब हेल्थ इश्यूज़ के कारण ही स्त्री जितनी कार्यक्षमता रखती है उतना कर पाने में सक्षम नहीं होती। कहीं न कहीं हर पायदान पर पिछड़ती चली जाती है।

बस इसीलिए तुम अपना ख़्याल ख़ूब ख़ूब रखना....क्योंकि तुम ने अपना ख़्याल नहीं रखा तो तुम्हारा ख़्याल रखने कोई नहीं आएगा और 'उसे' तो अक्ल ही नहीं है कि ख़्याल कैसे रखा जाता है।
साभार......

जय हिंद जय भारत

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