पंडित जी #पंडित #ज्योतिष
मेरा एक मित्र है।उनकी एक शादीसुदा बहन है।नोटबन्दी के कारण उसके जीजाजी का धंधा चौपट हो गया और बाद में लॉकडाउन के कारण कोई दूसरा धंधा शुरू नहीं कर पाए।
घर चलाना, बच्चों की स्कूल की फीस भरना व भविष्य को लेकर चिंतित रहने लगे।जाहिर सी बात है आदमी चिंता में रहेगा तो सोचता ज्यादा व बोलता कम है।
बहन को गलतफहमी होने लगी मेरा आदमी आजकल बातचीत कम करने क्यों लगा है।बहन मायके आई तो चेहरे की शिकन बता रही थी कुछ गड़बड़ है और सबसे पहले मां ही बेटी को नोटिस करती है।
माँ ने एक पंडित से टीपना दिखवाया तो पंडित जी ने काल सर्प योग बताया और पति के भटकने की बात की।मां ने दोस्त की इच्छा के खिलाफ पंडित जी से कर्मकांड करवाये।
यह बात बेटी के दिमाग मे घर कर गई कि मेरा पति रास्ता भटक गया है और अब घर मे सतत खटपट चालू हो गई है।दोस्त को रोज समझाता हूँ और वो भी समाधान की पूरी कोशिश कर रहा है लेकिन माँ मानने को तैयार नहीं है कि पंडित जी गलत हो सकते है!
दो बार कर्मकांड किये जा चुके है रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंचाया जा चुका है।आगे के कर्मकांडों के नए-नए मेनू थमाए जा रहे है।
इन पंडितों को देख-देखकर गांवों में भोपे तैयार हो चुके है।बंदरों की भांति उछल-कूद करते है,पागलों की तरह खुद को चोट पहुंचाते हैं।आखा देखने का नाटक करते है और पंडितों की तरह लोगों का गृह-क्लेश,भूत-प्रेत दूर करने का नाटक करते है जबकि इनसे अपने घर के दुःख दर्द ठीक नहीं होते।
एक बार राजस्थान हाइकोर्ट जोधपुर में कोई एफिडेविट बनवाकर बाहर निकला था।थोड़ा फ्री था तो एक तंत्र-मंत्र,ताबीज,अंगीठी बेचने वाला बैठा था।उसने आवाज देकर बुलाया तो चला गया।30 मिनट उसने करोड़पति बनाने के नुस्खे बताए।
मैंने एक ही सवाल किया कि जब करोड़पति बनाने का हुनर तुम्हे पता है तो यहां चादर डालकर क्यों बैठा है?अपना भाग्य क्यों नहीं बदल लेता पहले?बोला भाई साहब आप जाओ।मैं तो जा ही रहा था तुमने ही तो बुलाया था।
ये जितने भी इस पर्चे में लिखे हुए है वो पाखंडियों के धंधे का सिलेबस है।हकीकत में ऐसा कुछ होता नहीं है।अगर आर्थिक या किसी पारिवारिक समस्या से जूझ रहे आदमी को बर्बाद होना हो या घर मे स्थायी कलह चाहिए तो इनसे संपर्क कर लो।
चैन से न दो वक्त की रोटी खा सकोगे,न कभी सो सकोगे।ये गृह-क्लेश पैदा करके अपना धंधा करने वाले लोग है।मेरे घर भी रोज अखबार के साथ इस तरह का पर्चा आता है।क्या ही कर सकते है इनका।डिग्रियां नौकरी दिलाने के हथियार है शिक्षित,समझदार होने का नहीं।
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