सूद लेना और देना, दोनो हराम और नाजायज हैं। सूद के बारे में आया

सूद लेना और देना, दोनो हराम और नाजायज हैं। सूद के बारे में आया कि अल्लाह के खिलाफ एलान ए जंग है। क्या हाजी नमाजी आज हर कोई सूद में मुब्तला हैं। आम इंसान की तो गिनती ही छोड़ दिजीये बल्कि मेरी आँखों देखी कई आलीम, हुफ्फज इस काम मे लगे हुवे हैं।

कुछ दुनिया की हवस में तो कोई मजबूरी में इस लानती सूद में मुल्लवीस है। मैं बहुत से ऐसे लोगो को जानता हूं। जिन्होंने बहुत मजबूरी में आकर आखिर कार लोन लिया और आज सूद ब्याज के चक्कर मे उनका जीना मुश्किल हो गया है।

मैं खुद सिर्फ अल्लाह के डर की वजह से इससे अब तक बचा हुवा हु। (अल्हम्दु लिल्लाह) अल्लाह ऐसे सख्त तरीन गुनाह से हम सबको बचाये। हमारे माशरे में देखने को बारहा मिलता है कि लोग मजबूरी में इस लानत मु मुब्तला हो जाते हैं। फिर लोग अपने को पारसा बताते हुवे उसे बड़ा फतवा लगाएंगे की ये हराम है, नाजायज है। सूद ब्याज के चक्कर मे नही पड़ना चाहिए। हत्ता की बन्दे को इतना ट्रोल किया जाता है कि बन्दा डिप्रेशन में चला जाता है।

हम आम मुसलमान तो किताब पढ़ते नही हमे तो जोड़- जलसे, और मेम्बर से ही ये सब बातें मालूम होती हैं। लेकिन क्या आपकी इतनी ही जिम्मेदार थी? की बयान कर दी गई हो गया? किसी पर फतवा लगा दिया हो गया? जब एक बड़ी आबादी इस कबीरा गुनाह में मुब्तला है तो क्या ये जरूरी नही था कि एक सिस्टम बनाते की की लोगो को कर्जे हसना दिया जाता? जिससे लोग सूद ब्याज में नही पड़ते। हराम और नाजायज अमल से बचते। अल्लाह से एलान ए जंग नही करते। 

लेकिन देश अज़ाद होने के बाद भी किसी ने इस तरफ ध्यान नही दिया। अब गलती किसकी है उसे छोड़िये। इस बात का रोना न रोये। अल्हम्दु लिल्लाह बहुत से जगहों में ऐसा निजाम कायम किया गया है। आप भी मुखलिश 5,10 लोगो जोड़ कर एक टीम बनाइये। और अपने गाँव, कस्बे,शहर, मोहल्ले में ऐसा सिस्टम बनाइये और समाज को एक मॉडल बना कर पेश किजये।

~ दानिश नवाज़ 

इस पर Millat Orgs बहोत बेहतर तरीके से अपने इलाके में काम कर रही हैं
अल्लाह तआला से दुआ हैं कि मिल्लत वाले लोग इसी तरह लोगो की खिदमत करते रहें

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