ये तस्वीरें आज फेसबुक पर टहल रही हैं, यूँ तो इसमें कुछ ख़ास नही है लेकिन जब आपको पता चलता है ये तस्वीरे सऊदी अरब की राजधानी रियाद की है तो ख़ास बन जाती है

ये तस्वीरें आज फेसबुक पर टहल रही हैं, यूँ तो इसमें कुछ ख़ास नही है लेकिन जब आपको पता चलता है ये तस्वीरे सऊदी अरब की राजधानी रियाद की है तो ख़ास बन जाती है।
लोग आलोचना कर रहे हैं कि अरब के लोग भी अब ये शिर्क के काम करने लगे, दरअसल आपने अपनी ज़ाती ज़िन्दगी में जो बदलाव किए है वो वक़्त की माँग समझते है लेकिन अरब को ऐसा करते देखना आपको हैरत करता है।
आख़िर वो बर्थडे धूमधाम से मना रहे है, म्यूज़िक कंसर्ट हो रहा, तो इसे भी एक्सेप्ट करिये औऱ अरबियों को भी अपनी तरह इंसान समझिये।
दरअसल ये हैलोवीन त्योहार है, मेरी पर्सलन दिक्कत सिर्फ ये है कि बड़े लोगों का त्योहार बनता जा रहा है, जबकि ये गाँव किसानों गरीबो का त्योहार था
अधिकांश त्योहारो के मूल में जाकर देखिए तो वो खेती और किसानी से जुड़ा होता है फिर वो हैलोवीन ही क्यो न हो।
जहाँ तक भारत की बात करूं तो इसे हीरो हिरोइन मना रही। फिर वो डांडिया हो या मकर संक्रांति लोहिड़ी हो या बिहू या फिर और भी त्योहार हो, सब बड़े लोगो के लिए मनोरंजन का दिन बनते जा रहे है और अपने मूल से दूर होते जा रहे।
किसान मरे जीये, खेत बर्बाद हो पानी मिले या न मिले, क्या फ़र्क़ पड़ता है। गजक और तिल के लड्डू तो बन ही रहे, सिवई बन रही केक बन रहे, क्या ये कम है।
बस हैलोवीन में भूत बनिये पिशाच बनिये या खाने की चीज़ें आपस मे ही बांट लीजिये।
आप कितने भी गरीब देश हो टमाटर से टमैटिनो खेलिए। शोर कीजिये प्रदूषण बढ़ाइए।
दुनिया भर के जितने त्योहार है उसे हायर कर लीजिए। गाँव को इतना बदहाल कर दीजिये कि वो त्योहार के खर्चे तक न उठा पाएं, और आप सब मनोरंजन और बिजेनस बना डालिए। पटाख़े लाइटें मूर्तिया,दीये मँगवाईये चीन से, हैलोवीन बनिये रियाद, मुम्बई नोएडा में, गरबा खेलिए हज़ारो रुपये देकर क्लब होटलों में। छठ मनाइए पार्क की टँकी में पानी भरकर,
लेकिन एक बात याद रखिये, गांव गांव एक दूसरे से बीज मांगने का त्योहार, मेड़ बनाने का त्योहार, फसल बोने का त्योहार, फसल कटने का त्योहार, आप कितना भी शहर में शरीर के रूप में ढाल ले लेकिन उसकी आत्मा, वही दो रोटी को जूझते लोगो मे मिलेगी।
बाकी हैलोवीन में आत्मा आपके अर्पाटमेंट में डोर बजाकर आ रही है, भूत बनकर भगा दीजिये।

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