world_Indigenous_peoples_day

उक्त तस्वीरों में केवल लोकतंत्र ही देखना। तब आपको यहां दिखाई पड़ेगा सभी का समान हिस्सा और समझ आयेगा कि यही होता असली लोकतंत्र और असली लोकतंत्र आदिवासियों, मूलनिवासीयों की देन है। विश्वभर में आज मूलनिवासी दिवस #world_Indigenous_peoples_day मनाया जाता है। भारत में इसी दिवस को आदिवासी दिवस भी कहा जाता है। धरती के आदिवासी ही मूलनिवासी हैं। तमाम धातु से लेकर दवा, दारू तक आदिवासियों की सम्पत्ति और खोज है। 

आज भी भारत के जितने भी पेटेंट दर्ज है यकीन कीजिए 90 प्रतिशत फर्जी है क्योंकि वह उक्त व्यक्ति का मूल अध्ययन, खोज या विषय नहीं है। उसने बस पेटेंट अपने नाम किया है। भले ही आज राष्ट्रपति एक आदिवासी महिला हो मगर वास्तविकता यही है कि आज भी मूलनिवासी, आदिवासी सबसे वंचित और उपेक्षित है। देश के साधन, संसाधनों पर उनका रत्तीभर का भी हिस्सा नहीं है। इसकी चिंता हम सबको मिलकर करनी है। 

वैश्विक पटल पर मूलनिवासियों के मानवाधिकारों को लागू करने और उनके संरक्षण के लिए 1982 में UNO (संयुक्त राष्ट्र संघ) ने एक कार्यदल UNWGIP (United Nations Working Group on Indigenous Populations) के उपआयोग का गठन किया। जिसकी पहली बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई थी। इसलिए, हर वर्ष 9 अगस्त को “विश्व मूलनिवासी दिवस” UNO द्वारा अपने कार्यालय में एवं अपने सदस्य देशों को मनाने का निर्देश है। 

UNO ने यह महसूस किया कि 21वीं सदी में भी विश्व के विभिन्न देशों में निवासरत मूलनिवासी समाज अपनी उपेक्षा, बेरोजगारी एवं बंधुआ बाल मजदूरी, अन्य भेदभाव जैसी समस्याओं से ग्रसित है। 1993 में UNWGIP कार्य दल के 11 वें अधिवेशन में मूलनिवासी घोषणा प्रारूप को मान्यता मिलने पर 1994 को “मूलनिवासी वर्ष” व 9 अगस्त को “मूलनिवासी दिवस” world Indigenous peoples day घोषित किया।

मूलनिवासियों को हक अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराकरण, भाषा, संस्कृति, इतिहास के संरक्षण के लिए UNO की महासभा द्वारा 9 अगस्त 1994 को जेनेवा शहर में विश्व के मूलनिवासी प्रतिनिधियों का विश्व का “प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मूलनिवासी दिवस” सम्मेलन का आयोजित किया गया। मूलनिवासियों की संस्कृति, भाषा, उनके हक अधिकारों को सभी ने एक मत से स्वीकार किया और उनके सभी हक अधिकार बरकरार रहें इस बात की पुष्टि कर दी गई। 

UNO ने “हम आपके साथ हैं”, यह वचन मूलनिवासियों को दिया गया। मूलनिवासी वही जो मुख्य धारा से वास्तव में उपेक्षित और वंचित हैं। UNO ने व्यापक चर्चा के बाद 21 दिसंबर 1994 से 20 दिसंबर 2004 तक “प्रथम मूलनिवासी दशक” और प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को International Day of the World’s Indigenous Peoples (विश्व मूलनिवासी दिवस) मनाने का फैसला लिया और विश्व के सभी देशों को मनाने के निर्देश दिए।

UNO द्वारा पिछले 28 वर्षों से निरन्तर विश्व मूलनिवासी दिवस मनाया जा रहा है, किन्तु भारत के मूलनिवासी आदिवासी बहुजनों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। जबकि UNO ने पुनः 16 दिसंबर 2004 से 15 दिसंबर 2014 तक फिर “दूसरा मूलनिवासी दशक” घोषित किया और 2 वर्ष बाद तीसरा मूलनिवासी दशक आने को है। सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव तथा कई आदिवासी, मूलनिवासी संगठनों के हस्तक्षेप का असर है कि भारत में आज इसकी गूंज सुनाई पड़ रही है। 

याद रखें विश्व आदिवासी दिवस का अंग्रेजी अनुवाद होगा World Tribes day, और UNO मना रहा है विश्व मूलनिवासी दिवस मतलब world Indigenous peoples day ! Indigenous मतलब मूलनिवासी होता है। भारत का कण-कण मूलनिवासीयों का है और मूलनिवासी यहां के आदिवासी, अछूत, उपेक्षित वर्ग है जो सदा हाशिये में रहे हैं। जबतक देश के साधन, संसाधन पर सबका समान अधिकार नहीं होता, असली लोकतंत्र अधूरा है।

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