तुर्क लोगों का ये मानना है कि शेर जैसा खूंखार होने से बेहतर है भेड़िया जैसा नसली होना ••••

भेड़िया वाहिद ऐसा जानवर है जो अपने वालिद का इंतिहाई वफ़ादार होता है, भेड़िया एक ग़ैरत मंद जानवर होता है जो अपने वालदैन की ख़िदमत भी करता,इसलिए (तुर्क) लोग अपनी औलाद को शेर के बजाय भेड़िए की तशबिय देते हैं.

भेड़िया वाहिद ऐसा जानवर है जो अपनी आज़ादी पर कभी भी समझौता नहीं करता, और किसी का ग़ुलाम नहीं बनता बल्कि जिस दिन पकड़ा जाता है उस वक़्त से ख़ुराक लेना बंद कर देता है, इसलिए इसको कभी भी आप चिड़ियाघर या सर्कस में नहीं देख पाते, इसके मुक़ाबले में शेर,चीता,मगरमच्छ और हाथी समेत हर जानवर को ग़ुलाम बनाया जा सकता है मगर 99% भेड़िये ग़ुलाम नहीं बनते और ना ही भेड़िया कभी मुर्दार खाता है.

भेड़िये के बारे मे पढ़ने से ये भी पता चला की बाक़ी जानवरों के मुक़ाबले भेड़िये बिल्कुल अलग है,जैसे कि वाल्दा,बहन, को सोहबत की निगाह से देखता तक नहीं.

ये भेड़िये अपनी शरीक़ ए हयात का इतना वफ़ादार होता है कि इसके अलावा किसी और से उस निसबत ताल्लुक नही रखता और आख़िरी तक पूरी तरह से वफ़ादारी निभाता है.

भेड़िया अपनी औलाद को पहचानता है क्योंकि इनके मां-बाप एक ही होतें है, जोड़े में से अगर कोई एक मर जाए तो दूसरा मरने वाली जगह पर तीन महीने बतौर मातम अफ़सोस करता है.

भेड़िये को अरबी ज़बान में (इब्न अलबार) कहा जाता है यानी की नेक बेटा जब इसके मां-बाप बूढ़े हो जाएं तो ये इनके लिए शिकार करता है और उनका पूरा ख़्याल रखता है इसलिए तुर्क अपनी औलाद को शेर के बजाय भेड़िये की तशबिय देते हैं.

तुर्क लोगों का ये मानना है कि शेर जैसा खूंखार होने से बेहतर है भेड़िया जैसा नसली होना ••••••

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वक़्फ क्या है?"" "" "" "" **वक़्फ अरबी

जब राम मंदिर का उदघाटन हुआ था— तब जो माहौल बना था, सोशल मीडिया

मुहम्मद शहाबुद्दीन:- ऊरूज का सफ़र part 1 #shahabuddin #bihar #sivan